बिहार: पाली हाउस और शेडनेट में बेमौसम फल और सब्‍जी की खेती करेंगे किसान, सरकार दे रही 75 फीसद तक अनुदान

बिहार के किसान पाली हाउस और शेड नेट में बेमौसम फल और सब्‍जी की खेती कर सकते हैं। इसके लिए सरकार मदद दे रही है। दोनों के निर्माण पर सरकार 75 फीसद तक अनुदान दे रही है। इसके निर्माण होने से...

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sun, 22 May 2022 07:14 AM (IST) Updated:Sun, 22 May 2022 07:14 AM (IST)
बिहार: पाली हाउस और शेडनेट में बेमौसम फल और सब्‍जी की खेती करेंगे किसान, सरकार दे रही 75 फीसद तक अनुदान
बिहार के किसान पाली हाउस और शेड नेट में बेमौसम फल और सब्‍जी की खेती कर सकते हैं।

संवाद सूत्र, बांका। बेमौसम सब्जी उत्पादन और फूल व विदेशी प्रभेद की सब्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा रास्ट्रीय कृषि योजना रफ्तार की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत किसान पाली हाउस और शेडनेट का निर्माण कर सालों भर फूल, विदेशी सब्जी और बेमौसम सब्जी की खेती कर सकते हैं। इस पर सरकार द्वारा 75 फीसद अनुदान दिया जा रहा है।

- जिले में पांच हजार हेक्टेयर में पालीहाउस और शेडनेट निर्माण का मिला है लक्ष्य -शेड नेट ओर पाली हाउस के अंदर हर मौसम में तापमान रहता है नियंत्र‍ित

सहायक निदेशक उद्यान डा. अमृता कुमारी ने बताया कि बेमौसम सब्जी की खेती, फूल और विदेशी सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए पाली हाउस और शेडनेट के निर्माण पर सरकार द्वारा किसानों को 75 फीसद अनुदान दिया जा रहा है। इसके लिए जिले में पांच हजार वर्ग मीटर में पालीहाउस और शेडनेट का निर्माण कराने का लक्ष्य प्राप्त हुआ है।

इसका लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान आनलाइन के माध्यम से आवेदन कर सकते है। योजना के तहत पहले आओ-पहले पाओं के तर्ज पर लाभ दिया जाएगा। इसके निर्माण से किसान विदेशी प्रभेद और बेमौसम सब्जी की खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। ज्ञात हो कि अभी ज‍िले में सब्‍जी की खेती का रकबा कम है। कुछ प्रखंडों में किसान सब्‍जी की खेती कर रहे हैं, लेकिन रजौन, धोरैया आदि प्रखंडों में इसका रकबा कम है। शेड नेट और पाली हाउस से किसान इसकी खेती आसानी से कर सकेंगे। 

जिले के अधिकांश किसान पारंपरिक तरीके से सब्जी की खेती करते है। इससे उन्हें ज्यादा लाभ नहीं होता है। शेडनेट और पालीहाउस में सब्जी की खेती कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है। इसका लाभ लेने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि इसका लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले। -डा. अमृता कुमारी, सहायक निदेशक उद्यान

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