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डेस्टिनेशन : आभानेरी चांद बावड़ी का 9वीं सदी का इतिहास, जिसे जानने देश-विदेश से आते हैं टूरिस्ट

नगर सागर कुंड में दो जुड़वां सीढ़ीदार कुंए हैं, जो चौहान दरवाजे के बाहर स्थित हैं. इसका निर्माण बूंदी के लोगों के लिए सूखे के दौरान पानी के लिए कराया गया था.

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Fri, 12 Jan 2018 07:03 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2018 01:09 PM (IST)
डेस्टिनेशन : आभानेरी चांद बावड़ी का 9वीं सदी का इतिहास, जिसे जानने देश-विदेश से आते हैं टूरिस्ट
डेस्टिनेशन : आभानेरी चांद बावड़ी का 9वीं सदी का इतिहास, जिसे जानने देश-विदेश से आते हैं टूरिस्ट

ज्यादातर लोगों को घूमने-फिरने के साथ किसी जगह से जुड़ा इतिहास जानने का भी बड़ा शौक होता है. अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं, तो हम आपको राजस्थान की आभानेरी चांद बावड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 9वीं सदी से जुड़ा हुआ है. 

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9वीं शताब्दी में निर्मित इस बावड़ी का निर्माण राजा मिहिर भोज (जिन्हें कि चांद नाम से भी जाना जाता था) ने करवाया था, और उन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांद बावड़ी पड़ा. दुनिया की सबसे गहरी यह बावड़ी चारों ओर से लगभग 35 मीटर चौड़ी है तथा इस बावड़ी में ऊपर से नीचे तक पक्की सीढ़ियां बनी हुई हैं, जिससे पानी का स्तर चाहे कितना ही हो, आसानी से भरा जा सकता है. 13 मंजिला यह बावडी 100 फीट से भी ज्यादा गहरी है, जिसमें भूलभुलैया के रूप में 3500 सीढियां (अनुमानित) हैं. बावड़ी निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण भूत-प्रेतों द्वारा किया गया और इसे इतना गहरा इसलिए बनाया गया कि इसमें यदि कोई वस्तु गिर भी जाये, तो उसे वापस पाना असम्भव है.

बावड़ी के पास ही है ये कुंड घूमना न भूलें 

नगर सागर कुंड में दो जुड़वां सीढ़ीदार कुंए हैं, जो चौहान दरवाजे के बाहर स्थित हैं. इसका निर्माण बूंदी के लोगों के लिए सूखे के दौरान पानी के लिए कराया गया था. यह अपने चिनाई के काम के लिए प्रसिद्ध है.

कैसे पहुंचे : आप राजस्थान के अलवर से आभानेरी चांद बावली पहुंच सकते हैं. आपको बड़ी आसानी से अलवर के लिए ट्रेन या बस मिल जाएगी. फ्लाइट से आने के लिए आपको जयपुर एयरपोर्ट पहुंचना पड़ेगा. यहां से बस, ट्रैक्सी की मदद से यहां पहुंचा जा सकता है. 

 

खास जगह देखना न भूलें इन्हें 

बावड़ी वाटर हार्वेस्टिंग का खूबसूरत नमूना है.

यह धरोहर देश की सबसे बड़ी और गहरी बावड़ी में शुमार है.

यहां के राजा चांद ने 8वीं सदी में इसे बनवाया था.

घूमने के लिए सबसे बेस्ट टाइम : नवम्बर से मार्च 


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