सूबे की तरक्की में वरदान साबित हो सकता है कोसी का पानी, जल संरक्षण के प्रति लोग गंभीर नहीं

कोसी का जल जहां वरदान साबित हो सकता है। उसे आज तक अभिशाप माना जाता रहा। सलामती है कि भूजल का स्तर गिरा नहीं है और कोसी जैसी नदी इसी होकर बहती है। अन्यथा पानी के साथ-साथ दाने को भी मोहताज हो जाते यहां के लोग।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 09:59 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 09:59 PM (IST)
सूबे की तरक्की में वरदान साबित हो सकता है कोसी का पानी, जल संरक्षण के प्रति लोग गंभीर नहीं
नेपाल और अन्य इलाके में बारिश के बाद उफान पर कोसी

सुपौल [भरत कुमार झा]। जल को ले कई प्रदेशों व महानगरों में हायतौबा मचता है। टैंकर से पानी लोगों को मुहैया कराया जाता है। पानी के लिए लंबी कतार लगती है और काफी जद्दोजहद के बाद लोगों को पानी नसीब हो पाता है। किन्तु यह विडंबना नहीं तो क्या है। जल की उपलब्धता के कारण जलांचल के नाम से विख्यात कोसी के इलाके में जल संरक्षण को ले लोग गंभीर नहीं हैं। आज तक रहनुमाओं ने इस ओर देखने तक की जहमत नहीं उठाई। कोसी का जल जहां वरदान साबित हो सकता है। उसे आज तक अभिशाप माना जाता रहा। सलामती है कि भूजल का स्तर गिरा नहीं है और कोसी जैसी नदी इसी होकर बहती है। अन्यथा पानी के साथ-साथ दाने को भी मोहताज हो जाते यहां के लोग।

अपने विभिन्न रूपों में दिखती रही है कोसी

कोसी नदी जब उन्मुक्त बहती थी तो यह बिहार के शोक के नाम से जानी जाती थी। प्रत्येक वर्ष बाढ़ के इलाके में इसका कहर बरपता था और बालू की चादर निशान के रूप में बिछ जाती थी। सरकारी प्रयास से कोसी तो बांध दी गई और तत्पश्चात उससे नहरें निकालने का सिलसिला शुरू हुआ। मुख्य नहरें बनी, उससे शाखा नहर, वितरणी, ग्रामीण वितरणी और ग्रामीण नाला का निर्माण हुआ। इसके सार्थक परिणाम सामने आये और लहलहाने लगे धान,गेहूं आदि फसल। काल क्रम में कोसी ने करवट बदली वर्ष 2008 में कुसहा में तटबंध टूट गया। देखते ही देखते कोसी ने लोगों को अपना वह रूप दिखा दिया जिसके लिये तटबंध निर्माण से पूर्व वह कुख्यात थी। अन्य विकास कार्यो के अलावा कोसी ने उन संरचनाओं को भी तहस-नहस कर दिया जिससे लोगों के खेतों की ङ्क्षसचाई होती थी।

जल के मामले में समृद्ध् है इलाका

यह इस इलाके की खुशकिस्मती ही है कि जहां सूबे के अन्य जिलों में जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है वहीं कोसी का इलाका जल के मामले में समृद्ध है। इस इलाके में जल की कोई समस्या नहीं। वर्तमान समय में भी जहां अन्य जिलों में 200 से 250 फीट बोङ्क्षरग करने के बाद पानी आता है वहीं कोसी के इलाके में दस से पंद्रह फीट खुदाई पर ही आसानी से पानी उपलब्ध हो जाता है। कोसी का सीपेज इलाका होने के कारण निकट भविष्य में भी जल स्तर में गिरावट की संभावना नहीं दिखती है।

कोसी में भी बिकता है डिब्बे का पानी

जल की प्रचूरता के बावजूद कोसी में भी डिब्बे का पानी बिका करता है। यहां जल की शुद्ध्ता का सवाल हो या फिर एक नया प्रचलन। लेकिन डिब्बे का पानी जहां घर-घर पहुंच रहा है वहीं एक ऐसा तबका भी है जो बोतलबंद पानी का इस्तेमाल किया करता है। ऐसे में कोसी के जल का सदुपयोग सोचा जाए तो कोसीवासियों के लिए वरदान साबित हो सकता है।

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