एक बिहारी यूपी के हजारों अपराधियों पर पड़ रहा भारी, कानूनी चक्रव्यूह में पस्त हुए UP के माफिया और अपराधी

यूपी के एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय के प्रभावी अभियोजन का परिणाम है कि माफिया मुख्तार अंसारी व उसके भाई अफजाल अंसारी एवं अतीक अहमद से लेकर अन्य बड़े से लेकर छोटे अपराधियों को यूपी पुलिस ने तेजी से सजा सुनिश्चित कराने में कामयाबी हासिल की है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Mon, 15 May 2023 06:05 PM (IST) Updated:Mon, 15 May 2023 06:59 PM (IST)
एक बिहारी यूपी के हजारों अपराधियों पर पड़ रहा भारी, कानूनी चक्रव्यूह में पस्त हुए UP के माफिया और अपराधी
यूपी के एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय, जिन्होंने अभियोजन की दिशा में कदम बढ़ाकर बड़े-बड़े अपराधियों के हौसलों को पस्त किया।

 दीपक,आरा:  बिहारी जहां रहते हैं, वहां अपनी माटी का झंडा बुलंद रखते हैं। इसलिए कहा भी जाता है, एक बिहारी सौ पर भारी, लेकिन यूपी में एक बिहारी हजारों अपराधियों पर भारी वाली कहावत प्रचलित हो रही है।

दरअसल, जिस उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर को लेकर पुलिस को कटघरे में खड़ा किया जाता है, उसी प्रदेश में पुलिस ने कानून का इस्तेमाल कर पिछले तीन सालों में करीब 30 हजार मामलों में अपराधियों को कोर्ट से सजा दिलाई है। प्रदेश की इस उपलब्धि के प्रमुख किरदार एक बिहारी है।

हम बात कर रहे हैं बिहार की मिट्टी से जुड़े यूपी के एडीजी अभियोजन आशुतोष पांडेय की, जिन्होंने अभियोजन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाकर बड़े-बड़े अपराधियों के हौसलों को पस्त दिया है। उनके प्रभावी अभियोजन का परिणाम है कि माफिया मुख्तार अंसारी व उसके भाई अफजाल अंसारी एवं अतीक अहमद से लेकर अन्य बड़े से लेकर छोटे अपराधियों को यूपी पुलिस ने तेजी से सजा सुनिश्चित कराने में कामयाबी हासिल की है।

मूल रूप से सूबे के भोजपुर जिले के आरा मुफस्सिल थाना के सलेमपुर गांव निवासी आशुतोष पांडेय 92 बैच के सीनियर आइपीएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में यूपी कैडर में कार्यरत हैं। एडीजी पांडेय के प्रयास से ही ई-अभियोजन पोर्टल में यूपी का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर लगातार दूसरी बार अव्वल रहा है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने एडीजी पांडेय को पुरस्कार एवं ट्रॉफी भी प्रदान की थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 अगस्त वर्ष 2019 को अभियोजन की कमान एडीजी आशुतोष पांडेय को सौंपी थी।

तौर-तरीकों में बदलाव से बढ़ी सजा की दर

आशुतोष पांडेय बताते हैं कि अभियोजन को प्रभावी बनाने के लिए तीन स्तर पर यूपी में लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। जिला स्तर पर जिलाधिकारी हर महीने मुकदमों की मॉनिटरिंग करते हैं, न्यायालय से भी रिपोर्ट जारी होती है। उसके अनुसार, पुलिस अधीक्षक थाना स्तर पर गवाही की प्रक्रिया सुनिश्चित कराई जाती है। सरकारी गवाही सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाएं प्रदान की गईं। इससे अभियोजन की स्थिति बेहतर हुई।

पटना शहर से हुई आशुतोष पांडेय की शिक्षा

आईपीएस अधिकारी आशुतोष पांडेय की स्कूली शिक्षा-दिशा राजधानी पटना में हुई है। उनके पिता शिवानंद पांडेय पीडब्ल्यूडी में मुख्य अभियंता हुआ करते थे और पटना में भी कार्यरत थे। वे दो भाइयों में बड़े है। सिविल इंजीनियर बनने के बाद भारतीय पुलिस सेवा में आए। उनके छोटे भाई दीपक पांडेय महाराष्ट्र में आईजी के पद पर कार्यरत है।

गांव से रहा है गहरा जुड़ाव

आईपीएस आशुतोष पांडेय का पैतृक गांव सलेमपुर से गहरा जुड़ाव रहा है। भतीजा मनीष दुबे कहते है कि वे समय-समय पर गांव आते है। गांव आने के बाद गंवई माहौल में ढल जाते है। दिसंबर 2022 में भी गांव आए थे। लोग लखनऊ जाते है तो वे उनका स्वागत भी करते है। इधर, गांव के सेवानिवृत्त डीएसपी केसी दुबे उर्फ मनन दुबे, जितेन्द्र दुबे, सोनू दुबे एवं विपुल दुबे कहते है कि उन्हें गांव के सपूत आशुतोष पांडेय पर गर्व है।

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