Bihar News : 5 दिन पहले रिटायर हुआ सिविल सर्जन निकला नटवरलाल, पूर्णिया डीएम को जांच के निर्देश

Bihar News पूर्णिया में पांच दिन पहले रिटायर हुए सिविल सर्जन एसके वर्मा किसी नटवरलाल से कम नहीं हैं। अपने सगे संबंधियों के नाम पर लूट करने वाले पूर्व सीएस पर प्रमंडलीय आयुक्त ने निगरानी जांच के निर्देश डीएम को दिए हैं।

By Rajeev KumarEdited By: Publish:Tue, 04 Oct 2022 07:07 PM (IST) Updated:Tue, 04 Oct 2022 07:07 PM (IST)
Bihar News : 5 दिन पहले रिटायर हुआ सिविल सर्जन निकला नटवरलाल, पूर्णिया डीएम को जांच के निर्देश
Bihar News : पूर्व सीएस पर निगरानी जांच के लिए प्रमंडलीय आयुक्त ने DM को दिया निर्देश

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: पांच दिन पूर्व सेवानिवृत हुए पूर्णिया के पूर्व सिविल सर्जन एसके वर्मा द्वारा सगे-संबंधियों के नाम पर मचाई गई लूट की जांच अब निगरानी करेगी। प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ ने जिलाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर इस दिशा में पहल का निर्देश दिया है। सीएस द्वारा नियमों को ताक पर रखकर कार्य करने एवं अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए कई योजनाओं में आपूर्तिकर्ता बनाने संबंधी मामले में यह निर्णय लिया गया है।

बता दें कि आयुक्त के निर्देश पर जिलाधिकारी द्वारा पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की गई थी। टीम की जांच रिपोर्ट आने के बाद यह निर्देश दिया गया है। आयुक्त ने बताया की इस मामले में जितनी पेचीदगी है, उसे देखते हुए इस पूरे मामले की जांच निगरानी की टीम से कराने एवं सीएस एसके वर्मा के पूरे कार्यकाल में खर्च की गयी सरकारी राशि की जांच स्पेशल आडिट टीम से कराने के संबंध में पूर्णिया के जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है।

इसके अलावा सरकारी नियमों को ताक पर रखकर कार्य करने के मामले में भी पूर्व सीएस के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए जिलाधिकारी को निर्देशित किया गया है। पूर्व सीएस एसके वर्मा ने अपने पूर्णिया कार्यकाल में कई ऐसे कार्य किए है जिसका सरकारी कायदे कानून से कोई मतलब नहीं है। उनके द्वारा बड़ी संख्या में कार्य बिना किसी निविदा के ही मन वांछित लोगों आवंटित कर दिया गया है। ऐसे लोगों को न केवल कार्य आवंटित किया गया बल्कि उनको उस कार्य का भुगतान भी कर दिया गया।

- तीन सदस्यीय जांच कमेटी की रिपोर्ट से असंतुष्ट आयुक्त ने लिया फैसला - निगरानी जांच के लिए प्रमंडलीय आयुक्त ने डीएम को दिया निर्देश - सीएस के कार्यकाल के सभी वितीय मामलों की जांच करेगी स्पेशल आडिट टीम, नियमों को ताक पर रखकर हुआ है कार्य - बिना निविदा ही मनमाने ढंग से जिसे चाहा उसे दे दिया गया कार्य, बेटे व अन्य स्वजनों को पहुंचाया लाभ

निविदा डालने वाली एक ही कंपनी का निकला दो अलग-अलग पता

तीन सदस्यीय जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि दवा के लिए जिस क्लोरिस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने निविदा डाला था उस कंपनी का पता जांच में और कुछ निकला जबकि बाइक एंबुलेंस की आपूर्ति करने वाली क्लोरिस कपंनी का पता पूर्णिया इंदिरा गांधी स्टेडियम श्रीनगर रोड थाना केहाट है। जांच में यह बात भी खुलासा हुआ है कि बाइक एंबुलेंस की आपूर्ति करने वाली क्लोरिस कंपनी के निदेशक रूद्र नारायण घटक है जो सीएस के रिश्तेदार है जबकि इस कंपनी की ओर से अमन वर्मा ने 10 बाइक एंबुलेंस आपूर्ति करने का करार स्वास्थ्य विभाग के साथ किया है। क्लोरिस कंपनी की इस पेचीदगी को जांच टीम भी नहीं सुलझा पाई कि कौन कंपनी असली और कौन फर्जी कंपनी है।

महज दो संचिका की हुई जांच, इस चलते जताई गई निगरानी जांच की अनिवार्यता

कमिश्नर ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में यह भी कहा है कि तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने महज दो संचिका की जांच की है, जबकि सीएस के कार्यकाल के दौरान कई अन्य तरह की अनियमितता की संभावना बरकरार है। ऐसे में निगरानी जांच आवश्यक है। इसके अलावा प्राप्त जांच प्रतिवेदन एवं संलग्न साक्ष्यों के आधार पर सीएस के विरुद्ध आरोप पत्र- प्रपत्र क गठित कर बिहार पेंशन नियमावली के नियम 43-बी के तहत विभागीय कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रतिवेदन प्रेषित करने का निर्देश भी दिया गया है।

-यह है कमिश्नर के पूरे पत्र का मजमून

प्रमंडलीय आयुक्त के अनुसार जांच दल ने दो संचिका की जांच की है। उनके जांच प्रतिवेदन से स्पष्ट है कि डा एसके वर्मा ने पद का दुरुपयोग कर सगे संबंधियों को उपकृत किया है। उनके द्वारा वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया गया है। सरकारी सेवक आधार नियमावली 1976 में वर्णित नियमों के विरुद्ध काम किया गया है । यह कार्य आर्थिक अपराध एवं भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है। पत्र में आयुक्त ने पूर्व सिविल सर्जन के कार्य को आर्थिक अपराध एवं भ्रष्टाचार की श्रेणी में माना है।

इसके लिए प्रिवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1988 वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत भी उनके विरुद्ध कार्रवाई अपेक्षित मानी गई है। स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी के तौर पर डा एसके वर्मा 30 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उस स्थिति में जांच प्रतिवेदन के आधार पर उनके विरुद्ध बिहार पेंशन नियमावली के नियम 43बी के तहत कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव भेजने का भी निर्देश दिया गया है। पूर्व सिविल सर्जन द्वारा अन्य वित्तीय संव्यवहारों की जांच वित्त विभाग के विशेष अंकेक्षण दल से भी कराए जाने की आवश्यकता आयुक्त ने बताई है । पूर्व सीएस ने पदों के दुरुपयोग कर सगे संबंधियों को कार्य आवंटित किया है जो आर्थिक अपराध व भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है । इसके लिए निगरानी अन्वेषण ब्यूरो आर्थिक अपराध इकाई विशेष निगरानी इकाई से भी उनके कार्यकाल के लिए वित्तीय निर्णय एवं अन्य मामलों की तकनीकी जांच कराने की आवश्यकता है। प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ में इस संबंध में जिलाधिकारी को निर्देशों का अनुपालन एक सप्ताह के अंतर्गत निश्चित रूप से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और कार्रवाई से अवगत कराने का भी निर्देश दिया है।

ऐसे खुला था मामला

गौरतलब है कि प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ ने सामान्य जांच में सिविल सर्जन कार्यालय में और जिला स्वास्थ्य समिति में कई तरह की गड़बड़ी पाई थी। इसमें सिविल सर्जन के द्वारा सगे संबंधियों को कार्य आवंटित करने का भी मामला शामिल था। इसी संबंध में जिलाधिकारी को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था। उसी रिपोर्ट के आधार पर अब आयुक्त ने मामले में विभागीय कार्यवाही के लिए जिला अधिकारी को निर्देशित किया है। आयुक्त ने जांच रिपोर्ट के आधार पर स्पष्ट मानना है कि प्रमाणिक साक्ष है कि तत्कालीन सिविल सर्जन डा एसके वर्मा ने पद का दुरुपयोग कर अपने पुत्र के पक्ष में निर्णय लिया और प्रथम दृष्टया मामले में दोषी हैं।

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