चित्तौड़गढ़ में रानी पद्मावती के अलावा बहुत कुछ है खास, देखना न भूलें ये 7 जगह
चित्तौड़गढ़ का इतिहास रानी पद्मावती से अलग भी है, यानि यहां ऐसी बहुत-सी दिलचस्प चीजें हैं, जिनके बारे में न सिर्फ जानना चाहिए बल्कि आप यहां सैर-सपाटा भी कर सकते हैं.
एक तरफ ‘पद्मावती’ फिल्म पर बवाल मचा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ नेताओं की बयानबाजी भी लगातार सामने आ रही है. बढ़ते तनाव को देखते हुए चित्तौड़गढ़ के किले के मुख्य दरवाजे को बंद कर दिया गया. लेकिन जरा सोचिए, चित्तौड़गढ़ का इतिहास रानी पद्मावती से अलग भी है, यानि यहां ऐसी बहुत-सी दिलचस्प चीजें हैं, जिनके बारे में न सिर्फ जानना चाहिए बल्कि आप यहां सैर-सपाटा भी कर सकते हैं.
विजय स्तंभ
महाराजा कुंभ ने सन 1440 में मोहम्मद खिलजी के खिलाफ जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने 9 मंजिला मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां देवी-देवताओं की कई प्राचीन मूर्तियां रखी हुई है.
कृति स्तंभ
22 मीटर लंबे किले को जैन व्यापारियों ने बनवाया था. 12वीं सदी में बने इस स्तंभ में जैन मुनि दिगम्बर की कलाकृति बनी हुई है.
राणा कुंभ महल
चित्तौड़गढ़ के इतिहास में सबसे अहम जगहों में से एक. ऐसा माना जाता है कि महल के अंदर एक तहखाना बना था, जहां रानी पद्मिनी और महल की अन्य महिलाओं ने जौहर किया था.
मीरा मंदिर
1449 में राणा कुंभ ने भगवान विष्णु का मंदिर बनवाया था. जिसमें मंडप, खम्बे, कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियां बनी हुई है.
कालिका माता मंदिर
8वीं शताब्दी में बनाए गए इस मंदिर को पहले सूर्य देव मंदिर कहा जाता था लेकिन 14वीं शताब्दी में इसे बदलकर कालिका माता कर दिया गया.
चित्तौड़गढ़ के 7 किले
चित्तौड़गढ़ में 7 द्वार हैं. विभिन्न आकार और डिजाइन के इन द्वारों को पदन पोल, भैरों द्वार, हनुमान द्वार, जोरला द्वार, गणेश द्वार, लक्ष्मण द्वार और राम द्वार कहा जाता है.
फतेह प्रकाश महल या म्यूजियम
जैसा कि नाम से ही पता चलता इस म्यूजियम को फतेह प्रकाश महल ने बनवाया था. म्यूजियम में भगवान गणेश की बड़ी-सी मूर्ति लगी हुई है. इसके अलावा भी यहां ऐतिहासिक मूर्तियां और सिक्के रखे हुए हैं.