Bhagalpur LS Seat : शहरी क्षेत्र की ज्यादातर महिलाओं ने मतदान में नहीं दिखाई रुचि

भागलपुर विधानसभा में सबसे कम महिलाओं ने अपने मत का प्रयोग किया है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 46.15 फीसद महिलाओं ने वोट डाला है जबकि 153694 महिला वोटर हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sat, 20 Apr 2019 03:54 PM (IST) Updated:Sat, 20 Apr 2019 03:54 PM (IST)
Bhagalpur LS Seat : शहरी क्षेत्र की ज्यादातर महिलाओं ने मतदान में नहीं दिखाई रुचि
Bhagalpur LS Seat : शहरी क्षेत्र की ज्यादातर महिलाओं ने मतदान में नहीं दिखाई रुचि

भागलपुर [जेएनएन]। इस बार लोकसभा चुनाव में महिलाएं फिर घर से वोट डालने के लिए निकली। पर, भागलपुर शहरी इलाके की महिलाओं ने निराश किया। हालांकि, जिला प्रशासन का दावा है कि वर्ष 2014 के चुनाव से इस बार एक फीसद अधिक महिलाओं ने मतदान में दिलचस्पी दिखाई है।

भागलपुर विधानसभा में सबसे कम महिलाओं ने अपने मत का प्रयोग किया है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 46.15 फीसद महिलाओं ने वोट डाला है, जबकि 1,53,694 महिला वोटर हैं। सबसे बड़ी बात है इस बार नगर निगम चुनाव में 36 वार्डों से महिला प्रतिनिधि ही चुनकर आई है। शहर की मेयर भी महिला ही है। बावजूद, महिलाएं घर से वोट देने नहीं निकली। सबसे ज्यादा कहलगांव विधानसभा में महिलाओं ने अपनी भागीदारी निभाई।

इस विधानसभा में 1,53, 096 महिला मतदाता है जिसमें 63.63 फीसद महिलाओं ने वोट दिया है। आंकड़े से अनुमान लगाए जाए तो यह साबित होता है कि ग्र्रामीण इलाके की महिलाएं मतदान के प्रति ज्यादा जागरूक है। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में महिलाओं की सक्रियता कम नहीं है। पीरपैंती विधान सभा क्षेत्र में 61.22 फीसद महिलाओं ने मतदान किया। इस इलाके में 1,52,465 महिला मतदाता है।

तीसरे नंबर पर नाथनगर विधान सभा में 60.15 फीसद महिलाओं ने मतदान किया। जबकि यहां महिला मतदाताओं की संख्या 14,8,897 है। गोपालपुर में 58.05 फीसद व बिहपुर में 56.27 फीसद महिलाओं ने अपना प्रत्याशी चुना। जबकि दोनों विधानसभा में मिलाकर 2,48,672 महिला मतदाता है। ग्र्रामीण इलाके में महिला मतदाताओं की भागीदारी से यह साबित हो रहा है वे शहरी इलाके की महिलाओं से ज्यादा जागरूक है। हालांकि शहरी इलाके में मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जिला प्रशासन ने दमखम लगा रखा था। रिचा झा को ब्रांड एंबेसडर बनाया था। जगह-जगह नुक्कड़ नाटक का भी मंचन हुआ, रैलियां निकाली गई। पर उसका असर शहरी इलाके में रत्ती भर नहीं हुआ। निराशा ही हाथ लगी।

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