भागलपुर नगर निगम: होल्‍ड‍िंंग टैक्‍स ने रोकी विकास की रफ्तार, लक्ष्‍य से 13 करोड़ रुपये अब भी पीछे

होल्‍डिंंग टैक्‍स ने भागलपुर में विकास की रफ्तार को रोक दिया है। यहां पर अब भी होल्‍ड‍िंंग टैक्‍स की वसूली लक्ष्‍य से 13 करोड़ पीछे है। साथ ही जिन लोगों ने टैक्‍स जमा कर दिया है उनका भी रिकार्ड नगर निगम के पास नहीं है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 11:42 AM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 11:42 AM (IST)
भागलपुर नगर निगम: होल्‍ड‍िंंग टैक्‍स ने रोकी विकास की रफ्तार, लक्ष्‍य से 13 करोड़ रुपये अब भी पीछे
होल्‍डिंंग टैक्‍स ने भागलपुर में विकास की रफ्तार को रोक दिया है।

योगेश मिश्र, भागलपुर। नगर निगम की टैक्स वसूली को लेकर बरती जा रही सुस्ती के कारण विकास पर ब्रेक लग गया है। इसकी बड़ी वजह निगम की अव्यवस्था है। टैक्स वसूली की व्यवस्था को अब तक सुविधाजनक नहीं बनाया जा सका है। सरकारी कार्यालयों में आनलाइन व्यवस्था है, जबकि निगम अभी भी रजिस्टर के सहारे है। कुछ लोगों ने टैक्स जमा भी कर दिया, उनका रिकार्ड निगम के पास नहीं है।

नगर निगम लाख प्रयास के बाद भी नगर निगम होल्डिंग टैक्स के लक्ष्य को पूरा नहीं पा रहा है। हालांकि लक्ष्य का पीछा करने के लिए निगम ने कई प्रलोभन दिए। यहां तक कहा कि लोग अपनी सुविधा के अनुसार नगर निगम कार्यालय में भी आकर टैक्स का भुगतान कर सकते हैं। उन्हें पांच प्रतिशत की छूट भी मिलेगी, पर उसका फलाफल नहीं निकला। सरकारी विभाग और शैक्षणिक संस्थाओं पर करीब 10 करोड़ का बकाया है। निगम अभी तक 23 करोड़ के लक्ष्य से 13 करोड़ दूर है, जबकि वित्तीय वर्ष समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष हैं।

पिछले वर्ष सिर्फ हो पाई थी 8.50 करोड़ की वसूली

गत वर्ष लाकडाउन के कारण करीब 23 करोड़ के लक्ष्य में 8.50 करोड़ का ही वसूली हो पाई थी। इस बार भी कोरोना संक्रमण के दौर में निगम के होङ्क्षल्डग टैक्स पर भी असर पड़ा है। अप्रैल में 2 करोड़ वसूली का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन एक करोड़ का आंकड़ा पार करना भारी पड़ रहा था। उस समय अधिकारियों का तर्क था, समय बहुत है। लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। टैक्स में पारदर्शिता को स्वकर गणना प्रपत्र की योजना वर्ष 2014 में लाई गई थी। वर्तमान में नगर निगम 76 हजार घरों से टैक्स लेता है। योजना के तहत अभी तक निगम 30 से 35 हजार लोगों से प्रपत्र भरवा पाया है। निगम को लग रहा था लोग गृहकर देने में हेराफेरी करते हैं, जिसका प्रभाव निगम के आंतरिक संसाधनों पर पड़ता है।

पुराने टैक्स स्लैब से ही गृहस्वामी कर रहे भुगतान

नगर निगम में जो गृहस्वामी दो दशक पहले दो मंजिल का किराया दे रहे थे, वो अब भी पुराने टैक्स स्लैब पर भुगतान कर रहे हैं, जबकि दो दशकों में कई लोग दो से तीन मंजिला भवन व कमरे का निर्माण कर रखे हैं, लेकिन निगम टैक्स वसूली के अपने सिस्टम को दुरुस्त नहीं कर पा रहा है। सभी सरकारी विभागों ने आनलाइन व्यवस्था कर रखी है, जबकि निगम अभी पूरे सिस्टम को रजिस्ट्रर पर रखे हैं। तहसीलदार के पास होङ्क्षल्डग टैक्स का रिकार्ड भी अपडेट नहीं है। अपडेट रजिस्ट्रर न रहने के कारण लोग टैक्स जमा नहीं कर रहे हैं। कुछ लोगों ने टैक्स जमा भी कर दिया है तो निगम में उसका डाटा दर्ज नहीं है। नतीजा, लोग परेशान हो रहे हैं।

51 पाश मशीनों में से अधिकतर पड़ी हैं खराब

नगर निगम के पास आनलाइन टैक्स भुगतान की कोई सुविधा नहीं है। इस व्यवस्था को अब तक दुरुस्त तक नहीं किया गया है। निगम की कर शाखा को टैक्स भुगतान के लिए करीब 51 पाश मशीनें उपलब्ध कराई गई थीं, जिनमें से अधिकांश खराब पड़ी हंै। पाश मशीनों को अब तक ठीक नहीं कराया गया है। इसके कारण लोग डेबिट कार्ड से भुगतान तक नहीं कर पा रहे हैं। स्वकर गणना प्रपत्र की योजना के तहत लोगों को नगर निगम के ई-म्यूनिसिपल एप पर अपलोड करना था। इससे गृहस्वामी के मोबाइल फोन पर यूनिट आईडी नंबर उपलब्ध कराया जाना था, ताकि उक्त आइडी पर गृहस्वामी अपने होङ्क्षल्डग टैक्स को आनलाइन माध्यम से जमा कर पाते, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लग गया।

टैक्स के पैसे से शहर में छोटे-मोटे कराए जाते हैं विकास

टैक्स की कम वसूली होने से विकास कार्य बाधित हो रहे हैं। टैक्स के पैसे का उपयोग छोटे-मोटे विकास कार्यों, छोटे निर्माण, घाटों को तैयार करने में किया जाता है। सरकार कार्यालयों के अलावा कई शैक्षणिक संस्थानों के पास कई सालों से टैक्स का पैसा बकाया है, पर कहीं से राशि का भुगतान नहीं हो सका है।

ये हैं निगम के राजस्व के स्रोत

अमीन शुल्क, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, भवन नक्शा, ट्रेड लाइसेंस, निविदा पत्र, विलंब रजिस्ट्रेशन शुल्क, होङ्क्षल्डग टैक्स, विवाह निबंधन, म्यूटेशन शुल्क, जल कनेक्शन, रोड कटिंग शुल्क, टैंकर चार्ज, दुकान भाड़ा आदि।  

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