दिवंगत वीसी प्रो. नलिनी कांत झा ने अपने पिता से ली थी संस्कृति व भारतीय दर्शन की शिक्षा

दिवंगत वीसी डॉ. नलिनी कांत झा के पहले गुरु उनके पिता ही थे। डॉ. झा ने अपने पिता से संस्कृति और भारतीय दर्शन की शिक्षा ली थी। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताबों में भी किया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 06 Nov 2018 04:41 PM (IST) Updated:Tue, 06 Nov 2018 04:41 PM (IST)
दिवंगत वीसी प्रो. नलिनी कांत झा ने अपने पिता से ली थी संस्कृति व भारतीय दर्शन की शिक्षा
दिवंगत वीसी प्रो. नलिनी कांत झा ने अपने पिता से ली थी संस्कृति व भारतीय दर्शन की शिक्षा

भागलपुर (जेएनएन)। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नलिनी कांत झा के पहले गुरु उनके पिता ही थे। डॉ. झा ने अपने पिता पंडित श्यामा कांत झा से संस्कृति और भारतीय दर्शन की शिक्षा ली थी। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताबों में भी किया है। जब भागलपुर पढऩे आए थे तो उनके गुरु बने राजनीति विज्ञान के शिक्षक प्रो. अवधेश कुमार। इनसे उन्होंने राजनीति विज्ञान के संबंध में कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की थी।

भागलपुर विवि के बाद वे मिथिला विवि में पढऩे गए थे। जहां उन्होंने प्रो. शंकर कुमार झा से तीन बातें सीखी थीं। उन्हें बताया गया था कि सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं रहना चाहिए। अन्य जानकारी के लिए मैगजीन और अखबार पढऩा जरूरी है। अंग्रेजी पर अधिकार होना चाहिए, नहीं तो बिहार-यूपी के बनकर रह जाओगे। सिर्फ दिमाग और आंख मूंदकर काम मत करो। प्रो. झा ने नलिनी कांत को प्रश्नों का जवाब देना भी बताया था। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रो. विमल प्रसाद से कठिन और सरल भाषा के संबंध में जानकारी मिली थी।

प्रो. विमल ने उन्हें बताया था कि कभी भी गुणवत्ता से समझौता नहीं करना चाहिए। जब प्रो. नलिनी कांत कैलिफोर्निया विवि गए थे तो प्रो. लियो रोज, जिन्हें गुलाब सिंह कहा जाता था से कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली थी। प्रो. लियो 80 वर्ष की उम्र में उन्हें रिसीव करने आए थे। प्रो. लियो अपनी किताब की आलोचना के बाद भी प्रो. नलिनी कांत का सहयोग करते रहे थे। 2005 में जब लियो का निधन हुआ तब प्रो. झा ने तीन दिनों तक भोजन नहीं किया था। प्रो. झा अंतिम सांस तक अपने पिता और गुरु के बताए रास्ते पर चलते रहे।

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