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Sawan Shivratri 2019: इन जगहों पर आकर देखें सावन के शिवरात्रि की अलग धूम

Sawan Shivratri 2019 सावन में मनाई जाने वाली शिवरात्रि फागुन महीने की शिवरात्रि जितनी ही खास होती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी करते हैं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 02:16 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 02:16 PM (IST)
Sawan Shivratri 2019: इन जगहों पर आकर देखें सावन के शिवरात्रि की अलग धूम
Sawan Shivratri 2019: इन जगहों पर आकर देखें सावन के शिवरात्रि की अलग धूम
सच्चे शिव के उपासक वही हैं, जो अपने मन में स्वार्थ भावना को त्यागकर परोपकार की मनोवृत्ति को अपनाते हैं। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसमें जलाभिषेक करना बहुत ही पुण्यकारी होता है। शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-अराधना से मनचाहा वरदान मिलता है। जानेंगे ऐसी कुछ जगहों के बारे में जहां सावन में मनाई जाने वाली शिवरात्रि की अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
वाराणसी
वाराणसी भगवान शिव का घर माना जाता है। जहां की पतली और संकरी गलियों में हर थोड़ी दूर पर आपको इनका मंदिर नजर आ जाएगा। लेकिन काशी विश्वनाथ मंदिर, यहां का सबसे पुराना और प्रसिद्ध मंदिर है। जिसके दर्शन के लिए देश-विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वैसे तो मंदिर में हर शाम ही पूजा-आरती होती है लेकिन सावन के महीने में यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती है। दूध,जल, बेलपत्र आदि से भगवान का अभिषेक किया जाता है। 1780 में बने इस मंदिर का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था।
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- वाराणसी एयरपोर्ट यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है। दिल्ली, मुंबई जैसे सभी बड़े शहरों से यहां के लिए फ्लाइट्स मौजूद हैं।
रेल मार्ग- वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुंचकर काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। 
सड़क मार्ग- वाराणसी के लिए ज्यादातर शहरों से बसों की सुविधा भी अवेलेबल है।
 
हरिद्वार
हरिद्वार, हिंदुओं का पवित्र धार्मिक स्थल है। जो खासतौर से हर की पौढ़ी और गंगा-आरती के लिए मशहूर है। शाम के समय होने वाली गंगा आरती का नजारा ही अलग होता है। सावन के महीने में श्रद्धालु कांवड लेकर  यहां पहुंचते हैं। मंदिर में भगवान शिव के भजन और आरती से गुंजायमान रहता है पूरा हरिद्वार। 
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- जॉली ग्रांट यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जो हरिद्वार से 35 किमी दूर है। यहां से बसों और टैक्सी द्वारा हरिद्वार तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचकर आप आसानी से हरिद्वार के सभी खास जगहों के दर्शन कर सकते हैं।
सड़क मार्ग- दिल्ली, चंडीगढ़ से कैब या टैक्सी बुक करके हरिद्वार तक पहुंचा जा सकता है।
खजुराहो
खजुराहो में भी मंदिरों की भरमार है। लगभग 80 मंदिर हैं यहां लेकिन उनमें से सिर्फ 25 मंदिर ही सही हालत में हैं। जिनमें लोग दर्शन कर सकते हैं। 10वीं सदी में बने इन मंदिरों का इतिहास बहुत ही रोचक है। कन्दारिया महादेव मंदिर, खजुराहो में भगवान शिव का सबसे विशाल मंदिर है। मंदिर में खजुराहो की वास्तुकला का अनोखा नमूना देखने को मिलता है। सावन में भगवान शिव की विशेष पूजना-अराधना की जाती है। 
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- खजुराहो एयरपोर्ट यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जहां टैक्सी और कैब की सुविधा मौजूद रहती है। 
रेल मार्ग- खजुराहो का अपना रेलवे स्टेशन है लेकिन कुछ ही ट्रेनें यहां रुकती हैं। तो आप माहोबा  तक की ट्रेन टिकट बुक कराएं जो शहर से 63 किमी दूर है।   
सड़क मार्ग- खजुराहो की सड़कें बहुत अच्छी हैं तो आप यहां ड्राइव करके भी पहुंच सकते हैं।
मंडी
मंडी में 300 के करीब मंदिर हैं जो भगवान शिव और मां काली को समर्पित हैं। इनमें से 81 मंदिर पुराने पत्थरों से बने हुए हैं और इनकी वास्तुकला भी अद्भुत है। वाराणसी जैसे ही यहां भी हर थोड़ी दूर पर आपको किसी न किसी भगवान का मंदिर नज़र आ जाएगा। सावन के महीने में मंडी आकर भी आप भगवान शिव की आसानी से पूजा-अराधना कर सकते हैं। 
कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग- कुल्लू का भुंटर यहां का नज़दीकी एयरपोर्ट है जो मंडी से 60 किमी दूर है। दिल्ली, चंडीगढ़, शिमला, धर्मशाला और पठानकोट जैसी ज्यादातर जगहों से यहां के लिए फ्लाइट्स अवेलेबल हैं। 
रेल मार्ग- जोगिंदरनगर यहां का नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जहां से मंडी की दूरी 50 किमी है।
सड़क मार्ग- कैब या अपनी गाड़ी से भी आप आसानी से मंडी तक पहुंच सकते हैं।
 

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