मशरूम उत्पादन कर समृद्ध होगी ग्रामीण महिलाएं, आजीविका के लिए महिला किसानों को जीविका दीदी बता रही खेती की गुर
अब भूमिहीन महिला किसान की भी बदलेगी तस्वीर आर्थिक समृद्वि का खुलेगा द्वार। जीविका दीदी महिलाओं को बिना खेत की खेती मशरूम उत्पादन का तौर तरीका सिखाएंगी। ताकि वह अपने मेहनत से मशरूम की खेती कर आजीविका चला सके।
जागरण संवाददाता, सहरसा । भूमि की बढ़ रही समस्या और परंपरागत खेती से किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाने के कारण जीविका ने महिला किसानों को आजीविका के लिए मशरूम की खेती से जोड़ने की रणनीति बनायी है। इसके लिए गरीब परिवार की महिलाओं को समूह से जाेड़कर सहयोग प्रदान की जाएगी और महिलाओं को इसकी खेती के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा। इसके लिए कोसी की मिट्टी काफी उपयुक्त करार दिया गया है। जीविका समूह ने इसके लिए तैयारी प्रारंभ कर दी है।
महिला किसानों के लिए मशरूम को बनाया जाएगा आय का जरिया
जलवायु परिवर्तन के कारण खेती पर पड़े रहे प्रतिकूल प्रभाव और बीपीएल परिवार की महिलाओं को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने के लिए किया जा रहा है। स्वास्थ्य की दृष्टि से मशरूम को अब भोजन के साथ- साथ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाने लगा है। होटलों- रेस्टोंरेंट में भी बेहतर किस्म के बटन मशरूम की मांग होने लगी है। बेहतरीन पौष्टिक खाद्य पदार्थ के रूप में इसके उपयोग के साथ- साथ मशरूम का ऑनलाइन उत्पाद भी मिलने लगा है। इस लिहाज से जीविका महिलाओं को इसकी खेती के प्रति प्रोत्साहित करने में लगा है।
कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से महिलाओं को किया जाएगा प्रशिक्षण
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए जीविका समूह की महिलाओं को स्टेट बैंक के सौजन्य से कृषि वैज्ञानिकों द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे पूरी दक्षता से मशरूम की खेती कर सकें। प्रथम चरण में जिले के सोनवर्षा और सत्तर कटैया प्रखंड में जीविका समूह द्वारा मशरूम उत्पादन किया जा रहा है। आनेवाले दिनों में इस योजना से बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा जाएगा।
क्या कहते हैं जीविका के डीपीएम
सहरसा के डीपीएम अमित कुमार ने कहा कि इस इलाके में मशरूम उत्पादन की काफी संभावना है। इससे किसानों को अच्छी आमदनी भी हो सकती है। इसके लिए जीविका समूह से जूड़ी महिलाओं को प्रेरित किया जा रहा है। उम्मीद है कि आनेवाले दिनों में इस क्षेत्र में मशरूम का काफी उत्पादन होगा। इससे महिलाओं की आमदनी भी बढ़ेगी।