8 कक्षाओं की पढ़ाई के लिए मात्र तीन कमरे

ब'चे देश के राष्ट्रपति तक का नाम बताने में असमर्थ हैं ।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 03:03 AM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 03:03 AM (IST)
8 कक्षाओं की पढ़ाई के लिए मात्र तीन कमरे
8 कक्षाओं की पढ़ाई के लिए मात्र तीन कमरे

दरभंगा। शिक्षा की स्थिति में सुघार की कसरत का असर जमीन पर देखने को मिल रहा हैं। बच्चे देश के राष्ट्रपति तक का नाम बताने में असमर्थ हैं । हद तो यह हैं कि स्कूल का नाम भी बच्चों को मालूम नहीं । निर्घारित समय पर शिक्षकों के नहीं आने और समय से पहलें जाने के कारण पठन - पाठन प्रभावित हैं। इनकी पड़ताल के लिए दैनिक जागरण की टीम ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड के तहत शनिवार को राजकीयकृत मध्य विधालय असराहा बालक ( उर्दू ) में पहुंची तो देखा कि विद्यालय के प्रघान शिक्षक समेत चार शिक्षक मौजूद थे । सभी अपने - अपने वर्ग में थे ।वहीं प्रधानाध्यापक कार्यालय के कामकाज को निपटाने में लगे थे । शिक्षिका नजमुस्सबाह मिसबाही अवकाश पर थीं। वर्ग एक और दो के बच्चे डेस्क - बेंच व कमरे के अभाव में बरामदे पर जमीन पर बैठे थे। स्कूल परिसर में तीन शौचालय एवं दो चापाकल हैं। स्कूल में वर्ग 1 से 8 तक के बच्चों के लिए मात्र चार कमरे हैं। इन चार कमरों में से एक क्षतिग्रस्त हैं, जिसमें कार्यालय प्रकोष्ठ हैं। शेष तीन कमरों में पठन - पाठन का काम होता है। एक कमरे में तीन व चार ,दूसरे कमरे में पांच व छह तथा तीसरे कमरे में सात और आठ वर्ग का पठन - पाठन होता है। हद तो यह है कि इस स्कूल के पास अपनी भूमि तक नहीं हैं । फिलहाल यह स्कूल मदरसा अनवारूल इस्लाम असराहा परिसर में संचालित है। उल्लेखनीय है कि इसी परिसर में इस विद्यालय के अलावा मदरसा व प्राथमिक विद्यालय कन्या उर्दू भी संचालित हैं। विद्यालय में किचेन शेड नहीं था।

दिन के 11 . 35 बजे : विद्यालय के बच्चे वार्षिक मूल्यांकन के तहत परीक्षा दे रहे थे। शिक्षक अपने - अपने वर्ग में मौजूद थे। वर्ग एक से दो तक के बच्चे बरामदे पर तथा तीन से आठ तक के बच्चे तीन अलग - अलग कमरे में बैठकर संयुक्त रूप से परीक्षा दे रहे थे। जबकि कुछ बच्चे परीक्षा देकर परिसर में खेल रहें थे। नामांकित 819 बच्चों में से 788 बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर पर दर्शाई गई थी । अघिकांश बच्चे स्कूल ड्रेस में नहीं थे।

दिन के 11 . 50 बजे : किचेन शेड के अभाव में रसोईया कौशर खातून, यासमीन परवीन, आशफा खातून व आभा खातून वर्ग कक्ष के बरामदे पर लकड़ी के चूल्हे पर मध्याहन भोजन बना रही थीं । मेन्यू के मुताबिक हरी सब्जी युक्त खिचड़ी व आलू का चोखा बच्चों के लिए बनाया जा रहा था। रसोईया एप्रोन पालन नहीं कर रखी थीं। रसोइयों ने किचेन शेड के नहीं रहने के कारण मध्याह्न भोजन बनाने में परेशान होने की बात बताई । वहीं बच्चों से जब पूछा गया कि मध्याह्न भोजन नियमित रूप से मिलता है कि नहीं तो बच्चों ने कहा कि नियमित रूप से मिड डे मील मिलता हैं । मध्याहन भोजन से संबंधित चखना पंजी संघारित था । प्लेट व ग्लास तथा मेट का अभाव दिखा ।

12 . 30 बजे : मध्याह्न भोजन तैयार नहीं था। बच्चे भोजन के इंतजार में थे। स्वच्छता अभियान का असर दिख रहा था ।

सामान्य ज्ञान से वंचित हैं बच्चे

वर्ग एक के छात्र मो. फैसल से 2 का पहाड़ा पूछा गया तो उसने असमर्थता जाहिर की । वर्ग दो की छात्रा खुशी परवीन से पूछा गया कि तुम्हारे विद्यालय का क्या नाम है? जवाब मिला सरकारी स्कूल। वर्ग तीन की छात्रा नाजरीन परवीन से पूछा गया कि तुम्हारे विद्यालय के प्रघानाध्यापक कौन हैं ? जवाब मिला सज्जाद सर ।वर्ग चार के छात्र संजय कुमार से पूछा गया कि भारत के प्रघानमंत्री कौन है ? जवाब मिला नीतीश कुमार । वर्ग पांच के छात्र मो.इबरान से पूछा गया कि तुम्हारी पंचायत के मुखिया कौन हैं ? जवाब मिला खुर्शीद आलम । वर्ग छह की छात्रा सलतनत से पूछा गया कि तुम्हारे देश का क्या नाम हैं ? जवाब मिला बिहार । वर्ग सात के छात्र मो.अताउल्लाह से पूछा गया कि तुम्हारे देश के राष्ट्रपति कौन हैं ? जवाब मिला नहीं मालूम। वर्ग आठ की छात्रा रेशमी परवीन से पूछा गया कि तुम किस प्रमंडल में रहती हो ? जवाब मिला बिहार।

Þ 18 जून को प्रघान शिक्षक का प्रभार लिया हूं । विद्यालय शिक्षा समिति व जनप्रतिनिधियों तथा अभिभावकों का पूरा सहयोग मिल रहा हैं ।बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा को लेकर प्रयासरत हूं । इसमें सुधार हो रहा हैं। वहीं मेन्यू के मुताबिक बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। अपनी भूमि व पर्याप्त संख्या में कमरे तथा बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षक नहीं रहने के कारण बच्चों के पठन - पाठन में शिक्षकों को कठिनाई झेलनी पड़ती हैं। बच्चों की संख्या के अनुपात में कम से कम 15 शिक्षकों की आवश्यकता है।

-अरुण कुमार राम, प्रघान शिक्षक

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