Corona effect : प्रवासियों में कोरोना से ज्यादा रोजगार छिन जाने की कसक

श्रमिक ट्रेन रात 8.32 बजे एक नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंची। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद सभी को नाश्ता के बाद बसों से गृह जिला भेजा गया। जिला प्रशासन की ओर से 57 बसों की व्यवस्था की गई थी।

By Dilip ShuklaEdited By: Publish:Sun, 17 May 2020 07:56 AM (IST) Updated:Sun, 17 May 2020 07:56 AM (IST)
Corona effect : प्रवासियों में कोरोना से ज्यादा रोजगार छिन जाने की कसक
Corona effect : प्रवासियों में कोरोना से ज्यादा रोजगार छिन जाने की कसक

भागलपुर, जेएनएन। श्रमिक स्पेशल ट्रेन से 1344 प्रवासी दिल्ली से भागलपुर पहुंचे। इन प्रवासियों में कोरोना से ज्यादा रोजगार छिन जाने की कसक थी। वहां खाने के लाले पड़ गए थे। घर लौटने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा था। श्रमिक ट्रेन से भागलपुर के अलावा बांका, कटिहार और खगडिय़ा जिले के प्रवासी भी आए थे। प्रवासियों ने गृह राज्य में कदम रखते ही राहत की सांस ली। इन्हें कोरोना से ज्यादा रोजगार छिनने की चिंता थी। प्रवासियों की सुरक्षा में 273 जवान लगाए गए थे।

श्रमिक ट्रेन रात 8.32 बजे एक नंबर प्लेटफॉर्म पर पहुंची। थर्मल स्क्रीनिंग के बाद सभी को नाश्ता के बाद बसों से गृह जिला भेजा गया। जिला प्रशासन की ओर से 57 बसों की व्यवस्था की गई थी। स्टेशन को तीन बार सैनिटाइज किया गया।

दिल्ली सरकार ने नहीं ली सुध, नहीं मिला वेतन

श्रमिक ट्रेन से लौटे श्रमिकों ने कहा कि लॉकडाउन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दिल्ली की सरकार ने किसी तरह से मदद नहीं की। कटिहार के बरारी निवासी हेमंत कुमार ने बताया कि वह लक्ष्मीनगर स्थित श्यामा मुखर्जी स्कूल में संविदा पर चार सालों से शिक्षक हैं। मार्च से वेतन नहीं मिला। दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री और अधिकारियों से ईमेल के जरिये गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुध नहीं ली। अंत में लाचार होकर परिवार सहित लौटना पड़ा।

40 दिन पैदल चलने के बाद फिर पति के पास पहुंची

चालीस दिनों तक पांव पैदल चलती रही एक महिला आखिरकार अपने घर पहुंच गई। घर में पारिवारिक विवाद के कारण घर से निकली यह महिला भटक गई थी, लेकिन अब पति के पास पहुंचकर खुश है।

वह 22 मार्च को अपनी रिश्तेदार के यहां जाने के लिए भागलपुर से बांका जाने वाली ट्रेन पकडऩे को पहुंची। जानकारी नहीं होने के कारण दिल्ली जाने वाली ट्रेन पर बैठ गई। वह कानपुर पहुंच चुकी थी। उसके पास पैसे नहीं थे। तब तक लॉकडाउन लग चुका था। कुछ लोगों ने उससे कहा कि जीटी रोड पकड़ लो। वह पांव पैदल ही चल पड़ी। चार मई को बिहार-झारखंड की सीमा पर चौपारण स्थित चेकपोस्ट पहुंचने के बाद बेहोश होकर गिर पड़ी। स्थानीय प्रशासन ने उसे बनाहापा स्थित स्नेहदीप होलीक्रॉस में क्वारंटाइन कराया। उसकी कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई। हजारीबाग की समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने बताया कि उसकी यहां देखभाल की गई। इस दौरान उसके घर के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि कहलगांव की रहने वाली है। घर में विवाद के कारण रिश्तेदार के यहां जा रही थी, पर कानपुर पहुंच गई। लॉकडाउन के कारण कोई साधन नहीं था तो लौटने के लिए पैदल ही चल पड़ी। शिप्रा ने भागलपुर के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी से संपर्क स्थापित कराया उसका सत्यापन कराया। इसके बाद महिला को सकुशल बिहार-झारखंड की सीमा पर परिजनों को सौंप दिया।

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