स्‍वदेशी जागरण मंच ने नई शिक्षा नीति का किया स्‍वागत, बोले- राष्ट्रहित में है यह निर्णय

new education policy केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति का स्‍वदेशी जागरण मंच ने स्‍वागत किया है। मंच के क्षेत्रीय विचार विभाग प्रमुख दिलीप निराला ने इसे राष्ट्र हित में बताया।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sat, 01 Aug 2020 11:53 AM (IST) Updated:Sat, 01 Aug 2020 11:53 AM (IST)
स्‍वदेशी जागरण मंच ने नई शिक्षा नीति का किया स्‍वागत, बोले- राष्ट्रहित में है यह निर्णय
स्‍वदेशी जागरण मंच ने नई शिक्षा नीति का किया स्‍वागत, बोले- राष्ट्रहित में है यह निर्णय

भागलपुर, जेएनएन। new education policy : स्वदेशी जागरण मंच ने नई शिक्षा नीति का स्वागत किया है। अब जीडीपी का छह फीसद शिक्षा पर खर्च किया जाएगा।  स्वदेशी जागरण मंच के क्षेत्रीय विचार विभाग प्रमुख दिलीप निराला ने कहा कि भारत सरकार ने इस शिक्षा नीति को बनाने के लिए देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6000 ब्लॉक और 676 जिलों से सलाह ली है। नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्टूबर 2015 को केंद्र ने पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की एक कमिटी बनाई थी। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट 27 मई 2016 को दे दी थी। 24 जून 2017 को इसरो (ISRO) के प्रमुख रहे वैज्ञानिक के.कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की एक कमिटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ़्ट तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी गई। 31 मार्च 2019 को नई शिक्षा नीति का ड्राफ़्ट मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया। ड्राफ़्ट पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने लगभग दो लाख से अधिक सुझावों पर मंथन कर जन आकांक्षाओं के अनुरूप नई शिक्षा नीति को लागू करने का काम किया है।

दिलीप निराला ने कहा कि 34 वर्ष पूर्व 1986 में लागू की गई शिक्षा नीति में बदलाव की मांग दो दशकों से हो रही थी। अत: समय की मांग के अनुरूप बदलते वक़्त की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ ही साथ शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देने तथा देश को पूर्व की तरह ज्ञान का हब बनाने के लिए शिक्षा नीति में बदलाव ज़रूरी हो गया था।

वैदिक गणित, दर्शन और प्राचीन भारतीय परम्परा से जुड़े विषयों को अहमियत देने के बारे में नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि 'इसको तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर जाँचने के बाद जहां प्रासंगिक होगा, वहां पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जायेगा।'

उन्‍होंने कहा कि सिलेबस फाइनल करते वक़्त आचार्य चाणक्य, सम्राट अशोक, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, महाराज रणजीत सिंह, महात्मा बुद्ध, महावीर, राम, कृष्ण, अर्जुन, पृथ्वी राज चौहान, गुरु गोबिंद सिंह सरीखे अनेक योद्धाओं के अलावा सरदार बल्लभभाई पटेल, मदन मोहन मालवीय, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, शहीद भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, चंदशेखर आज़ाद सरीखे और भी अन्य स्वतंत्रता सैनानियों पर पूरे इतिहास को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना चाहिए।

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