ट्रैवल स्पेशल : कला, संस्कृति और पकवानों का इतिहास है ताज महोत्सव, जानें कितना बदल गया स्वरूप
शुरूआती दौर में महोत्सव गांव में लगने वाले मेंलों की तरह ही दिखता था. दुकानें टेंट से सजाई जाती थीं, यहां तक की मंच भी तख्त का बना हुआ होता था.
आगरा में 10 दिनों तक चलने वाले सांस्कृतिक 'ताज महोत्सव' की शुरुआत गुरुवार को हुई. इस महोत्सव के उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन ताजमहल से करीब 500 मीटर दूर शिल्पग्राम कॉम्प्लेक्स में किया गया. ताज महोत्सव के अंतर्गत अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम दारा शिकोह लाइब्रेरी, क्वीन एम्प्रेस लाइब्रेरी, पालीवाल पार्क, गांधी मेमोरियल व सूर सदन ऑडिटोरियम में आयोजित किए जाएंगे. उत्तरप्रदेश की कला, संस्कृति और पकवानों का ताज महोत्सव से पुराना नाता रहा है. इसकी शुरूआत 1992 से हुई थी.
सबसे पहले 1992 में शुरू हुआ था फेस्टिवल
1992 से शुरु हुआ ताज महोत्सव आज भारतीयों का ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी भाता है. नई उमंग और तरंग के साथ शुरु हुआ महोत्सव का अब तक का सफर बड़ा ही शानदार रहा है. 1992 से शहर के सर्किट हाउस में हर साल शरद उत्सव हुआ करता था. हर साल वहां ऐसा ही मेला लगाया जाता था, लेकिन ताज के लिए पहचाने जाने वाले आगरा को एक ऐसे महोत्सव की जरूरत थी, जिसमें उन्हें भारतीय लोक कला, संस्कृति, संगीत और पकवानों स्वाद मिल सके. कुछ इसी सोच के साथ एक प्रयास किया गया.
शुरूआत में ऐसा होता था स्वरूप
शुरूआती दौर में महोत्सव गांव में लगने वाले मेंलों की तरह ही दिखता था. दुकानें टेंट से सजाई जाती थीं, यहां तक की मंच भी तख्त का बना हुआ होता था. 90 के दशक में जैसे-जैसे ग्लोबलाइजेशन पर जोर दिया, वैसे-वैसे फिर शुरु हुआ मेले को रोचक और आकर्षक बनाने का दौर, जिसमें महोत्सव को नई और रोचक थीम दी गई. प्रस्तुतियों में नया पन लाया गया, रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ नए नए करतब और हास्य व्यंग कलाकारों को भी स्थान दिया गया.
अब इतना बदल गया ताज महोत्सव
कार्यक्रम में शिरकत के लिए 25 से 27 फरवरी तक बॉलीवुड कलाकारों को आमंत्रित किया गया है. जानकारी के मुताबिक ताज महोत्सव के कुछ प्रोग्राम सूरसदन और पालीवाल पार्क में भी होंगे. 23 फरवरी को मुशायरा और 24 फरवरी को कवि सम्मेलन होगा. आपको अगर यूपी की संस्कृति का एक अलग अंदाज देखना है, तो आप ताज महोत्सव में शिरकत कर सकते हैं.