मधुमक्खी नहीं तो सभ्यता नहीं: डॉ. पीके द्विवेदी

मधुमक्खी पालन पर कौशल विकास का 25 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वरीय वैज्ञानिक डॉ. पीके द्विवेदी ने कहा कि मधुमक्खी नहीं तो सभ्यता नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 05:21 PM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 05:21 PM (IST)
मधुमक्खी नहीं तो सभ्यता नहीं: डॉ. पीके द्विवेदी
मधुमक्खी नहीं तो सभ्यता नहीं: डॉ. पीके द्विवेदी

आरा। मधुमक्खी पालन पर कौशल विकास का 25 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए वरीय वैज्ञानिक डॉ. पीके द्विवेदी ने कहा कि मधुमक्खी नहीं तो सभ्यता नहीं है। स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पद से उन्होंने मधुमक्खी पालन से कृषि जगत को होने वाले कई तरह के फायदे की जानकारी दी। वहीं कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक शशि भूषण कुमार शशि ने मधु उत्पादन को मौजूदा समय में रोजगार संसाधन का अच्छा अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा रोजगार है जिसके लिए न तो जमीन और न ही गोदाम की जरूरत है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित इस प्रशिक्षण में डेढ़ दर्जन से अधिक प्रतिभागी कृषक आगामी 17 मार्च तक हिस्सा लेंगे।

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