576 वर्ष पुरानी बुखारी शरीफ व सुनहरा अकबरनामा मिला

By Edited By: Publish:Wed, 07 Nov 2012 02:23 AM (IST) Updated:Wed, 07 Nov 2012 02:24 AM (IST)
576 वर्ष पुरानी बुखारी शरीफ व सुनहरा अकबरनामा मिला

कामरान हाशमी, भागलपुर : राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन संसाधन केंद्र एवं पांडुलिपि संरक्षण केंद्र के अधिकारियों को 576 वर्ष पुरानी दुर्लभ पांडुलिपि (बुखारी शरीफ) मिली। इसके अलावा मुगल बादशाह अकबर के नौ रत्‍‌नों में शामिल अबुल फजल फैजी द्वारा लिखित 420 साल पुराना सुनहरा अकबरनामा भी मिला। सभी पांडुलिपियां काफी खराब स्थिति में हैं। ये पांडुलिपियां मुल्लाचक शरीफ स्थित आस्ताना शहबाजिया में मंगलवार को मिलीं।

इन्हें खोजने वाले अधिकारियों का मानना है, भागलपुर में अब तक किसी भी भाषा में मिली पांडुलिपियों में बुखारी शरीफ सबसे पुरानी और दुर्लभ है। आस्ताना शहबाजिया के सज्जादानशीं सैयद शाह इंतखाब आलम शहबाजी ने 576 साल पुरानी बुखारी शरीफ दिखाते हुए कहा, यह 839 हिजरी (1436 ई.) में लिपिबद्ध की गई थी। अहमद बिन अली बिन सईद द्वारा लिखित इस किताब में उनकी ही तहरीर में इसकी चर्चा भी की गई है। 396 पेज की यह किताब अरबी भाषा में है। किताब अब से 455 साल पूर्व बुखारा (इराक) भागलपुर आए हजरत शहबाज मुहम्मद भागलपुरी अपने साथ लाए थे। यह किताब उनके दादा सैयद खैरउद्दीन बुखारी के समय की है। किताब में यह भी स्पष्ट है कि बकरीद से पूर्व के महीने जीकादा (अरबी माह) में 14 तारीख दिन गुरुवार से इसे लिखना शुरू किया गया था। पूरी किताब की लिखावट स्पष्ट है।

इस दौरान मिला अकबरनामा 1592 में लिपिबद्ध हुआ था। इस पर सोने के पानी से आकृतियां उकेरी गई हैं। इसके पहले पन्ने पर मौजूद मेहराब सुनहरा है। इतना ही नहीं 998 पन्नों की इस किताब का पहला पन्ना पूरा सुनहरा है। प्रत्येक लाइन की लिखावट के नीचे सोने के पानी से लकीर खींची गई है। साथ ही इस पर स्याही (रोशनाई) से लिखा गया है। किताब के सभी पन्नों के बॉर्डर सुनहरे हैं।

अकबरनामा में अहमदाबाद, पाटन, जूनागढ़, खानदेश, मालवा, कश्मीर, पंजाब और बंगाल के युद्धों की स्थितियों की चर्चा है। इसमें इन स्थानों के वजीरों और सूबेदारों से संबंधित कुछ घटनाओं का जिक्र भी है। किताब के लेखक अबुल फजल अकबरी दौर के दरबारी उलेमा के सरदार माने जाते थे।

राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, पांडुलिपि संसाधन केंद्र एवं पांडुलिपि संरक्षण केंद्र पटना, संग्रहालय पटना के सर्वेयर डॉ. निशांत कुमार, सहायक संरक्षणविद डॉ. विजय कुमार मिश्रा और कटिहार से आए हुए मौलाना नूरुज्जमां मिस्बाही ने कहा, आस्ताना शहबाजिया से अभी बहुत कुछ मिल सकता है। हम लोग छह महीनों से भागलपुर जिले में ऐसी दुर्लभ पांडुलिपिया तलाश रहे हैं। इन्हें संरक्षित भी किया जाएगा। ताकि अगले दो-चार सौ सालों तक इनकी स्थिति खराब न हो।

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क्या है बुखारी शरीफ

यह हदीस है। हदीस में पैगंबर हजरत मुहम्मद की जीवनी के अलावा सहाबियों की जीवनी का भी उल्लेख है। कुरान के बाद इस्लाम धर्म में हदीस सबसे महत्वपूर्ण है। धार्मिक दृष्टि से यह पुस्तक इस्लाम के अनुयायियों को धर्म की मान्यताओं के अनुसार चलना सिखाती है।

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