भाजपा की राह पर चल पड़ा जदयू

भागलपुर । जदयू संगठन में कई 'जिला' अध्यक्ष हैं। इस पार्टी में अपने को 'जिला' अध्यक्ष या निर्वाचन पदाधिक

By Edited By: Publish:Sat, 30 Jul 2016 03:39 AM (IST) Updated:Sat, 30 Jul 2016 03:39 AM (IST)
भाजपा की राह पर चल पड़ा जदयू

भागलपुर । जदयू संगठन में कई 'जिला' अध्यक्ष हैं। इस पार्टी में अपने को 'जिला' अध्यक्ष या निर्वाचन पदाधिकारी कहलाने की नई परिपाटी शुरू हुई है। कोई अपने को जिला अध्यक्ष कहता है तो उनके विषय में सूचना यह दी जाती है कि वह 'ग्रामीण' जिलाध्यक्ष हैं। कोई नगर कमेटी के जिला अध्यक्ष हैं तो उनके विषय में यह सूचना दी गई कि नगर को भी जिला का दर्जा प्राप्त है। स्थिति यह है कि किसी भी स्तर पर किसी का कोई अंकुश नहीं दिख रहा है। जिन्हें पार्टी ने पूर्व में हटा दिया था वे भी अपने को युवा इकाई का जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष बताते हैं। हाल ही में युवा इकाई में संयोजक बनाया गया। यह संयोजक प्रखंडों में कमेटी बनाने लगे। फिर शुरू हो गया बवाल। सुल्तानगंज के अध्यक्ष ने तो संयोजक के अधिकार को चुनौती दे दी। नगर इकाई के निर्वाचन पदाधिकारी राकेश कुमार ओझा की मानें तो युवा इकाई के संयोजक शिशुपाल को सिर्फ सदस्यता अभियान चलाने के लिए जिम्मेदारी दी गई है। पूर्व जिला अध्यक्ष अर्जुन साह के हटने के बाद जो कमेटियां बनी हैं सभी में काफी घाघमेल है। लक्ष्मीकांत मंडल, पंचम श्रीवास्तव के कार्यकाल में जदयू में अनुशासन झलकता था। एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृति नहीं थी। अब

हर स्तर पर जदयू के नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं। पार्टी में उपर से नीचे पांव खींचने की नई परिपाटी शुरू हुई है। इस पार्टी में कहने को है कि संगठन मजबूत है लेकिन अंदर की स्थिति ठीक नहीं है। भाजपा संगठन भी इसी राह पर है। यहां भी आपस में एक दूसरे के प्रति काफी कटुता है। ठीक यही स्थिति जदयू की है। जब जिला अध्यक्ष विभूति गोस्वामी कोई बैठक या कोई आयोजन करते हैं तो इसमें नगर इकाई को नहीं बुलाया जाता है। नगर निर्वाचन अधिकारी ओझा कहते हैं कि पटल बाबू रोड का कार्यालय ग्रामीण जिला का है। उनका कार्यालय तो पटेल नगर में हैं। जदयू में आपसी मतभेद का स्तर इतना बढ़ गया है कि अब 'अध्यक्ष' एक दूसरे को पचा नहीं पा रहे हैं। एक इकाई की पूरी यूनिट के पीछे एक सांसद का आशीर्वाद है तो दूसरी इकाई के पीछे सरकार के एक मंत्री का हाथ है। दोनों स्तर पर संगठन को पैचअप करने की कोई कोशिश नहीं है। यहां तक कि परिसदन में आने वाले मंत्रियों का भी अलग-अलग स्वागत होता है। जिला अध्यक्ष (तथाकथित ग्रामीण) व नगर अध्यक्ष (तथाकथित जिला) एक दूसरे को सुहा भी नहीं रहे हैं। दोनों इकाई यह मान रही है कि खींचतान में पार्टी कमजोर होगी। गोस्वामी कहते हैं कि 'ओखरी' पर चढ़कर बराबरी नहीं की जा सकती। ये लोग राजनीति में नवसुखिये हैं। जो ऐसा कर रहे हैं और इस तरह की सोंच रखते हैं।

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