दुर्गा पूजा : साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं दो से दस वर्ष तक की कन्या Bhagalpur News

कन्या पूजन के लिए जिन कन्याओं का चयन करें उनकी उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से अधिक ना हो। होम जप और दान से देवी उतनी प्रसन्न नहीं होतीं जितनी कन्या पूजन से।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Mon, 07 Oct 2019 01:01 PM (IST) Updated:Mon, 07 Oct 2019 01:01 PM (IST)
दुर्गा पूजा : साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं दो से दस वर्ष तक की कन्या Bhagalpur News
दुर्गा पूजा : साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं दो से दस वर्ष तक की कन्या Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। नवरात्र पूजन से जुड़ी कई परंपराएं हैं। इनमें से एक है कन्या पूजन। पं. राजेश मिश्र बताते हैं कि दो वर्ष से लेकर दस वर्ष तक की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी गई हैं। यही कारण है कि नवरात्र में इसी उम्र की कन्याओं के पैरों का पूजन कर भोजन कराया जाता है। मान्यता है कि होम, जप और दान से देवी उतनी प्रसन्न नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से।

कैसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन के लिए जिन कन्याओं का चयन करें, उनकी उम्र दो वर्ष से कम और दस वर्ष से अधिक ना हो। पूजन के दिन कन्याओं के पैर धोकर, रोली-अक्षत से पूजन कर भोजन कराना, फिर पैर छूकर यथाशक्ति दान देना चाहिए।

आयु अनुसार कन्या रूप

-बूढ़ानाथ के पुजारी पंडित सुनील झा के अनुसार दो वर्ष की कन्या (कुमारी) के पूजन से मां दु:ख और दरिद्रता दूर करती हैं।

-तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति का रूप मानी जाती हैं। इनके पूजन से परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

-चार वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है। इनकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है।

-पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कहलाती है। इसके पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।

-छह वर्ष की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है। इससे विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।

-सात वर्ष की कन्या चंडिका का रूप मानी जाती है। इसकी पूजा करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

-आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी कहलाती है। इनका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होता है।

-नौ वर्ष की कन्या दुर्गा कहलाती है। इनका पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है तथा असाध्य कार्य पूर्ण होते हैं।

-दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है।

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