सृजन घोटाला : बैंकों से राशि वसूली के जिला कल्याण विभाग करेगा मनी सूट, कल्याण पदाधिकारी जेल में Bhagalpur News

सृजन घोटाला मामले में कल्याण विभाग ने 241 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की वसूली के लिए संबंधित बैंकों पर मनी शूट दायर करने का निर्णय लिया है।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 03 Dec 2019 09:30 AM (IST) Updated:Tue, 03 Dec 2019 09:30 AM (IST)
सृजन घोटाला : बैंकों से राशि वसूली के जिला कल्याण विभाग करेगा मनी सूट, कल्याण पदाधिकारी जेल में Bhagalpur News
सृजन घोटाला : बैंकों से राशि वसूली के जिला कल्याण विभाग करेगा मनी सूट, कल्याण पदाधिकारी जेल में Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। कल्याण विभाग ने 241 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की वसूली के लिए संबंधित बैंकों पर मनी शूट दायर करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जिला कल्याण पदाधिकारी ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जन जाति विभाग से ढाई लाख और पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग विभाग से ढाई लाख रुपये की मांग की थी। पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग विभाग से ढाई लाख रुपये जारी कर दिया गया है। राशि डीएम के स्तर से भुगतान किया जाएगा।

इस संबंध में सरकार के उपसचिव अखिलेश कुमार सिंह ने महालेखकार के साथ-साथ डीएम को भी पत्र दिया है। डीएम को खर्च की सूचना देने के लिए भी कहा गया है। राशि मिल जाने के बाद अब मनी सूट दायर किया जाएगा। इसके पूर्व मनी सूट के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी गई थी। विभाग की ओर से बैंक ऑफ बड़ौदा और इंडियन बैंक पर नीलाम पत्र वाद दायर किया गया है। जिसकी सुनवाई 20 दिसंबर को होनी है।

जेल में बंद है अरुण कुमार

जिला कल्याण विभाग में 2007 से अगस्त 2017 के बीच जिला कल्याण पदाधिकारी के रूप में राम लला सिंह, ईश्वर चंद, ललन सिंह और अरुण कुमार कार्यरत थे। जबकि, कर्मचारी के रूप में महेश मंडल सहित दो अन्य कर्मी की भूमिका संदिग्ध थी। महेश मंडल सृजन घोटाला मामले में गिरफ्तार हुए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। घोटाला उजागर होने के बाद पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार को गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ सीबीआइ जांच कर रही है।

पूर्व एडीएम पर विभागीय कार्रवाई को लेकर हुई सुनवाई

सृजन घोटाला के आरोपी पूर्व एडीएम राजीव रंजन सिंह मामले की सुनवाई पटना में हुई। सुनवाई में पूर्व एडीएम उपस्थित नहीं हुए। सिंह के जेल में बंद रहने के कारण सुनवाई को तत्काल स्थगित कर दिया है। पूर्व एडीएम की सुनवाई पटना में विभागीय जांच आयुक्त कर रहे हैं। पूर्व एडीएम के जेल में बंद रहने के कारण जांच आयुक्त ने सामान्य प्रशासन विभाग से मंतव्य मांगा था। इससे पहले पूर्व एडीएम ने जेल में बंद रहने के कारण सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं रहने और अपनी बात नहीं रख पाने से संबंधित पत्र लिखा था। इसके आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने तत्काल मामले की सुनवाई को स्थगित करने की बात कही थी।

सबसे अधिक राजीव रंजन के समय हुई थी निकासी

जिला भू अर्जन कार्यालय की 333 करोड़ 44 लाख रुपये की अवैध निकासी हुई है। सबसे अधिक 285 करोड़ 32 लाख रुपये की अवैध निकासी के समय राजीव रंजन सिंह भू-अर्जन पदाधिकारी थे। एसआइटी की जांच में पूर्व एडीएम की घोटाले में संलिप्तता पाई गई थी। सीबीआइ जांच में उनकी संलिप्तता पाई गई है। फिलहाल वे पटना की जेल में बंद हैं।

सीबीआइ को इस सप्ताह सौंपी जाएगी रिपोर्ट

सृजन घोटाले में सहकारिता विभाग से सीबीआइ की ओर से हुए पत्रचार का जवाब और दस्तावेज इस सप्ताह सीबीआइ को सौंपी जाएगी। जिला सहकारिता पदाधिकारी जैनुल आब्दीन अंसारी ने सोमवार को सहकारिता प्रसार पदाधिकारी को तैयार रिपोर्ट सौंपने को कहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार किसी भी वक्त सहकारिता प्रसार पदाधिकारी रंजीत कुमार उक्त रिपोर्ट को सौंपने के लिए सीबीआइ मुख्यालय रवाना हो सकते हैं। सृजन कार्यालय की सुरक्षा में दो सुरक्षाकर्मी अभी रहेंगे तैनात: सबौर स्थित सृजन कार्यालय परिसर में अभिलेखों की सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मियों तैनात रहेंगे। जिला सहकारिता पदाधिकारी अंसारी ने इस बाबत वरीय प्रशासनिक पदाधिकारियों से सोमवार को पत्रचार किया है। उन्होंने कहा है कि अभिलेखों की सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मियों की तैनाती बरकरार रखना जरूरी है।

12 सीसीटीवी से रखी जा रही नजर : सृजन महिला विकास सहयोग समिति के कार्यालय परिसर में सबौर बीडीओ की रिपोर्ट पर 12 सीसीटीवी लगाए गए हैं। सीसीटीवी से परिसर और उसके इर्दगिर्द की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

सृजन घोटाले में नजारत के तत्कालीन प्रधान लिपिक नन्द किशोर मालवीय ने दी गवाही

1700 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले में सोमवार को सीबीआइ के गवाह भागलपुर जिले की नजारत के तत्कालीन प्रधान लिपिक नन्द किशोर मालवीय ने अपनी गवाही में सीबीआइ अदालत को बताया कि 2014 में बैंक विवरणी की गहन समीक्षा में घोटाला उजागर हुआ था। वह विशेष कोर्ट में दूसरी बार सृजन घोटाले के मामले में गवाही दे रहा था। मामले का ट्रायल शुरू हो चुका है।

गवाह मालवीय ने अदालत को बताया कि 27 सितम्बर 2014 को भागलपुर जिला नजारत के बैंक खाते में नगर विकास विभाग का 12 करोड़ 20 लाख 15 हजार 75 रुपये था। विभाग ने नई योजना पर कार्य करने के लिए रोक लगा रखी थी। विभाग ने यह भी आदेश जारी कर कहा था कि जिस योजना का कार्य पहले से चल रहा हो, लेकिन कार्य अधूरा रह गया है तो उसे पूरा करने पर रोक नहीं रहेगी। नगर विकास विभाग को 16.13 करोड़ रुपये से अधिक वापस कर दिया गया था। रोक के बावजूद खाते से नगर विकास विभाग का रुपया चेक के माध्यम से निकलता रहा। बैंक ने जिला नजारत को इसकी जानकारी नहीं दी। यह मामला भागलपुर कोतवाली थाना ने 7 अगस्त 2017 को दर्ज किया। बाद में सीबीआइ ने इस मामले को अपने हाथ में लेकर 25 अगस्त 2017 को प्राथमिकी दर्ज की। सीबीआइ ने 8 नवम्बर 2017 को इस मामले में आरोप पत्र दायर किया था। मामले में अगली गवाही 15 दिसम्बर को होगी।

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