बिहार नगर निकाय चुनाव: उहापोह की स्थिति में उम्मीदवार, आयोग की ओर लगी टकटकी

बिहार नगर निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट की ओर से फैसला आया और ये मीडिया में सुर्खियां बटोरने लगा लेकिन अब तक चुनाव आयोग की ओर से कोई फरमान नहीं आया है। ऐसे में उम्मीदवार उहापोह की स्थिति में हैं।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 05 Oct 2022 01:15 PM (IST) Updated:Wed, 05 Oct 2022 01:15 PM (IST)
बिहार नगर निकाय चुनाव: उहापोह की स्थिति में उम्मीदवार, आयोग की ओर लगी टकटकी
बिहार नगर निकाय चुनाव: अब तक नहीं आया कोई फरमान

जागरण टीम, जमुई : बिहार नगर निकाय चुनाव में आरक्षण के सवाल पर हाई कोर्ट का फैसला मीडिया में प्रसारित हो चुका है लेकिन चुनाव आयोग की ओर से अब तक कोई फरमान नहीं आया है। लिहाजा जिला प्रशासन से लेकर उम्मीदवारों तथा चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच उहापोह की स्थिति बनी है। जिला प्रशासन राज्य निर्वाचन आयोग की ओर टकटकी लगाए बैठा है तो स्थानीय स्तर पर निर्वाचन पदाधिकारी और चुनाव कर्मी से लेकर प्रत्याशी व उनके समर्थक भी अपडेट का इंतजार कर रहे हैं।

कई प्रत्याशी व उनके समर्थक मीडिया कर्मियों के मोबाइल की घंटी घनघना कर अपडेट होने की कोशिश कर रहे हैं। हाई कोर्ट के फैसले के बाद जमुई नगर परिषद के मुख्य एवं उप मुख्य पार्षद पद अब अनारक्षित की श्रेणी में होगा। लिहाजा यहां के दंगल में अब कई बड़े सूरमा होंगे। इससे इतर आरक्षित होने के कारण मुकाबले में रहने वाले उम्मीदवारों के लिए यह फैसला वज्रपात से कम नहीं साबित हुआ है। वैसे उम्मीदवारों के घर मातमी सन्नाटा पसर गया है। चाहने वाले समर्थक सामान्य सीट पर भी चुनावी जंग फतह करने का विश्वास दिला कर हौसला दे रहे हैं। निकाय चुनाव को लेकर आयोग की ओर लगी टकटकी, अब तक नहीं आया कोई फरमान - जमुई नगर परिषद में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए होगा घमासान - उम्मीदवारों में भी उहापोह, मीडिया कर्मियों से हो रहे हैं अपडेट - आरक्षण के कारण चुनाव से वंचित लोगों के मन में पकड़े लगा ख्याली पुलाव - दशहरा की बधाई के साथ टटोलने लगे नब्ज - पिछड़ा अति पिछड़ा सीट पर भाग्य आजमा रहे उम्मीदवारों की उम्मीद पर लगा ग्रहण

बहरहाल इन सबके बीच लोग तर्क के साथ कयास भी लगा रहे हैं और तरह-तरह की चर्चाएं भी फिजाओं में तैरने लगी है। लोग उम्मीदवारों द्वारा पानी की तरह पैसा बहाने और उसके बेकार चले जाने पर भी चुटकी लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। वैसे संभावना जताई जा रही है कि निर्वाचन प्रक्रिया फिर से शुरू होगी। इसमें प्रशासन को दोहरा मेहनत और डबल खर्च से मुक्ति मिलेगी। इधर पिछड़ा और अति पिछड़ा सीट पर आरक्षण के कारण चुनाव से वंचित रह जाने वाले लोगों के मन में ख्याली पुलाव पकने लगे हैं।

चुनाव मैदान में उतरने की चाहत रखने वाले लोग चाहने वालों को फोन कर दशहरा की बधाई देने के साथ-साथ हाईकोर्ट के फैसले पर भी बधाई दे रहे हैं। साथ ही आगे की रणनीति पर भी चर्चा कर नब्ज टटोलने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं।

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