हाय री अस्पताल... तुम्हारी देहरी पर कोई तड़पकर तोड़ रहा दम, कोई मांग रहा मौत

भागलपुर में कोरोना का संक्रमण दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसके बावजूद अस्‍पताल में चिकित्‍सक मरीजों का इलाज नहीं करना चाहते। हर जगह कुव्‍यवस्‍था का आलम है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 21 Jul 2020 08:23 AM (IST) Updated:Tue, 21 Jul 2020 08:23 AM (IST)
हाय री अस्पताल... तुम्हारी देहरी पर कोई तड़पकर तोड़ रहा दम, कोई मांग रहा मौत
हाय री अस्पताल... तुम्हारी देहरी पर कोई तड़पकर तोड़ रहा दम, कोई मांग रहा मौत

भागलपुर, जेएनएन। डॉक्टरों का धरती का भगवान और अस्पताल को मंदिर की संज्ञा दी गई है। मरीज यहां इस उम्मीद में आते हैं कि रोग चाहे कितना ही गंभीर क्यों न हो, जान बच जाएगी, लेकिन भागलपुर के अस्पतालों की स्थिति अलहदा है। कुव्यवस्था का आलम इस कदर हावी है कि जीवन की संभावना लिए मरीज या तो दम तोड़ देते हैं या भगवान से अपने लिए मौत मांगने लगते हैं। 

चाहे जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) हो या सदर अस्पताल स्थिति एक सी है। डॉक्टर बेलगाम हैं, तो कर्मचारी भी उनसे कम नहीं। मरीजों के इलाज के लिए ही इनकी ड्यूटी लगाई जाती है। इसके एवज में वेतन के मद में मोटी रकम दी जाती है, लेकिन उन्हें इससे क्या? कुव्यवस्था देखिए, 17 जुलाई की रात कुछ देर के लिए बिजली क्या गई, आइसीयू में भर्ती निर्मला देवी की मौत हो गई। निर्मला वेंटिलेटर पर थीं। बिजली जाने के बाद ऑक्सीजन मिलना बंद हो गया। स्वजन परेशान थे। वे डॉक्टर और कर्मचारी को खोज रहे थे, जो थे ही नहीं। इसी दिन डॉक्टर के नहीं देखने आने से क्षुब्ध और परेशान 80 वर्षीय बुजुर्ग शंकर मंडल ने भगवान से मौत की दुआ मांगी। शनिवार को उनकी मौत भी हो गई। अस्पताल में आए दिन मरीजों के साथ ऐसा होता है।

इसके पहले आइसोलेशन वार्ड में कुव्यवस्था के चलते यूको बैंक मुख्य शाखा के सीनियर मैनेजर संतोष साहू की मौत हो गई। उनकी सांस तेज चल रही थी। उस वक्त भी डॉक्टर उन्हें देखने तक नहीं आए। ऑक्सीजन भी नहीं मिला। तड़प-तड़प कर उन्होंने दम तोड़ दिया। 

सप्ताह भर पहले गायनी आइसीयू में गंभीर मरीज को भर्ती करने के लिए जब स्वास्थ्य प्रबंधक ड्यूटी कर रही महिला डॉक्टर से कहा तो वह गुस्सा हो गईं। प्रबंधक से मरीज को भर्ती करने के लिए उनसे ही लिखित में मांगने लगीं। बताया तो यह जाता है कि भर्ती करने के विवाद को लेकर एक घंटा से ज्यादा देर तक मरीज को एंबुलेंस में रखा गया। जब भर्ती करने का समय आया तो उसकी मौत हो चुकी थी।

यही नहीं कटिहार से एक डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव थे, मायागंज अस्पताल की आइसीयू में भर्ती होने आए तो नर्स ने कहा कि आइसीयू प्रभारी कहेंगे तब भर्ती किया जाएगा। आखिरकार उनकी पैरवी भी काम नहीं आई। पैसे वाले थे इस कारण पटना एम्स में भर्ती हो गए।

मौत की भीख मांगने का वायरल हुआ था वीडियो

जेएलएनएमसीएच की आइसीयू में भर्ती मरीज शंकर मंडल द्वारा मौत की भीख मांगने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। जिस यूनिट में भर्ती बुजुर्ग को किया गया था, उसके डॉक्टर कहते हैं कि उनकी याददाश्त कम हो गई थी। इसलिए ऐसा करते हैं। स्वजन वीडियो में यह कह रहे कि चार दिनों से डॉक्टर देखने नहीं आए हैं। अगर मरीज को दर्द है तो वह जरूर बयां करेगा, चाहे जवान हो या बुजुर्ग। जब मरीजों की खबर बनती है तो महज स्पष्टीकरण मांगकर खानापूर्ति भर कर दी जाती है।

रेफर में पिस कर रह जाते मरीज

ऐसे मरीजों की लंबी सूची है जिन्हें जेएलएनएमसीएच से सदर अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। वहीं सदर अस्पताल भी कोई रिस्क नहीं लेना चाहता और फिर से उसे रेफर कर देता है। इसी रेफर के खेल में मरीज की मौत हो जाती है। ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े हैं। सदर अस्पताल के डॉक्टर इमरजेंसी में आए सर्दी-खांसी के मरीज को भी कोरोना संक्रमित समझ लेते हैं। अगर थोड़ी चोट सिर में भी लगी है तो मायागंज रेफर करना उनकी रूटीन में शामिल है। अगर पैरवी है तो मरीज के इलाज के प्रति भी डॉक्टर सजग रहते है, अन्यथा जिंदगी बची तो भगवान भरोसे।

ऐसी बात नहीं है कि मरीजों का इलाज नहीं किया जाता। जितने मरीजों की मौत अस्पताल में होती है, उससे कई गुना ज्यादा मरीजों को स्वस्थ किया जा रहा है। जो डॉक्टर और कर्मचारी लापरवाही करेंगे, उन पर कार्रवाई होनी तय है। -  डॉ. कुमार गौरव, प्रभारी अधीक्षक, जेएलएनएमसीएच

सदर अस्पताल में इलाज करने के संसाधनों की कमी है। विशेषज्ञ भी नहीं हैं। इस वजह से गंभीर मरीज जब अस्पताल आते हैं तो उन्हें रेफर किया जाता है। इसके सिवाय और कोई रास्ता है भी नहीं। -   डॉ. एके मंडल, अधीक्षक, सदर अस्पताल

मुख्‍य बातें

- डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी के नहीं रहने के कारण आए दिन मरीजों की चली जाती है जान

- समय पर ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाता, सर्दी-खांसी होने पर मान लेते हैं कोरोना संक्रमित

- आइसीयू में भर्ती बुजुर्ग को चार दिनों से नहीं देख रहे थे डॉक्टर, परेशान होकर मांगी मौत

- 17 जुलाई की रात कुछ देर के लिए बिजली क्या गई, आइसीयू में भर्ती निर्मला देवी की मौत हो गई

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