Move to Jagran APP

अनमोल विरासतों का गढ़ है असम का शिवसागर

पूर्वोत्तर में स्थित राज्य असम की पहचान अहोम राजाओं से भी जुड़ी है। तकरीबन 600 सालों तक यहां राज करने वाले अहोम राजाओं की कहानियों को करीब से महसूस करना चाहते हैं तो शिवसागर आएं।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 04:59 PM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 08:00 AM (IST)
अनमोल विरासतों का गढ़ है असम का शिवसागर
अनमोल विरासतों का गढ़ है असम का शिवसागर

कितना अच्छा हो कि आप इतिहास को किताबों में पढ़ने के बजाय उसे अपनी आंखों के सामने चलता-फिरता देख सकें। चौंकिए नहीं, ऐतिहासिक स्थलों पर पहुंच कर इतिहास आपकी आंखों के आगे जीवंत हो उठता है। बात हो रही है असम की राजधानी गुवाहाटी से करीब 360 किलोमीटर दूर स्थित शिवसागर की, जहां अहोम राजाओं की निशानियां हर ओर बिखरी हुई दिख जाती हैं। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी दिखू के किनारे स्थित इस स्थान की कुदरती खूबसूरती भी अनछुई है यानी यहां पर्यटकों की भीड़ उतनी नहीं पहुंचती, जितनी किसी आम चर्चित पर्यटन स्थलों में पहुंचती है। बहरहाल, यदि आपकी रुचि अपने देश से जुड़ी विरासतों व संस्कृति को जानने-समझने में है, तो शिवसागर जिला आपको खूब भाएगा। साफ-सुथरी और प्राकृतिक सुंदरता से सजी यहां की अनमोल विरासतों की ठंडी छांव में देर तक रुककर इस स्थान को देखने का आनंद ही कुछ और है।

loksabha election banner

शिवसागर जलाशय

इसी जलाशय के नाम पर शिवसागर जिले का नाम है। यह 129 एकड़ भूभाग में फैला हुआ है। यहां आप नौका विहार यानी बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। सर्दियों में आने की योजना बने तो यहां प्रवासी पक्षियों के जमावड़े को देख सकते हैं। बेहतरीन फोटोग्राफी की जगह भी है यह।

 

जयसागर सरोवर

सबसे बड़ा कृत्रिम सरोवर अहोम राजा स्वर्गदेव रुद्र सिंह द्वारा तैयार यह सरोवर असम का सबसे बड़ा कृत्रिम सरोवर है। रुद्र सिंह ने अपनी माता जयमती की याद में इसे तैयार करवाया था। राजा ने सरोवर के उत्तरी छोर पर तीन मंदिर भी बनवाए, जिनमें जयदोल या केशवनारायण विष्णु दोल की खासी चर्चा होती है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के अनेक अवतारों की प्रतिमाएं स्थापित हैं। मुख्य मंदिर के पीछे भगवान सूर्य देव तथा भगवान गणेश के मंदिर भी बने हुए हैं। अगर आप देश की कुछ खूबसूरत वास्तुकलाओं को देखना चाहते हैं तो आपको यहां आकर अपार खुशी होगी। यकीनन आप अहोम युग की इस उत्कृष्ट कला की प्रशंसा करने से खुद को नहीं रोक पाएंगे।

रंग घर: एशिया की प्राचीन रंगशाला

यह दुमंजिला इमारत शिवसागर जिले के जयसागर इलाके में स्थित तलातल घर से उत्तर-पूर्व की ओर है। इसे अहोम राजा स्वर्गदेव प्रमत्त सिंह ने बनवाया था। अहोम काल में यह राजघराने के सदस्यों के लिए आमोद-प्रमोद और खेल-कूद का स्थल हुआ करता था। इसमें बैठकर वे भैंसा युद्ध, सांड़ युद्ध आदि खेलों का आनंद लिया करते थे। आपको इसकी बनावट खूब लुभाएगी। ऐसा लगता है, जैसे छत पर उलटा करके कोई नाव रख दी गई हो। इसे एशिया की सबसे पुरानी रंगशाला भी माना जाता है।

शिव दोल: शिवप्रेमियों का गढ़

शिवसागर में स्थित शिव दोल भारत के पवित्र तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। इसे पूर्वोत्तर भारत का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है। इसकी ऊंचाई 104 फीट तथा परिसीमा 195 फीट है। इस भव्य मंदिर से सटे दो अन्य मंदिर भी हैं- देवी दोल और विष्णु दोल, जिनमें देवी दुर्गा और भगवान विष्णु की प्रतिमाएं हैं। मंदिर की दीवारों और खंभों पर अनेक हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं। यहां का प्रमुख उत्सव महाशिवरात्रि है। विश्र्व भर के पर्यटक इस पुण्य स्थल की यात्रा पर बड़ी संख्या में आते हैं।

एक पत्थर से बना 'नामदांग स्टोन ब्रिज'

जोरहट से शिवसागर की ओर जाते समय आपको रास्ते में नामदांग नदी पर बना 300 साल से भी अधिक पुराना एक छोटा-सा पुल मिलेगा, जिसे 'नामदांग स्टोन ब्रिज' के नाम से जाना जाता है। यह जानना रोचक है कि पूरे पुल को एक ही पत्थर से बनाया गया है। शिवसागर से 12 किलोमीटर दूर गौरी सागर और जय सागर के बीच नामदांग नदी पर बांध बना हुआ है, जिसका निर्माण राजा रुद्रसिंह ने सन् 1703 में करवाया था। नामदांग नदी के स्टोन ब्रिज से राष्ट्रीय राजमार्ग 37 गुजरता है।

कारेंग घर और तलातल घर

शिवसागर शहर से 4 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है सात मंजिला कारेंग घर और तलातल घर। इस भवन की ऊपरी चार मंजिलों को 'कारेंग घर' तथा तल में बनी तीन मंजिलों को 'तलातल घर' कहा जाता है। यह भवन अहोम राजाओं द्वारा सैनिक मुख्यालय के रूप में प्रयुक्त होता था। तलातल घर से होकर बने दो सुरंग डिखू नदी के तट पर बने गरगांव महल से जुड़े हुए थे, जिनका प्रयोग युद्धकालीन आकस्मिक संकट के समय गुप्त निकास-द्वार के रूप में होता था। यहां आनेवालों को इस भवन की कुछ मंजिलों को देखने की अनुमति दी जाती है। भूमि तल की मंजिलों को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। दुनियाभर के पर्यटक इस भव्य इमारत को देखने और इसकी वास्तुकला पर अनुसंधान करने के लिए आते हैं। यह भवन असम की उत्कृष्ट सांस्कृतिक विरासत का एक नमूना है।

केंद्रीय बैप्टिस्ट चर्च

केंद्रीय बैप्टिस्ट चर्च शिवसागर जिले के बीचों-बीच शिवसागर सरोवर के तट पर स्थित है। इसका निर्माण सन् 1845 में रिव नाथन ब्राउन ने करवाया था। कहते हैं कि जब असम की भाषा असमिया से बदलकर बांग्ला कर दी गई थी, तब ब्राउन ने असम के लिए असमिया भाषा को फिर से मान्यता दिलवाने की जोरदार वकालत की थी।

कैसे और कब जाएं?

निकटतम हवाई अड्डा जोरहाट यहां से 75 किलोमीटर तथा डिब्रूगढ़ हवाई अड्डा 95 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी की सुविधा भी उपलब्ध है। सिमलगुरी निकटतम रेलवे स्टेशन है जो शिवसागर से तकरीबन 17 किमी दूर है। राज्य के सभी प्रमुख स्थानों से शिवसागर तक बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। वैसे तो यहां आने का आदर्श मौसम जाड़ों में माना जाता है, लेकिन गर्मियों के मौसम में भी यहां पर्यटकों की भीड़ देखी जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.