राजस्थान के इस किले पर हुए है सबसे ज्यादा आक्रमण, तैमूर लंग ने दी है इसे सबसे सुरक्षित किले की उपाधि
राजस्थान को किलों का गढ़ कहा जाता है और इस गढ़ में शामिल है भटनेर का किला। जिसके एक नहीं कई बार विदेशी आक्रमण हुए। जानेंगे और किन वजहों से खास है यह किला।
राजस्थान के हनुमानगढ़ में स्थित भाटनेर किला है बहुत ही पुराना और शानदार किला है। जो भारतीय इतिहास की कई सारी महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है। चारों तरफ मरूस्थल से घिरा यह किला राजस्थान की उत्तरी सीमा के प्रहरी के रूप में खड़ा है। सन् 1805 में बीकानेर के राजा सूरत सिंह ने यह किला भाटियों से जीत लिया था। मंगलवार के दिन हुई इस जीत को हनुमान जी से जोड़ा गया और उसके बाद ही इसका नाम हनुमानगढ़ रखा गया। भटनेर किले की बनावट और मजबूती ऐसी थी कि इसका जिक्र खुद तैमूर लंग ने अपनी जीवनी 'तुजुके तैमूर' में किया था।
किले की बनावट
किले का निर्माण 285 ई में भाटी राजा भूपत ने करवाया था। किले को पक्की ईंटों और चूने पत्थर से बनाया गया है। जिसमें 52 बुर्ज हैं। इसके ऊंचे दालान और दरबार तक घोड़ों के जाने के लिए संकरे रास्ते बने हुए हैं। इसके अलावा किले के अंदर हनुमान और शिव जी के कई मंदिर भी है। साथ ही शेर शाह सूरी की कब्र भी है।
किले की खासियत
राजस्थान के इस किले पर अकबर से लेकर पृथ्वीराज चौहान तक ने शासन किया है। हनुमानगढ़ का यह किला तकरीबन 1700 साल पुराना है। इल किले पर सबसे ज्यादा बार आक्रमण हुए। विदेशी आक्रमणकारियों की बात करें तो महमूद गजनवी ने 1001 ई में भटनेर दुर्ग पर कब्जा कर लिया था। 13वीं शताब्दी में गुलाम वंश के शासक बलबन के चचेरे भाई शेर खां ने यहां राज किया। और सन् 1398 में तैमूरलंग ने इसे अपने अधीन किया। जिसके बाद तैमून ने ये भी कहा कि उसने इससे सुरक्षित किला हिंदुस्तान में कहीं नहीं देखा।