कोसी-सीमांचल के छोटे किसानों की एमएसपी पर बिचौलिए की नजर, पैक्स तक धान को पहुंचाना बड़ी चुनौती

बिहार में एमएसपी पर धान खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पैक्‍सों और व्‍यापार मंडल के माध्‍यम से धान की खरीद होनी है। लेकिन छोटे किसानों को एमएसपी का लाभ दिलवाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। इस बार भी...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 07 Nov 2021 07:01 AM (IST) Updated:Sun, 07 Nov 2021 07:01 AM (IST)
कोसी-सीमांचल के छोटे किसानों की एमएसपी पर बिचौलिए की नजर, पैक्स तक धान को पहुंचाना बड़ी चुनौती
बिहार में एमएसपी पर धान खरीद की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

संस, सहरसा। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में अधिक से अधिक लघु व सीमांत किसानों को लाभांवित करने की योजना बनाई है। इस वर्ष सहरसा जिले में अधिकांश किसानों का धान बाढ़ व अतिवृष्टि कारण बर्बाद हो गया, जो बचा है, उसमें लघु और सीमांत किसानों से धान खरीदकर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ दिलाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। अगर बिचौलियागिरी पर प्रारंभिक दौर से ही लगाम नहीं लगाया गया, तो फिर इसका लाभ छोटे किसानों के बदले जमाखोरों को ही मिल सकता है।

दोहरा लाभ लेनेवाले बड़े किसानों के कारण छोटे किसान नहीं हो पाते हैं लाभांवित

हर वर्ष जिले में फसल क्षतिपूर्ति का दावा करनेवाले किसानों द्वारा धान बेचे जाने का भी मामला सामने आता है, परंतु उसपर ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती। ऐसे किसान सरकारी राशि का दोहरा लाभ लेते हैं। बड़े किसान और जमाखोर छोटे किसानों के नाम पर फर्जी धान खरीद दिखाकर मालामाल हो जाते हैं, जबकि वास्तविक छोटे किसान और बटाईदार इससे वंचित रह जाते हैं।

इस वर्ष जिले में 67 हजार हैक्टेयर भूमि में धान की खेती हुई, जिसमें 38 हजार हैैक्टेयर में लगी फसल बाढ़ से तथा सात हजार अतिवृष्टि के कारण बर्बाद हुई। ऐसे में जिन लघु किसानों के पास थोड़ा बहुत धान है, वे सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ लेने के लिए उम्मीद लगाए बैठे हैं। विभाग समितियों के माध्यम से इन किसानों से धान खरीद पाता हैं, या नहीं उसपर किसानों की निगाह टिकी हुई है।

फर्जी खरीददारी के कारण चावल जमा कराने में भी होती है परेशानी

हर वर्ष कुछ समितियां जमाखोंरों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर फेक धान की खरीद करता है और संबंधित किसान को थोड़ा- बहुत प्रलोभन् देकर उनके खाते के माध्यम से भुगतान की राशि वापस ले लेता है। ऐसे में किसानों के नाम पर न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ पैक्स व जमाखोर को मिलता है। वहीं पैक्सों में धान नहीं रहने के कारण व राइस मील नहीं पहुंच पाता और चावल आपूर्ति कराने में प्रशासन को नाकों चना चबाना पड़ता है।

विभाग का यह प्रयास है कि अधिकाधिक लघु और सीमांत किसानों का धान खरीदा जाए, ताकि इनलोगों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हो, जिससे रबी की खेती में इन किसानों को सहयोग मिल सके।

-शिवशंकर कुमार, डीसीओ, सहरसा।

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