तंग गलियों में लगी आग तो भगवान ही मालिक

मोतिहारी। शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां अगर आग लगी तो जान माल की क्षति को रोकना न सिर्फ मुश्किल होगा बल्कि नामुमकिन हो जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Dec 2019 10:35 PM (IST) Updated:Mon, 09 Dec 2019 10:35 PM (IST)
तंग गलियों में लगी आग तो भगवान ही मालिक
तंग गलियों में लगी आग तो भगवान ही मालिक

मोतिहारी। शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां अगर आग लगी तो जान माल की क्षति को रोकना न सिर्फ मुश्किल होगा बल्कि नामुमकिन हो जाएगा। खुद विभागीय अधिकारी भी दबी जुबान से इस बात की तस्दीक करते हैं। विभाग की माने तो ये शहर फिलहाल बारूद के ढेर पर बैठा है। एक छोटी सी चिगारी भी बहुत बड़ी घटना का कारण बन सकती है। शहर के कई ऐसे आवासीय क्षेत्र हैं जहां सड़क के नाम पर महज पांच फीट या उससे कम ही रास्ता है। ऐसे में अगर आग लगी तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी का पहुंचना मुश्किल होगा। इसके अलावा शहर के अधिकतर शॉपिग मॉल्स, निजी शिक्षण संस्थानों के साथ ही व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में आग से बचने के लिए उपाय नहीं किए गए हैं।

सूरत घटना के बाद खुली थी नींद, फिर से विभाग हो गया मौन

बीते मई महीने में गुजरात के सूरत में एक निजी कोचिग संस्थान में हुए भीषण हादसे के बाद यहां भी विभाग की निंद्रा टूटी थी। तब विभाग ने निजी शिक्षण संस्थानों को नोटिस भेजकर अपने यहां अग्निशमन यंत्र व ऐसे घटनाओं से बचने के उपाय करने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके कुछ संस्थानों को छोड़कर आज भी अधिकतर संस्थानों में मानक के अनुरूप ऐसी कोई सुविधा नहीं है।

न हवलदार न चालक, भगवान भरोसे चल रहा विभाग

विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कार्यालय में हवलदार के कुल दो पद सृजित हैं, परंतु फिलहाल यहां एक भी हवलदार कार्यरत नहीं है। वहीं अग्निशामक वाहन चलाने के लिए होमगार्ड के जवानों का सहारा लिया जाता है। हद तो यह है कि अपनी जान की बाजी लगाने वाले फायर फाइटर्स के लिए एक भी फायर प्रूफ जैकेट उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2011 जनगणना के अनुसार जिले की आबादी 50 लाख 99 हजार 371 थी, जबकि इतनी बड़ी आबादी के लिए पूरे जिले में महज 33 फायर फाइटर वाहन ही उपलब्ध हैं। विभाग के सहायक स्टेशन अधीक्षक प्रेमचंद्र राम ने बताया कि जिले में वाटर मिस्ट कुल 29 वाहन हैं। जरूरत पड़ने पर इनकी भी सहायता ली जाती है। इसमे पानी व फोम दोनों का प्रयोग किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में जनसंख्या के हिसाब से अभी पंचायत में कम से कम 4 हाईडेंट होना चाहिए, जो नही है। 61 नवनियुक्त चालक बिहटा फायर ट्रेनिग सेंटर से यहां फील्ड ट्रेनिग के लिए आ रहे हैं।

बयान

रिहायशी इलाका हो या कमर्शियल सभी जगह मानक के अनुरूप अग्निरोधक उपाय किया जाना अनिवार्य है। पिछले साल सर्वे करके इस बाबत जिलाधिकारी को अवगत कराया गया था। मगर इस दिशा में अबतक कोई अग्रतर पहल नहीं हुई।

अजय कुमार शर्मा

फायर ऑफिसर

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