मुंगेर विश्वविद्यालय : छह कालेजों में होती है संस्कृत की पढ़ाई, चौंकाने वाले हैं नामांकन का आंकड़ा

मुंगेर विश्वविद्यालय देव भाषा संस्कृत से दूर हो रहा देश का भविष्य। 936 सीट पर 21 विद्यार्थियों ने कराया है नामांकन। छात्राओं में ज्यादा दिख रही भाषा को लेकर उदासीनता। दो महिला कालेज में एक का हुआ नामांकन।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Sep 2022 03:38 PM (IST) Updated:Tue, 27 Sep 2022 03:38 PM (IST)
मुंगेर विश्वविद्यालय : छह कालेजों में होती है संस्कृत की पढ़ाई, चौंकाने वाले हैं नामांकन का आंकड़ा
मुंगेर विश्वविद्यालय : संस्‍कृत की शिक्षा के प्रति छात्रों की रूचि नहीं।

अजीत पाठक, मुंगेर। मुंगेर विश्वविद्यालय : नई शिक्षा नीति में भाषा को बढ़ाने देने का प्राविधान है। देवभाषा से अब नई पीढ़ी के युवा दूर हो रहे है। कभी देवभाषा संस्कृत के श्लोक शिक्षण संस्थानों में सुनाई पड़ते थे। नई युवा पीढ़ी में संस्कृत को लेकर कोई उत्सुकता नजर नहीं आ रही है। इसका मुख्य वजह जागरूकता की कमी है। मुंगेर विश्वविद्यालय के 17 अंगीभूत कालेजों में छह कालेजों में संस्कृत की पढ़ाई होती है। नामांकन का आंकड़ा चौकाने वाला है। सत्र 2020- 23 में 936 सीटों में मात्र 21 विद्यार्थियों ने ही नामांकन कराया है। छह कालेजों में आरडी एंड डीजे कालेज को छोड़कर दो अंक का आंकड़ा पार नहीं कर पाया है। महिला कालेज खगडिय़ा में 156 में सीटों में एक भी छात्र ने नामांकन नहीं कराया है। मुंगेर विश्वविद्यालय में संस्कृत विषयों में पांच शिक्षक कार्यरत हैं।

दो महिला कालेज में एक छात्राओं ने कराया नामांकन

संस्कृत के प्रति छात्राओं में काफी उदसीनता दिख रही है। मुंगेर विश्वविद्यालय के दो महिला कालेज में संस्कृत की पढ़ाई होती। 2021- 23 में महिला कालेज खगडिय़ा में एक भी छात्रा ने नामांकन नहीं कराया है। बीआरएम कालेज मुंगेर में मात्र एक छात्रा ने नामांकन कराया है। इन दोनों कालेजों में कुल 312 सीटें है। वहीं, आरडी एंड डीजे कालेज में 156 सीट में 15, एसकेआर कालेज बरबीघा में 156 सीटों में तीन, आरडी कालेज शेखपुरा में 156 सीटों में एक व जमालपुर कालेज जमालपुर में 156 सीटों में एक छात्र ने नामांकन कराया है।

नामांकन समिति के पदाधिकारी की सुने

मुंगेर विश्वविद्यालय के नामांकन समिति के पदाधिकारी सह डीएसडब्ल्यू डा. अनुप कुमार ने बताया कि मुंगेर विश्वविद्यालय में संस्कृत विषय में छात्रों की संख्या बढ़े, इसे लेकर लगातार प्रयास जारी है। छात्र आधुनिकता के दौर में देवभाषा संस्कृत के प्रति उदासीन बने हुए है। संस्कृत विषय में रोजगार की असीम संभावनाएं है। नई शिक्षा नीति में भाषा पर जोर दिया गया है। उम्मीद है कि नई शिक्षा नीति के प्रविधान को लेकर नामांकन का आंकड़ा बढ़ेगा।

संस्कृत विषय में रोजगार की अपार संभावनाएं है

आरडी एंड डीजे कालेज के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डा. विश्वजीत विद्यालंकर ने बताया कि सस्कृत विषय में यदि छात्र मनोयोग से पढ़ाई करें तो रोजगार की असीम संभावनाएं है। छात्र राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवाओं, संघ लोक सेवा के माध्यम से पदाधिकारी बन सकते हैं। संस्कृत से स्नातक प्रतिष्ठा करने वाले छात्र राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान लालबहादुर संस्कृत महाविद्यालय आदि स्थानों से कम खर्च पर बीएड, एमएड कर के अध्यापन के क्षेत्र में जा सकते हैं। एमए, पीएचडी करके कालेजों में प्रोफेसर बन सकते हैं।सेना में धार्मिक शिक्षक बनने के लिए संस्कृत से स्नातक की डिग्री अनिवार्य है। साथ ही पुरातत्व व ज्योतिष शास्त्र में भी अपना सुनहरा कैरियर बना सकते हैं। संस्कृत पढऩे वाले छात्र भारत ही नहीं विदेशों में भी अपना करियर बना सकते हैं। यह एक ऐसा विषय है इसके अध्ययन करने से रोजगार के द्वार खुल जाते है।

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