भोले ओ बाबा भोले, ..वो प्यार फिर से जगा दें

बक्सर कोरोना संक्रमण के दौर ने हर चक्के को जैसे जाम कर दिया है धार्मिक स्थलों पर लगी र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:02 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:02 PM (IST)
भोले ओ बाबा भोले, ..वो प्यार फिर से जगा दें
भोले ओ बाबा भोले, ..वो प्यार फिर से जगा दें

बक्सर : कोरोना संक्रमण के दौर ने हर चक्के को जैसे जाम कर दिया है, धार्मिक स्थलों पर लगी रोक के बाद से लोग न तो गंगा में स्नान ही कर पा रहे हैं और न ही यहां के प्रसिद्ध शिवालयों में जलाभिषेक। ऐसे में शिवभक्तों की बस एक ही पुकार फिजा में गूंज रही है, भोले ओ बाबा भोले, अपनों से मिलने का वो प्यार फिर से जगा दे..।

सावन महीने में शहर की जो सड़कें भगवा वेशभूषा धारियों से गुलजार रहती थी। वहां आज लगातार दूसरी सोमवारी को सन्नाटा पसरा हुआ था। वरना, इन दिनों में पौराणिक स्थल रामरेखा घाट व श्रीनाथ घाट पर मेला सा नजारा लगा रहता था। दरअसल, अनलॉक-4 में कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर एक नियमावली के अनुसार प्रशासन की ओर से धार्मिक स्थलों पर एकत्रित होने और मंदिरों को खोले जाने पर पाबंदी लगाई गई है। जिसके कारण भक्त देवालयों में स्थापित शिवलिग पर जलाभिषेक नही कर पा रहे हैं। बल्कि, लगातार दूसरा साल है जब सावन में भक्त घर पर ही शिव की पूजा करने को विवश हैं। - सावन की रौनक पड़ गई फीकी

संक्रमण फैलाव की सुरक्षा को लेकर धार्मिक स्थलों पर आमजनों के पहुंचने पर लगी पाबंदी से सावन की रौनक फीकी पड़ गई है। शिव भक्तों का कहना है कि चुनाव की बात आती है या अभी के दौर में चल रहा वैक्सीनेशन कैंप। इन स्थलों पर गैर नियमों की तरह नागरिकों की भीड़ जुटती है। एक दूसरे के बीच कि दूरी की कौन कहे, कई तो बगैर मास्क के भी दिखते हैं। परंतु, प्रशासन इसके प्रति आंख मूंद ले रही है। - फुटपाथी दुकानदार निराश सावन महीने में होने वाली आमद की आस फुटपाथी दुकानदारों को महीनों से रहती है। महेश, श्यामा आदि का कहना है की बल्कि, इसकी आमद से अन्य जरूरी काम भी पूरे हो जाते थे। लेकिन दो साल से यह माह निराश किए हुए है। प्रशासनिक रोक लग जाने के बाद से लोगों का घाट पर आना बंद हो गया है। हालांकि, सूत्र बताते हैं की रामरेखाघाट, श्रीनाथ घाट आदि प्रमुख घाटों स्थित मंदिरों को छोड़कर लोगों ने अन्य गंगा घाटों पर स्नान किए और शिवालयों में जलाभिषेक भी किए हैं। परंतु, इन धार्मिक स्थलों पर भक्तों की संख्या काफी कम होने से शारीरिक दूरी के नियमों का अनुपालन स्वत: बना हुआ था।

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