परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए खूब मेहनत की, सब व्यर्थ गया
बक्सर सिविल लाइन के रहने वाले अमृत भारद्वाज ने जब से यह खबर सुनी है कि उसकी बोर्ड की परी
बक्सर : सिविल लाइन के रहने वाले अमृत भारद्वाज ने जब से यह खबर सुनी है कि उसकी बोर्ड की परीक्षा नहीं हो रही है वह मायूस हो गया है। केन्द्रीय विद्यालय की दसवीं की छात्रा अंजली, आस्था और हर्षिता का भी यही हाल है। इन लोगों ने जब से परीक्षा नहीं होने की खबर सुनी है घर में बुझी-बुझी सी रह रही हैं। दरअसल, यह हाल केवल इन्हीं बच्चों का नहीं है।
सीबीएसई बोर्ड की दसवीं की परीक्षा देने वाले उन तमाम बच्चों में मायूसी छा गई है, जिन लोगों ने परीक्षा में बेहतर करने की उम्मीद पाल रखी थी। कोरोना को लेकर सरकार का यह निर्णय प्रतिभाशाली बच्चों के कॅरियर से खिलवाड़ के सिवा और कुछ नहीं है। ऐसे बच्चों में इसको लेकर भारी आक्रोश नजर आ रहा है। उनका कहना है कि सरकार को परीक्षा रद नहीं करनी चाहिए थी। सरकार कोई और इंतजाम करती, लेकिन परीक्षा जरूर करानी चाहिए थी। हालांकि, ऐसा नहीं कि सभी परीक्षार्थी इससे नाखुश हैं। कम पढ़ने वाले बच्चे या जिन बच्चों के फेल होने की उम्मीद थी, वैसे बच्चों में सरकार के इस निर्णय से हर्ष है। वे सरकार के इस निर्णय को सही ठहरा रहे हैं। जबकि, शिक्षक इसे बेहद गलत कह रहे हैं।
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- यह तो परीक्षा भवन में जाकर वहां से बिना परीक्षा दिए लौटने जैसा हो गया। इससे हमारी काबिलियत का पता कहां चल पाएगा। सरकार ऐसी व्यवस्था भी कर ही सकती थी कि संक्रमण के बावजूद परीक्षा हो जाती। - अंजली कुमारी, केन्द्रीय विद्यालय - परीक्षा नहीं कराने का सरकार का निर्णय बेहद गलत है। यह कॅरियर के साथ खिलवाड़ के सिवा और कुछ नहीं है।
-हर्षिता कुमारी, केन्द्रीय विद्यालय - कोविड का डर था तो सरकार को सेंटर बढ़ा देना चाहिए था। एक बेंच पर एक ही बच्चा परीक्षा देता। इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा नहीं रहता।
- आयुषा मिश्रा, सरस्वती विद्या मंदिर - परीक्षा के ऐन वक्त पर परीक्षा नहीं कराने का सरकार का यह निर्णय बिल्कुल गलत है। सरकार ने हमारी मेहनत पर पानी फेर दिया।
- अमित कुमार सिंह, बक्सर पब्लिक स्कूल - हम लोगों ने पढ़ाई के लिए दिन-रात एक कर दिया था क्या केवल इसी दिन को देखने के लिए। सरकार ने हम लोगों के बारे में जरा भी नहीं सोचा।
- पूजा कुमारी, सरस्वती विद्या मंदिर - माना कि इंटरनल असेसमेंट से हम सभी बच्चे पास हो जाएंगे लेकिन परीक्षा देकर वे जो नंबर लेकर आते वह इसमें कहां मिल पाएगा।
- आनंद राज, बक्सर पब्लिक स्कूल - कोरोना में जब बाकी सारे काम हो सकते हैं, चुनाव कराया जा सकता है तो फिर परीक्षा को क्यों रद कर दिया गया। इसकी भी तो व्यवस्था की जा सकती थी।
-सलोनी कुमारी, बक्सर पब्लिक स्कूल - क्या सेंटर बढ़ाकर, शिफ्ट बढ़ाकर परीक्षा का आयोजन नहीं किया जा सकता था। यह तो संभव था ही बावजूद परीक्षा को ही रद कर दिया गया।
- मुलायम सिंह, बक्सर पब्लिक स्कूल
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सीबीएसई दसवीं की परीक्षा को रद कर सरकार ने प्रतिभाशाली बच्चों के साथ बहुत बुरा किया। इससे बुरा उनके साथ और कुछ नहीं हो सकता है। परीक्षा को लेकर जो बच्चे जी-जान से मेहनत कर रहे थे उनके अब तक के मेहनत पर पानी फिर गया।
निर्मल कुमार सिंह, निदेशक, बक्सर पब्लिक स्कूल, बक्सर।
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सीबीएसई दसवीं की परीक्षा रद कर सरकार ने अच्छा नहीं किया। पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह बहुत गलत हुआ। रात-रात भर जगकर पढ़ने वाले बच्चों को इससे बहुत उम्मीदें थीं। इससे उन्हें आगे भी परेशानी हो सकती है।
मिथिलेश राय, प्रधानाध्यापक, सरस्वती विद्या मंदिर बालिका खंड, बक्सर।