Bihar Assembly Election 2020 : ऊपर से ठीक-ठाक, अंदरखाने में विरोध, जानें... भागलपुर के कुछ विधानसभा सीटों की स्थिति

Bihar Assembly Election 2020 भागलपुर जिले में कांगेस भाजपा और जदयू प्रत्याशियों को अपने बूते चुनाव लडऩा होगा। सुल्तानगंज व कहलगांव विस क्षेत्र में रोचक होगा मुकाबला। भागलपुर विधानसभा में भी कई प्रत्‍याशी ऐसे हैं जिससे परेशानी होगी।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Publish:Sun, 18 Oct 2020 09:21 AM (IST) Updated:Sun, 18 Oct 2020 09:21 AM (IST)
Bihar Assembly Election 2020 : ऊपर से ठीक-ठाक, अंदरखाने में विरोध, जानें... भागलपुर के कुछ विधानसभा सीटों की स्थिति
भितरघात की आशंका से प्रत्‍याशियों की बढ़ी बेचैनी।

भागलपुर [नवनीत मिश्र]। Bihar Assembly Election 2020 : सुल्तानगंज और कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनावी अखाड़े में उतरे प्रत्याशियों का जनसंपर्क अभियान तेज हो गया है। तस्वीर साफ होते ही सभी प्रत्याशी  पूरी तैयारी के साथ मैदान में है। दोनों ही विधानसभा क्षेत्र में इस बार कोई बागी प्रत्याशी खड़ा नहीं हुआ। इन दोनों विधानसभा क्षेत्र में ऊपर से सबकुछ ठीक-ठाक दिख रहा है, लेकिन अंदरखाने में विरोध चल रहा है।

पहले चरण में 28 अक्टूबर को सुल्तानगंज और कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में मतदान होने हैैं। दोनों ही विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख उम्मीदवारों को असंतुष्टों को झेलना पड़ेगा। सुल्तानगंज विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशियों को अपने ही लोगों का पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है। इस सीट पर भी धमाचौकड़ी मची हुई है। यहां पर भी असंतुष्ट दमखम दिखाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगे हैैं। यहां के एक कद्दावर नेता चुनाव से दूर नजर आ रहे हैं। इन्हें इस बार टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन टिकट दूसरे को मिल जाने के कारण वे चुनाव से दूर हो गए हैं। इनके समर्थक भी चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रहे हैं। समर्थकों का मानना है कि अगर वर्तमान प्रत्याशी की जीत होती हैं तो नेताजी का करियर समाप्त हो जाएगा। राजद के भी कई कद्दावर नेता क्षेत्र बदल लिए हैं। क्षेत्र में ऐसे नेता नजर नहीं आ रहे हैं। कुछ ऐसी ही स्थिति जदयू के साथ है। भाजपा नेता क्षेत्र में कम ही नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री की सभा में भी भाजपा नेता कम ही नजर आए। चुनाव कार्यालय खोलने के दौरान भी इक्के-दुक्के भाजपा नेता नजर आए। अंदरखाने चर्चा बहुत प्रकार की हो रही है। यहां से कांग्रेस व जदयू के अलावा लोजपा और रालोसपा प्रत्याशी भी मैदान में हैं।

कहलगांव सीट पर कांग्रेस व भाजपा के नेता चुनाव मैदान में हैं। मुख्य मुकाबला भी इनके ही बीच है। कांग्रेस के कद्दावर नेता सदानंद सिंह के पुत्र शुभानंद चुनाव मैदान में है। वहीं पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके पवन यादव को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। सदानंद सिंह दो-तीन वर्षों से अपने पुत्र को लगातार सामने ला रहे थे सो पार्टी के अंदर कोई विरोध नहीं हो रहा है। जबकि विरोधी वंशवाद को हवा दे रहे हैं। गठबंधन से राजद के कुछ बड़े नेता पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में शिफ्ट हो गए हैं। वह सीट गठबंधन से राजद के हिस्से में गई है।

भाजपा में शुरुआती दौर में एक नेत्री ने विरोध का झंडा उठाया और नामांकन भी कर दिया। बाद में उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। लोजपा ने यहां अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है।

दूसरे चरण में भागलपुर सीट भी पूर्व बिहार हॉट सीट कही जाती है। भारतीय जनता पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली विधानसभा सीट थी लेकिन दो चुनाव में यह सीट कांग्रेस के पाले में थी। हालांकि इस बार भागलपुर में कई ऐसे चेहरे सामने आ गए हैं जिससे एनडीए व महागठबंधन प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ गई है। विभिन्न दलों से वैसे उम्मीदवार जिनकी टिकट की ओर टकटकी थी, निर्दलीय बन मैदान में उतरने की घोषणा कर चुके हैं। उनकी घोषणा से पार्टियाें में टूट और भितरघात की आशंका बलवती हो गई है। जदयू व्यवसायी प्रकोष्ठ के नेता व पूर्व मेयर दीपक भुवानियां भी मैदान में कूदने को आतुर है। काफी मान-मनौव्वल के बाद भाजपा में शामिल हुए विजय साह एक बार फिर बागी हो गए हैं। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष सैयदशाह अली सज्जाद ने भी ताल ठोक दिया है।

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