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बिहार की ये डेस्टिनेशन्स नहीं हैं किसी से कम, एक बार तो जरूर घूमें

बिहार में घूमने के लिए ऐसी कई जगहें है जहां जाकर आप अपनी ट्रिप को न सिर्फ मजेदार बना सकते हैं। साथ ही आपको यहां सीखने के लिए बहुत कुछ मिलेगा।

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 02:25 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 03:54 PM (IST)
बिहार की ये डेस्टिनेशन्स नहीं हैं किसी से कम, एक बार तो जरूर घूमें
बिहार की ये डेस्टिनेशन्स नहीं हैं किसी से कम, एक बार तो जरूर घूमें

हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो कहीं घूमने के लिए हिल स्टेशन या बीच डेस्टिनेशन्स को चुनते हैं। ऐसे में ऑफ बीट डेस्टिनेशन भी कम खूबसूरत नहीं होती। आज हम आपको बिहार की उन डेस्टिनेशन्स के बारे में बताएंगे, जो पर्यटकों को बेहद पसंद आती हैं। अगर आप किसी काम से बिहार जाएं या ऑफ बीट डेस्टिनेशन्स पर घूमने का मन करें, तो आप बिहार की इन जगहों पर घूम सकते हैं। 

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बोध गया और महाबोधि मंदिर

बिहार के बोध गांव से ही बौद्ध संस्कृति का जन्म हुआ था और यहां का बोधगया तीर्थ स्थान इस बात का सबूत है। यहां मौजूद बोधि पेड़ के नीचे बैठकर ही भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी वजह से यह जगह यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage) शामिल है। बोधगया में कई बौद्ध मठ और मंदिर बने हुए हैं, जहां की खूबसूरती अपने आप में ही शानदार है। यहां महाबोधि विहार या महाबोधि मन्दिर, प्रसिद्ध बौद्ध विहार मौजूद है।

नालंदा यूनिवर्सिटी

बिहार में मौजूद यह यूनिवर्सिटी इतनी पॉपुलर है कि यहां सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत, इंडोनेशिया और तुर्की से भी विद्यार्थी बौद्ध धर्म को पढ़ने आते हैं। इसके पीछे वजह है यहां मौजूद बौद्ध-धर्म से जुड़े अवशेष। यह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है। 12वीं शताब्दी के बाद इस खूबसूरत स्थान के साथ तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया। इस स्थान के खंडहर हो जाने के बावजूद साल 2016 में इस स्थान को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO World Heritage) शामिल किया गया।

सासाराम

बिहार के इस स्थान पर मौजूद है सूर वंश के संस्थापक अफगान शासक शेरशाह सूरी की समाधि। यहां ही राजा शेर शाह सूरी का जन्म हुआ था। इसी के बाद वह दिल्ली पर शासन करने निकले थे, दिल्ली जाने से पहले बिहार का यही स्थान उनकी शक्ति का केंद्र हुआ करता था। इसी के साथ यहां कई सूफी संतों का बसेरा भी था। यह शानदार जगह झील के बिल्कुल बीचों-बीच मौजूद है।

सोनपुर

बिहार के सोनपुर इलाके में यह मेला हर साल नवंबर-दिसंबर (कार्तिक पूर्णिमा) में लगता है। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं। यहां हाथ, घोड़े, बैल, गाय, भैंस जैसे तमाम जानवरों को खरीदने और बेचने के अलावा तरह-तरह के कार्यक्रम होते हैं। सोनपुर मेले में नौका दौड़ाना, दंगल, वाटर सर्फिंग और पानी से कई और खेल खेले जाते हैं।

राजगीर

भगवान गौतम बुद्ध ने ही कई साल इसी स्थान पर उपदेश दिए थे। बौद्ध ही नहीं यह स्थान हिंदू और जैन धर्मों से जुड़े लोगों के बीच भी बहुत प्रसिद्ध है। इन सबके अलावा राजगीर कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था, जिसके बाद मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ।


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