रामायण सर्किट से जुड़ेगा अरेराज का वाल्मीकि आश्रम

लंबे समय से विकास की बाट जोह रहे जिले के अरेराज स्थित वाल्मीकि आश्रम को जल्द ही रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा। इस स्थल को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए सरकारी स्तर पर कवायद तेज कर दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 12:03 AM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 12:03 AM (IST)
रामायण सर्किट से जुड़ेगा अरेराज का वाल्मीकि आश्रम
रामायण सर्किट से जुड़ेगा अरेराज का वाल्मीकि आश्रम

मोतिहारी । लंबे समय से विकास की बाट जोह रहे जिले के अरेराज स्थित वाल्मीकि आश्रम को जल्द ही रामायण सर्किट से जोड़ा जाएगा। इस स्थल को पर्यटन के मानचित्र पर लाने के लिए सरकारी स्तर पर कवायद तेज कर दी गई है। इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में पहचान देते हुए विकास करने के लिए जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने पर्यटन विभाग को पत्र भेजा है। अगर सबकुछ ठीक रहा और पर्यटन विभाग इस प्रस्ताव पर मुहर लगा देता है तो गुमनाम बना इस स्थल का कायाकल्प हो जाएगा। साथ ही यहां से जुड़ी यादें भी जीवंत हो जाएगी। यह तीर्थ स्थल के रूप में विकसित होगा। हालांकि, जिला प्रशासन इस क्षेत्र के विकास को लेकर पहले से ही गंभीर है। स्थानीय स्थल पर इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। बताया गया कि मनरेगा के माध्यम से पाथ-वे का निर्माण व लाइटिग का कार्य चल रहा है। लेकिन जब तक इस स्थल को रामायण सर्किट से जोड़कर विकास की रूपरेखा नहीं बनाई जाएगी, तबतक इस क्षेत्र का यथोचित विकास नहीं हो पाएगा। यहां बता दें कि हाल ही में जिलाधिकारी ने इस इलाके का दौरा किया था और स्थानीय लोगों की मांग पर इसके समुचित विकास का आश्वासन दिया था। लव-कुश की जन्मस्थली के रूप में इस स्थल की पहचान ऐसी मान्यता है कि इस स्थल पर लव-कुश का जन्म हुआ था। इस स्थल को उनकी जन्मस्थली के रूप में पहचान मिली हुई है। लव-कुश का बचपन यहीं गुजरा था। साथ ही मां सीता भी यहां रही हैं। कहा जाता है कि मां सीता इसी स्थल में भूमि में समाहित हुई थी। धार्मिक मान्यताओं के आधार पर इस स्थल की खुदाई कराने के लिए भी आम लोगों ने मांग की है। बता दें कि लोग वर्षों से इस स्थल पर पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।

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