इस्लाम जिदा होता है हर कर्बला के बाद..

इस्लाम जिदा होता है हर कर्बला के बाद। जियो तो अली की तरह शहीद हो हुसैन की तरह। मोहर्रम के दसवीं तारीख के मौके पर पुलिसिया चाक चौबंद व्यवस्था के बीच मंगलवार को शिया इमामबाड़ा बारगाहे हुसैनी चंदनपट्टी से बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया अलम निशान के साथ नौहा मातम व मर्सिया पढ़ते हुए मातमी जुलूस निकाला।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Sep 2019 01:26 AM (IST) Updated:Wed, 11 Sep 2019 06:35 AM (IST)
इस्लाम जिदा होता है हर कर्बला के बाद..
इस्लाम जिदा होता है हर कर्बला के बाद..

दरभंगा । इस्लाम जिदा होता है, हर कर्बला के बाद। जियो तो अली की तरह, शहीद हो हुसैन की तरह। मोहर्रम के दसवीं तारीख के मौके पर पुलिसिया चाक चौबंद व्यवस्था के बीच मंगलवार को शिया इमामबाड़ा बारगाहे हुसैनी चंदनपट्टी से बड़ी संख्या में शिया समुदाय के लोगों ने ताजिया, अलम, निशान के साथ नौहा मातम व मर्सिया पढ़ते हुए मातमी जुलूस निकाला। काले लिबास में शामिल शिया समुदाय के बुजुर्गों, नौजवानों व बच्चों ने मंगलवार की सुबह मातमी जुलूस निकाला जो विभिन्न मार्गों से होते हुए हाय हुसैन-हाय हुसैन या अली का सदा लगाते हुए कर्बला के दर्दनाक मंजर को याद करते हुए नौहा मातम, जंजीर मातम, कमां एवं ब्लेड मातम किया। इस दौरान बच्चे, नौजवानों, बुजुर्गों ने ब्लेड, जंजीर व कमां मातम के प्रहार से अपने छाती, पीठ व सिर को लहुलूहान कर अपने गमों का इजहार किया। इस ²श्य को देखकर उपस्थित दर्जनों गांवों से आए हजारों की भीड़ थोड़ी देर के लिए गमगीन हो गई। मातमी जुलूस का काफिला जैसे-जैसे आगे बढ़ता गया, कदम-कदम पर उक्त समुदाय के लोगों ने ब्लेड जंजीर व कमां का अपने पीठ व छाती व सर पर प्रहार जारी रखा जिसे देख लोग आश्चर्यचकित थे। मातमी जुलूस का काफिला पुन: बारगाहे हुसैनी इमामबाड़ा मे प्रवेश कर विश्राम किया। तीन बजे अपराह्न के करीब बारगाहे हुसैनी इमामबाड़ा से पुन: उक्त मातमी जुलूस निकला जो गांव होते हुए महदई पोखर स्थित कर्बला पहुंचा। इस बीच ताजिया व अलम के सेहरे को निकालकर कर्बला मे दफन कर दिया। सफी शेर ने बताया कि कर्बला से आने के बाद देर रात मजलिस शाम-ए-गरीबां होगी। इससे पूर्व सोमवार की देर रात उक्त समुदाय के बुजुर्गों, बच्चे व युवाओं ने हाय हुसैन, हाय हुसैन का सदा लगाते हुए बारगाहे हुसैनी इमामबाड़ा में दहकते आग के अंगारों पर नंगे पांव चलकर आग मातम मनाया। मौके पर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए एडीएम लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजीव रंजन प्रभाकर, बीडीओ राकेश कुमार, सीओ कमल प्रसाद साह, एपीएम थानाध्यक्ष मो. जजा अली, पतोर ओपी प्रभारी सुभाषचंद्र मंडल, अपने दल-बल के साथ मुस्तैद थे। प्रशासन के सहयोग में लोकतांत्रिक जनता दल जिलाध्यक्ष देवकांत राय, जदयू नेता शमशाद रिजवी, मुर्शीद आलम, मुखिया विजय पासवान, मो. यासिन मिट्ठू, सरपंच पति प्रदीप कुमार रजक, मोजीबुर्रहमान, मो. मुमताज, उपसरपंच मो. फरीद उर्फ फूल बाबू, पूनम झा, सच्चिदानंद झा उर्फ गुड़कुन बाबा, इरफान आलम, अनवारुल हक, आनंद बैठा, लोजपा प्रखंड अध्यक्ष रंजीत झा, मो. अब्दुल कादिर, शिवानंद चौधरी आदि सक्रिय रहे। इधर, क्षेत्र के रसुलपुर, बांसडीह, बेंता, धोबोपुर बनसारा, खरारी, नेयाम, पश्चिमी विलासपुर, शिवैंसिहपुर, श्रीपुरबहादुरपुर, बलुआहा, अकबरपुर, अनारकोठी, पंसीहा आदि गांवों से सुन्नी समुदाय के लोगों ने ताजिया जुलूस निकाला जो विभिन्न मार्गो से होते हुए अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचकर मातमीधुन पर कई नुमाईशी खेल का प्रदर्शन करते हुये अपने फन का जौहर दिखाया।

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