आज से शुरू होगी ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता बप्पा की पूजा

शहर के द्वारदेवी व पंचमंदिर के पास गणेश उत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है। गणेश पूजा को लेकर पंडाल को भव्यता के साथ सजाने का काम पूरा कर लिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 06:08 PM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 06:08 PM (IST)
आज से शुरू होगी ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता बप्पा की पूजा
आज से शुरू होगी ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि के दाता बप्पा की पूजा

मोतिहारी। शहर के द्वारदेवी व पंचमंदिर के पास गणेश उत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है। गणेश पूजा को लेकर पंडाल को भव्यता के साथ सजाने का काम पूरा कर लिया गया है। लगातार दस दिनों तक बप्पा की पूजा-अर्चना होगी। पूजा समिति एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हुए हैं। पूजा के दौरान उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पूजा समिति द्वारा स्वयंसेवक व सदस्यों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। पूजा से पूर्व भव्य शोभा यात्रा की तैयारी भी अंतिम चरण में है। शोभा यात्रा के उपरांत विधिपूर्वक बप्पा की पूजा-अर्चना होगी, इसके उपरांत भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया जाएगा। इस संबंध में प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सत्येदव मिश्र ने बताया कि भारत में गणपति की पूजा महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। उत्तर भारत में गणेश चतुर्थी को भगवान श्री गणेश की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेशजी का उत्सव प्रतिमा स्थापना से शुरू होता है, जो लगातार दस दिनों तक चलता है। अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। वही गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। कैसे करें गणेश प्रतिमा की स्थापना व पूजा

गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। यह प्रतिमा सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से अपने साम‌र्थ्य के अनुसार बनाई जा सकती है। इसके पश्चात एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है। तत्पश्चात इस पर गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके बाद प्रतिमा पर ¨सदूर चढ़ाकर उसका पूजन किया जाता है। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट दिये जाते हैं। गणेश जी की पूजा सांय के समय करनी चाहिये। पूजा के पश्चात ²ष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अ‌र्घ्य दिया जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिये। माता-पिता की परिक्रमा से मिलता है पृथ्वी की परिक्रमा का फल

कार्तिकेय के साथ प्रतियोगिता के दौरान माता पार्वती और पिता शिव के समक्ष भगवान गणेश ने वेद में लिखित यह वचन कहे, जो आज भी अति महत्वपूर्ण हैं-

पित्रोश्च पूजनं कृत्वा प्रर्का¨न्त च करोति य:। तस्य वै पृथ्विीजन्यफलं भवति निश्चितम।। अर्थात जो माता-पिता की पूजा करके उनकी प्रदक्षिणा करता है, उसको पृथ्वी की परिक्रमा करने का फल मिलता है। देखा जाए तो भगवान गणेश ने माता-पिता को सर्वोच्च सम्मान देकर सभी को बता दिया कि जीवित देवी-देवता तो हमारे माता-पिता ही हैं। मोक्ष के लिए स्वेत गणपति की करें पूजा

पंडित सत्यदेव मिश्र ने बताया कि तरह-तरह की मनोकामना पूरी करने के लिए विनायक कई उपाय बताते हैं। अगर आपको अपने दुश्मनों को रोकना है तो फिर गणेश भगवान के पीली कांति वाले स्वरूप का ध्यान करना होगा। किसी को अपने वश में करना है तो उनके अरुण कांतिमय स्वरूप का मन ही मन ध्यान करें। किसी के मन में अपने लिए प्रेम पैदा करना है तो लाल रंग वाले गणेश जी का ध्यान करें। बलवान आदि होने के लिए भी इसी रूप का ध्यान करें। जिनको धन पाने की इच्छा हो, उन्हें हरे रंग के गणेशपूजा करनी चाहिए और जिन्हें मोक्ष प्राप्त करना है, उन्हें सफेद रंग के गणपति की पूजा करनी चाहिए। लेकिन इन कार्यों में पूरी सफलता तभी मिलेगी, जब आप तीनों समय गणपति का ध्यान और जाप करेंगे।

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