पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण आयोजित

दाउदनगर प्रखंड कार्यालय सभाकक्ष में गुरुवार को हसपुरा प्रखंड के पंचायत प्रतिनिधियों दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। प्रशिक्षण का शनिवार को समापण होगा। प्रशिक्षण में हसपुरा के पीरु पुरहारा अमझरशरीफ डिडिर मलहारा डुमरा इटवां

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Aug 2019 07:47 PM (IST) Updated:Thu, 22 Aug 2019 07:47 PM (IST)
पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण आयोजित
पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण आयोजित

औरंगाबाद। दाउदनगर प्रखंड कार्यालय सभाकक्ष में गुरुवार को हसपुरा प्रखंड के पंचायत प्रतिनिधियों दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। प्रशिक्षण का शनिवार को समापण होगा। प्रशिक्षण में हसपुरा के पीरु, पुरहारा, अमझरशरीफ, डिडिर, मलहारा, डुमरा, इटवां, हसपुरा, टाल, सोनहथु, जैतपुर, धुसरी एवं कोइलवां पंचायत के सरपंच, उपसरपंच, ग्राम कचहरी सचिव, ग्राम कचहरी न्याय मित्र भाग ले रहे हैं। बताया गया कि सभी को पंचायती राज विभाग के निर्देशानुसार प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय चाणक्य विधि विश्वविद्यालय पटना के सेवानिवृत्त शिक्षकों द्वारा दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षकों द्वारा न्याय प्रक्रिया के बारे में बताया गया। बताया गया कि गुरुवार से शुरू प्रशिक्षण शुक्रवार को अवकाश होने के कारण शनिवार को समाप्त होगा उसके बाद सोमवार एवं मंगलवार को दाउदनगर प्रखंड के 15 पंचायतों के ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण होगा। प्रशिक्षण के दौरान हसपुरा के पंचायतों के सरपंच, उपसरपंच के अलावे न्याय मित्र अधिवक्ता बैजनाथ प्रसाद, अमरेंद्र कुमार, विश्वास चौधरी, अजय, सविता कुमारी, रेणु कुमारी समेत अन्य न्याय मित्र एवं न्याय सचिव उपस्थित रहे।

प्रशिक्षण के दौरान अव्यवस्था का माहौल देखने को मिला। प्रखंड कार्यालय सभाकक्ष में जैसे ही दो दिवसीय प्रशिक्षण की शुरुआत हुई तो उपस्थित कई ग्राम कचहरी के प्रतिनिधियों ने अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए रोष जताया। सभी ने कहा कि 56 ग्राम कचहरी के प्रतिनिधि प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचे हैं और कुर्सियों की संख्या करीब दो दर्जन है। पूरी तरह अव्यवस्था का माहौल है। पंखा नहीं चल रहा है। पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है। अधिवक्ता विश्वास चौधरी ने बताया कि इस अव्यवस्था की शिकायत सरपंच रणधीर कुमार द्वारा डीएम से की गई, जिसके बाद कुर्सी सहित अन्य व्यवस्था कराई गई, तब जाकर प्रशिक्षण शुरु हुआ। वहीं प्रशिक्षकों ने कहा कि उनका काम सिर्फ प्रशिक्षण देना है। व्यवस्था उपलब्ध कराना स्थानीय प्रशासन की जवाबदेही है।

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