अब सौर उर्जा से जगमग करेगा मिथिला विश्वविद्यालय का मुख्यालय

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अब सौर उर्जा की रोशनी से जगमग करेगा। कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने शुक्रवार को पचास किलो वाट के सौर उर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 05 Oct 2019 12:54 AM (IST) Updated:Sat, 05 Oct 2019 08:20 AM (IST)
अब सौर उर्जा से जगमग करेगा मिथिला विश्वविद्यालय का मुख्यालय
अब सौर उर्जा से जगमग करेगा मिथिला विश्वविद्यालय का मुख्यालय

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय अब सौर उर्जा की रोशनी से जगमग करेगा। कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने शुक्रवार को पचास किलो वाट के सौर उर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया। इस संयंत्र के सौर प्लेट विवि मुख्यालय स्थित परीक्षा भवन की छत पर लगाए गए हैं। बता दें कि बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार की सहभागिता से मिथिला विश्वविद्यालय को तीन सौ किलो वाट के सौर उर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए एक करोड़ 30 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इसके तहत प्रथम चरण का काम पूरा कर लिया गया है जिसका कुलपति ने उद्घाटन किया। विश्वविद्यालय के अभियंता सोहन चौधरी ने बताया कि दिसंबर तक 300 किलो वाट का सौर ऊर्जा संयंत्र संपूर्णत: काम करने लगेगा। बिहार सरकार के उपक्रम बिहार रिन्युएबल डेवलपमेंट एजेंसी (ब्रेडा) ने सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने का यह कार्य लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) कंपनी को आवंटित किया है। विश्वविद्यालय अभियंता सोहन चौधरी ने बताया कि इस सौर ऊर्जा संयत्र से उत्पादित बिजली ग्रिड को जाएगी, जहां मीटर लगा हुआ है। यह मीटर क्रेडिट-डेबिट को प्रदर्शित करेगा। विश्वविद्यालय का सौर ऊर्जा संयत्र जितनी बिजली उत्पादित करेगा उसे विश्वविद्यालय द्वारा खपत की जाने वाली बिजली से समायोजित कर बिलिग होगी। इससे विश्वविद्यालय को लगभग 70000 रुपये प्रति मास की बचत होगी। सौर ऊर्जा संयंत्र के उद्घाटन के अवसर पर कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. रतन कुमार चौधरी, हिदी विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह समेत अभियंत्रण शाखा के सभी कर्मी उपस्थित थे।

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बिजली बिल से मुक्त हो जाएगा विश्वविद्यालय :

विश्वविद्यालय के अभियंता हसन इकबाल ने बताया कि सौर उर्जा संयंत्र से जो बिजली उत्पादित होगी, वह बिजली विभाग के ग्रिड को जाएगी जहां से विश्वविद्यालय को बिजली आपूर्ति होती है। जितनी बिजली हम सौर उर्जा से उत्पादन कर बिजली विभाग को देंगे, विश्वविद्यालय के बिल में उतनी बिजली को घटा कर शेष बिजली का ही बिल आएगा। वर्तमान में विश्वविद्यालय प्रति माह करीब पांच से छह लाख रुपये बिजली मद में खर्च कर रहा है। फिलहाल, 50 केवी बिजली उत्पादन से विवि को करीब सत्तर हजार से एक लाख तक की बचत होगी। संयंत्र स्थापित करने वाली एजेंसी ब्रेडा के प्रतिनिधियों ने बतया कि दिसंबर तक विश्वविद्यालय में तीन सौ केवी का प्लांट स्थापित कर दिया जाएगा। इसके बाद विश्वविद्यालय का बिजली बिल शून्य हो सकता है। यानी की जितनी बिजली विश्वविद्यालय खपत करेगा, उतनी बिजली सौर संयंत्र से उत्पादन कर बिजली विभाग को सौंप देगा। इस प्रकार, विश्वविद्यालय को इस सरकारी योजना से काफी आर्थिक लाभ होने वाला है। बता दें कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सूबे का पहला विश्वविद्यालय है जहां यह सौर संयंत्र स्थापित किया गया है।

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