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ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए जन्नत से कम नहीं है ये जगह, वीकेंड में कर सकते हैं एक्सप्लोर

खुबानी और बेर के हल्के गुलाबी और सफेद फूलों के रंगों से सजी बंजार घाटी शीतलता के साथ रोमांच का एहसास कराती है। ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए यह किसी जन्नत से कम नहीं। चलते हैं आज यहां

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 05:01 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 05:01 PM (IST)
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए जन्नत से कम नहीं है ये जगह, वीकेंड में कर सकते हैं एक्सप्लोर
ट्रैकिंग के शौकीनों के लिए जन्नत से कम नहीं है ये जगह, वीकेंड में कर सकते हैं एक्सप्लोर

बंजार घाटी प्रकृति प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग की तरह है। यहीं बसा है एक छोटा-सा गांव जीभी, जो पर्यटकों को अब खूब आकर्षित करता है। साल 2002 में हमेशा गुलजार रहने वाले हिमाचल के छोटे से टाउन बंजार से जंगल और खेतों के बीच बसे जीभी गांव तक जाना और वहां बसना किसी सजा से कम नहीं था। उस समय बस तीन-चार घर रहे होंगे, पर आज पर्यटन ने यहां के लेागों के चेहरे पर लालिमा ला दी है। 'गौरतलब है कि यहां कई ऐसे सुंदर गांव और दर्शनीय स्थल हैं, जो धीरे-धीरे पर्यटकों की पसंद बनते जा रहे हैं।

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ऋषियों की घाटी

कुल्लू घाटी के 18 ऋषियों में से श्रृंग (श्रृंगी) ऋषि का बंजार घाटी से ताल्लुक माना जाता है। घने वृक्षों के बीच से एक पैदल रास्ता श्रृंग ऋषि के मंदिर तक ले जाता है, जो दुर्गम स्थान पर स्थित है। मान्यता है कि दशरथ ने इसी पावन धरती पर श्रृंग ऋषि के कहने पर संतान-प्राप्ति के लिए यज्ञ किया था। कहा जाता है कि यहां के शांत वातावरण के कारण ही कुल्लू के अन्य ऋषि भी हर युग में यहां तप-साधना हेतु आते श्रृंग ऋषि को अपना रक्षक मानते हैं। श्रृंग ऋषि के मंदिर में बने लकड़ी के कपाल की पूजा आज भी स्थानीय लोग पूरी श्रद्धा से करते हैं। यह मंदिर भले ही पर्यटकों के लिए न खोला गया हो, लेकिन मंदिर के चारों ओर का वातावरण लोगों को सहसा खींच ही लेता है।

ओल्ड ब्रिटिश रूट अब है ट्रैकिंग रूट

ओल्ड ब्रिटिश रूट केवल मिट्टी और पत्थर से बना हुआ था। आज यह ओल्ड ब्रिटिश रूट, जो औत से शिमला तक फैला है, एक शानदार ट्रैकिंग एवं बाइकिंग रूट बन चुका है। अंग्रेजों के बनाए कुछ आलीशान गेस्ट हाउस हर 16 किलोमीटर पर खंडहर के रूप में स्थित हैं।

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का ऐश्र्वर्य

प्राकृतिक धरोहरों की श्रेणी में यूनेस्को व‌र्ल्ड हेरिटेज साइट की पदवी हासिल करने वाला यह ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क हैरी पॉटर की कहानियों का कोई रहस्यमयी जंगल-सा प्रतीत होता है। यहां आसमान को चूमते घने देवदार वृक्ष, हिमाचली पंछियों के मनमोहक सुर, पत्तों से छन कर जमीन पर गिरती कोमल धूप और महकते हुए रंगीन जंगली फूल इस घने जंगल में खुशनुमा वातावरण का सृजन करते हैं। पक्षी-प्रेमियों के लिए यह नेशनल पार्क किसी स्वर्गलोक से कम नहीं है। यहां पहाड़ी पक्षियों की लगभग 181 प्रजातियां पाई जाती हैं। आप ट्रेकिंग के माध्यम से भी इस उद्यान का आनंद ले सकते हैं।

ट्रैकिंग का रोमांच

अगर आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं तो साईं रोपा नामक गांव से आपको इस नेशनल पार्क में ट्रेकिंग करने और यहां के इको-जोन में स्थित गांवों में रहने की अनुमति मिल जाएगी। रंगथर टॉप, रोला जलप्रपात और शिल्ट हट ट्रेक इस पार्क के कुछ उम्दा ट्रेक्स हैं। बंजर टाउन से गुशैनी, सैंज तथा पेरखी जैसे गांवों से आपको ट्रेकिंग के लिए गाइड भी मिल जाएंगे।

जीभी जलप्रपात

एक ओर फलों के बागीचे और दूसरी ओर दूर तक फैले जंगल के बीच में स्थित पहाड़ी घरों से होते हुए गुजरता है जीभी जलप्रपात तक पहुंचने का रास्ता। मिट्टी एवं पत्थर से बने इस रास्ते पर चलने के लिए फैशनेबल जूते काम नहीं आते। इस जलप्रपात के धुआंधार बहते जल को सतरंगी आभा देते हुए दो इंद्रधनुष सृजित होते हैं। सुनहरी सुबह में सूर्य की कोमल किरणों से बने इंद्रधनुषों की यह जोड़ी पर्यटकों को उल्लास से भर देती है। अप्रैल व मई की गर्मियों में इस बर्फीले पानी में नहाने पर ऐसा महसूस होता है, मानो हमने तपते सूरज की किरणों को बर्फ में पिघला दिया हो। जीभी की सैर के दौरान कुदरत के इस करिश्मे को देखना तथा इसके ठंडी पानी में डुबकी लगाना न भूलें।

जलोड़ी पास: नर्म बर्फ की सफेद चादर

शिमला से बंजर घाटी का प्रवेशद्वार माना जानेवाला जलोरी पास घाटी के द्वार पर लगे फूलों के तोरण जैसा प्रतीत होता है। देवदार वृक्षों से ढके हुए पर्वतों की ढलानें अपनी चोटियों पर लगभग अप्रैल तक सफेद नर्म बर्फ की चादर संजोए रखती हैं। एक घाटी से दूसरी में प्रवेश करने के रास्ते को च्पास' कहा जाता है, किंतु जलोरी पास, घाटी की दो ऐतिहासिक धरोहरों से जोड़ती है- एक है पवित्र झील शिरोल्स्कर और दूसरा है रघुपुर किला। जलोरी पास की चोटी पर बने पठार पर नैना माता का मंदिर है। वसंत की शुरुआत में नैना माता की रथ-सवारी पूरी घाटी में हिमाचली संगीतवाद्यों के साथ निकाली जाती है। आने वाली फसलों के लिए प्रार्थना करने हेतु इस रथयात्रा का आयोजन होता है।

ठहरने का अनोखा एक्सपीरियंस

हिमाचली घरों में बसेरा घने जंगल या फिर सेब के बागानों में तंबू गाड़ कर जब आप सितारों से सजे आसमान के नीचे सोएंगे तो नजदीकी झरने का कलकल बहता पानी आपको सपनों की दुनिया में ले जाएगा। दरअसल, घाटी के करामाती नजारे किसी सपनों की दुनिया से कम नहीं हैं। फाइव स्टार होटल छोड़ कर टेंट में रहने का रोमांच अतुलनीय है। घ्याघी, जीभी तथा शोजा में अनगिनत कैंप साइट्स हैं। हर बजट में टेंट आसानी से मिल जाएंगे। स्थानीय लोगों ने भी अपने घरों के दरवाजे भी पहाड़ी जीवनशैली का अनुभव लेने के लिए यात्रियों के लिए खोल रखे हैं। च्होम स्टे' एक तरह से पहाड़ी परिवारों से मिलने-जुलने का मौका भी देतेहैं और स्थानीय व्यंजनों तथा संस्कृति से परिचय पाने का अवसर भी देते हैं। 

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