सागरों का संगम है यह जगह पहुंचते हैं लाखों टूरिस्ट
भारत के दक्षिणी छोर पर बसा कन्याकुमारी हमेशा से ही टूरिस्ट्स की फेवरेट जगह रही है। हर साल कन्याकुमारी पहुंचने वाले देसी-विदेशी टूरिस्टों की संख्या लगभग 20 से 25 लाख के बीच रहती है। तमिलनाडु में स्थित कन्याकुमारी पहले केप कोमोरन के नाम से जाना जाता था। ये एक शांत
नई दिल्ली। भारत के दक्षिणी छोर पर बसा कन्याकुमारी हमेशा से ही टूरिस्ट्स की फेवरेट जगह रही है। हर साल कन्याकुमारी पहुंचने वाले देसी-विदेशी टूरिस्टों की संख्या लगभग 20 से 25 लाख के बीच रहती है। तमिलनाडु में स्थित कन्याकुमारी पहले केप कोमोरन के नाम से जाना जाता था। ये एक शांत शहर है। शहर का नाम देवी कन्या कुमारी के नाम पर पड़ा है। जिन्हें भगवान कृष्ण की बहन माना गया है। यह जगह चोला, चेरा, पण्ड्या और नायका राज्यों का घर रहा है। कला और धर्म-संस्कृति का पुराना गढ़ है। कन्याकुमारी में तीन समुद्रों-बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का मिलन होता है। इस स्थान को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।
कन्याकुमारी में देखने लायक बहुत सारे स्थान हैं.
विवेकानंद स्मारक : समुद्र के बीच में इसी जगह पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था। यहां उनकी विशाल आदमकद मूर्ति है। इसी के पास एक दूसरी चट्टान पर तमिल के संत कवि तिरूवल्लुवर की 133 फीट ऊंची मूर्ति है।
कुमारी अम्मन देवी के मंदिर में देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर 3000 साल से भी पुराना है। मंदिर को भगवान परशुराम ने स्थापित किया था।
महात्मा गांधी के अस्थि-अवशेषों को जिन कलशों में भरकर देश भर की पवित्र नदियों में प्रवाहित किया गया था, उनमें से एक कलश यहां पर रखा गया था। स्मारक की संरचना मंदिर, मस्जिद और चर्च के मिले-जुले आकार वाली है।
सनराइज और सनसेट
कन्याकुमारी अपने सनराइज के के लिए काफी फेमस है। सुबह हर होटल की छत पर सैलानियों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है।
कब जाएं
यहां सालभर गर्मी रहती है इसलिए कभी भी जाया जा सकता है। बारिश में यहां का नजारा अलग ही होता है। दिसंबर-जनवरी में भी यहां कई बार एयरकंडीशन की जरूरत पड़ जाती है।
कैसे पहुंचें
कन्याकुमारी देशभर से रेल द्वारा जुड़ा हुआ है। नजदीकी विमानतल त्रिवेंद्रम है. जो यहां से करीब 80 किमी दूर है।