Champa River Bihar: अमेरिका में भी गूंजी आवाज- कहां गुम हो गई चंपा, BANA ने की पहल

Champa River Bihar अमेरिका में बिहार एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका ने बड़ी पहल की। दैनिक जागरण के अभियान ‘कहां गुम हो गई चंपा’ से प्रभावित वहां रह रहे लोगों ने संगोष्‍ठी आयाजित की।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Tue, 03 Dec 2019 08:50 AM (IST) Updated:Tue, 03 Dec 2019 12:23 PM (IST)
Champa River Bihar: अमेरिका में भी गूंजी आवाज- कहां गुम हो गई चंपा, BANA ने की पहल
Champa River Bihar: अमेरिका में भी गूंजी आवाज- कहां गुम हो गई चंपा, BANA ने की पहल

भागलपुर [बलराम मिश्र]। Champa River Bihar: नदी से नाले में तब्दील हो चुकी चंपा के सवाल पर विदेश में भी चर्चा शुरू हो चुकी है। अमेरिका में रह रहे भागलपुर के लोगों ने यह मुद्दा उठाया है। वे इस पौराणिक नदी के पुनर्जीवन का सवाल न सिर्फ बिहार और भारत सरकार के समक्ष उठाएंगे, बल्कि अपने स्तर पर भी इसके उद्धार का हर प्रयास करेंगे।

अमेरिका में बिहार एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका (BANA) ने यह पहल की है। दैनिक जागरण के अभियान ‘कहां गुम हो गई चंपा’ से प्रभावित होकर वहां रह रहे लोगों ने टेक्सास स्टेट के केटी शहर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसका नेतृत्व भागलपुर के चंपानगर निवासी राजीव झा कर रहे थे। उन्होंने फोन पर बताया कि इसमें बाना से जुड़े दर्जनों लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें भागलपुर के साथ ही बिहार के अन्य हिस्सों के लोग शामिल हुए। उन्होंने दैनिक जागरण की इस मुहिम की सराहना करते हुए नदियों की दुर्दशा पर चिंता जाहिर की।

बिलबोर्ड पर दिखा चंपा का अभियान

बाना की ओर से न्यूयार्क सिटी के टाइम्स स्क्वायर बिल्डिंग और हॉस्टन के एनर्जी कॉरिडोर स्थित ब्रिअर, मीडोज बिल्डिंग स्थित बिलबोर्ड्स पर भी चंपा के इस अभियान की झलक दिखाई गई। इसमें बेगूसराय के सुमित आनंद, सीवान की सुजाता आनंद और संतोष वर्मा, कहलगांव के प्रभाकर सिन्हा, जमशेदपुर के रवि रंजन, कंकड़बाग, पटना के राकेश सिन्हा आदि ने भाग लिया।

राजीव झा ने कहा कि नदियां हमारी सभ्यता की मूल हैं। हमारा जीवन नदियों के कारण है। लेकिन बिहार की नदियां खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी हैं। चंपा उनमें एक है, जिसका गौरवशाली अतीत रहा है। इसके बावजूद इसके उत्थान का प्रयास नहीं किया गया। आज भी छठ के समय चंपा नदी का किनारा याद है, जहां हजारों लोग सुबह-शाम अविरल धारा में अर्घ्‍य देते थे। सरकार को भी इस दिशा में ठोस पहल करने की जरूरत है।

कहलगांव के प्रभाकर सिन्हा ने कहा कि आने वाले कल में नदियों की ये हालत बड़ी समस्या लेकर आएगी। ऐसे में हमें खुद चेत जाना चाहिए। नदियों को बचाने की ऐसी मुहिम से ही आम जनजीवन को फायदा होगा। प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि हम अपनी मिट्टी और जल संसाधनों को इतनी तेजी से नष्ट कर रहे हैं कि अगले दो दशकों में स्थिति भयावह होगी। इसलिए जागरुकता की जरूरत है, ताकि नदियों की रौनक लौट सके। सुमित आनंद ने कहा कि विकास के नाम पर हम विध्वंस कर रहे हैं। नदियों को बचाने की ऐसी मुहिम से लोगों को हर तरह से जुड़ना चाहिए, ताकि हमारा आने वाला भविष्य सुरक्षित हो सके। 

नदियों को बचाने के लिए सरकार उठाए सख्त कदम

चंपा नदी के मुद्दे पर अब विदेश में भी चर्चा शुरू होनी शुरू हो गई है। अमेरिका में रह रहे भागलपुर के लोगों ने टेक्सास स्टेट के केटी शहर में नदी पर परिचर्चा की। इसका नेतृत्व भागलपुर के चंपानगर निवासी राजीव झा ने किया। परिचर्चा के दौरान यह निष्कर्ष निकला कि नदियों को बचाने के लिए सरकार को सख्त कदम उठाना चाहिए। ताकि चंपा जैसी नदियों में कलकल धारा बहे। परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने कहा, हम नदी के संरक्षण की बात करते है तो बहुत ही अजीब सी भावना मन में उठती है। हम नदी को साफ सुथरा और स्वच्छ क्यों नहीं रख सकते हैं। जबकि हमारी आस्था से जुड़ी कहानी है। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि शिक्षा और जागरूकता से हम अपनी नदी का फिर से गौरव वापस ला पाएंगे। आज हम उतने कर्म-कांड और अन्य धार्मिक कार्य नहीं करते हैं जितने कि 50 वषों पहले करते थे। अब जरूरत है अपनी चंपा को पुनर्जीवित करने की।

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