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खूबसूरत नज़ारों और रोचक इतिहास के अलावा जानें और क्या है खास इंडिया के आखिरी गांव में

इंडिया का आखिरी गांव माना, जहां की यात्रा धार्मिक और मनोरंजन हर तरीके से रहेगी यादगार।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 04:56 PM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 04:42 PM (IST)
खूबसूरत नज़ारों और रोचक इतिहास के अलावा जानें और क्या है खास इंडिया के आखिरी गांव में
खूबसूरत नज़ारों और रोचक इतिहास के अलावा जानें और क्या है खास इंडिया के आखिरी गांव में

माणा, इंडिया का आखिरी गांव। जो उत्तराखंड सरकार द्वारा 'टूरिज्म विलेज' घोषित किए जाने के बाद से ज्यादा चर्चा में आया और इसके बाद से ही यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में भी इजाफा हुआ। लगभग 3219 मीटर की ऊंचाई पर स्थित माणा गांव सरस्वती नदी के तट पर बसा है। चारों ओर हिमालय के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा ये गांव ब्रदीनाथ से महज 3 किमी ही दूर है। 

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क्यों है ये गांव खास - यहां भूटिया जनजाति के लोग रहते हैं। जो रहते तो छोटी झोपड़ियों में हैं लेकिन अंदर से वो साफ-सुथरी और काफी मेनटेन होती है। यहां के बने हुए गर्म कपड़ें, शॉल, स्वेटर, मफलर बहुत ही मशहूर हैं।इसके अलावा आलू और किडनी बीन्स की भी अलग-अलग वैराइटी की वजह से माणा दूर-दूर तक अपनी पहचान बनाए हुए है।

माणा आएं तो यहां जरूर जाएं  

नीलकंठ- समुद्र तल से लगभग 6597 मीटर की ऊंचाई वाले नीलकंठ चोटी को 'क्वीन ऑफ गढ़वाल' के नाम से भी जाना जाता है। जहां से ब्रदीनाथ के दर्शन भी किए जा सकते हैं।   

ताप्त कुंड- ताप्त कुंड प्रकृति निर्मित झरना है इस जगह के बारे में भी ऐसा कहा जाता है कि इसमें नहाने से चर्म रोग का समस्या दूर हो जाती है। इसी वजह से हर साल यहां ढ़ेरों की संख्या में सैलानी आते हैं। 

भीम पुल- स्वर्ग यात्रा के दौरान दौप्रदी सरस्वती नदी के तेज बहाव के कारण उसे पार नहीं कर पा रही थीं तब भीम में दो बड़े पत्थरों को जोड़कर उसका पुल बनाया था। इसलिए इसे भीम पुल कहा जाता है.  

माता-मूर्ति मंदिर- नारायण भगवान की माता को समर्पित है ये मंदिर। ऐसी मान्यता है कि माता मूर्ति ने भगवान विष्णु से प्रार्थना कि थी कि वे उनके पुत्र के रूप में जन्म लें। भगवान विष्णु ने उनकी इस बात को मानते हुए नर और नारायण जुड़वा रूप में जन्म लिया। हर साल अगस्त के महीने में यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। 

वसुंधरा- ये एक वॉटरफॉल है जो ब्रदीनाथ मंदिर से 9 किमी की दूरी पर स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि पाडंव अपने अज्ञातवास के दौरान यहां रूके थे.  

व्यास गुफा- इस जगह के बारे में लोगों का कहना है कि महर्षि वेद व्यास ने इसी गुफा के अंदर चारों वेदों की रचना की थी। गुफा के अंदर ही उनका एक छोटा सा मंदिर भी है.

 

माणा गांव घूमने के लिए कब की प्लानिंग रहेगी बेस्ट

बारिश के अलावा बाकी सभी मौसम माणा गांव घूमने के लिए बेस्ट है। पहाड़ों से घिरे होने की वजह से यहां गर्मियों में भी मौसम बहुत ही सुहाना होता है। हां लेकिन अगर आप सर्दियों में यहां आने की प्लानिंग कर रहे हैं तो अपने साथ मोटे स्वेटर्स और जैकेट्स रखना न भूलें क्योंकि उस दौरान यहां का तापमान बहुत कम होता है।


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