भागलपुर में बढ़ रहा प्रदूषण

बढ़ते प्रदूषण के कारण भागलपुर शहर भी अब दिल्ली की तरह मेडिकल इमरजेंसी की ओर बढ़ रहा है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ)

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Nov 2019 04:47 PM (IST) Updated:Fri, 15 Nov 2019 04:47 PM (IST)
भागलपुर में बढ़ रहा प्रदूषण
भागलपुर में बढ़ रहा प्रदूषण

भागलपुर। बढ़ते प्रदूषण के कारण भागलपुर शहर भी अब दिल्ली की तरह मेडिकल इमरजेंसी की ओर बढ़ रहा है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 811 माइक्रो ग्राम घन मीटर के पार जा चुका है। यह बेहद खतरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रहा है।

बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) सबौर में मौसम और पर्यावरण की जानकारी के लिए डिजिटल बोर्ड लगा है। इसमें एक्यूआइ अक्सर 811 माइक्रो ग्राम घन मीटर तक दिखता है। यह हालात शहर से 10 किलोमीटर दूर की है। ऐसे में शहर में प्रदूषण के हालत का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। अगर यह स्थिति लगातार बनी रही तो स्वास्थ्य को बुरा प्रभावित करेगा।

क्यों हो रहे हैं ऐसे हालात

एनएच पर उड़ रही धूल और पुरानी गाड़ियों से निकल रहे धुएं की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो रही है। बीएयू के मौसम विज्ञानी डॉ. वीरेंद्र कुमार का कहना है कि एनएच पर धूल उड़ने के कारण कभी-कभी ऐसी स्थिति हो जाती है। अगर यह स्थिति लगातार बनी रही तो खतरनाक है।

क्या होता है एयर क्वालिटी इंडेक्स?

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) का प्रयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा हवा में प्रदूषण की मात्रा मापने के लिए किया जाता है। जैसे-जैसे एक्यूआइ बढ़ता है तो लोगों में सास संबंधी बीमारिया बढ़ने लगती हैं। भारत में 17 सितंबर 2014 को इसकी शुरुआत हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर नेशनल एयर मॉनिटरिग रेटिंग प्रोग्राम बनाता है। प्रोग्राम के तहत कुल 240 शहरों के 342 स्टेशन के लिए हवा में प्लूशन लेवल चेक किया जाता है। एक्यूआइ के हिसाब से हवा को 6 कैटगरी में बाटा गया है। इनमें अच्छा, संतोषजनक, सामान्य, खराब, बहुत खराब और खतरनाक शमिल हैं।

अगले तीन दिनों में दो से तीन डिग्री तक गिरेगा पारा, बढ़ेगी ठंड

हवा का रूख पछुआ होते ही मौसम के मिजाज में बदलाव शुरू हो गया है। ठंड बढ़ने लगी है। बीएयू कृषि मौसम वैज्ञानिक प्रो. बीरेंद्र कुमार की माने तो अगले तीन दिनों में अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री तक गिरावट आ सकती है। मौसम वैज्ञानिक ने कहा कि तापमान में गिरावट से रबी फसलों को काफी फायदा होगा। उसमें कल्ले अधिक आएंगे और उत्पादकता भी बढ़ेगी। वहीं, तापमान अधिक होने से इस मौसम में फसलों में बढ़वार अधिक हो जाती है, इससे कल्ले कम निकलते हैं। 11 नवंबर को अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान क्रमश 32 और 21 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था, जबकि गुरुवार का तापमान क्रमश: 29 और 17 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है। पछुआ हवा औसतन पांच किलोमीटर की गति से चल रही है।

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