कोरोना के नाम पर मनमाना भाड़ा वसूल रहे प्राइवेट एंबुलेंस चालक, प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई

कोरोना के नाम पर सुपौल में एंबुलेंस चालक ज्यादा पैसा ले रहे हैं। इससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे आश्चर्य की बात है कि ऐसे एंबुलेंस वालों को रोकने व टोकने वाला कोई नहीं है। जिला प्रशासन ने रेट तय नहीं किया है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 05:57 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 05:57 PM (IST)
कोरोना के नाम पर मनमाना भाड़ा वसूल रहे प्राइवेट एंबुलेंस चालक, प्रशासन नहीं कर रहा कार्रवाई
कोरोना के नाम पर सुपौल में एंबुलेंस चालक ज्यादा पैसा ले रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सुपौल। कोरोना के चलते हर जगह हर कोई परेशान है। बावजूद ऐसे लोगों की कमी नहीं जो मानवता की सेवा के बदले आपदा में अवसर तलाशने से भी बाज नहीं आ रहे। ऐसी विकट परिस्थिति के बीच प्राइवेट एंबुलेंस वाले मौके का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। यूं कहा जाय कि कोरोना काल में एंबुलेंस वालों की चांदी कट रही है। कोरोना के मामले नित्य नये रिकार्ड बना रहा है और प्राइवेट एंबुलेस वाले हैं कि मरीज के परिजनों से मनमाना भाड़ा वसूल रहे हैं। सबसे आश्चर्य की बात है कि ऐसे एंबुलेंस वालों को रोकने व टोकने वाला कोई नहीं है।

प्राइवेट एंबुलेंस वाले सामान्य भाड़े से हजारों रूपये अधिक मरीज के परिजनों से वसूल रहे हैं। मालूम हो कि फिलहाल कोरोना की जो स्थिति है उसे देखते हुए एंबुलेंस की डिमांड बढ़ गई है। ऐसे में प्राइवेट एंबुलेंस ड्राइवर मरीजों के हालत और पारिवारिक स्थिति के हिसाब से मनमाना किराया तय करते हैं। दरअसल प्राइवेट एंबुलेंस का कोई फिक्स रेट तय नहीं होने के चलते मरीजों के परिजनों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

वसूला जाता है दस से पन्द्रह हजार

कोराना के मरीज को पटना ले जाने के लिए दस से पन्द्रह हजार लिया जाता है। वहीं अन्य मरीज से आठ से दस हजार भाड़े के रूप में वसूला जाता है। मरीज के बिगड़ते हालात को देखते हुए परिजनों को मजबूरी में ये पैसे देने पड़ते हैं। मालूम हो कि सामान्य दिनों में वही प्राइवेट एंबुलेंस वाले छह से सात हजार में मरीज को पटना ले जाते थे। हालांकि प्राइवेट एंबुलेंस वाले डीजल के कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी का हवाला देते हैं।

उपलब्ध कराया एंबुलेंस

इधर विभागीय स्तर पर हर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को फिलहाल दो-दो एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया जो परिस्थिति के हिसाब से नाकाफी दिख रहा है। मरीजों की संख्या बढ़ रही है और इसके साथ ही प्राइवेट एंबुलेंस वालों की मनमानी भी बढ़ती जा रही है। प्राइवेट एंबुलेंस वालों के मनमाना पूर्ण रवैये के बीच मरीज के परिजनों के सामने क्या करें और क्या न करें की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

chat bot
आपका साथी