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मणिपुर में 500 सालों से लग रहा है ये अनोखा बाजार, यहां दुकानदार और खरीदकार सिर्फ महिलाएं

मणिपुर की राजधानी इम्फाल में ‘मदर मार्केट’ नाम से ये बाजार 500 सालों से लग रहा है.

By Pratima JaiswalEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 03:15 PM (IST)Updated: Mon, 23 Apr 2018 03:15 PM (IST)
मणिपुर में 500 सालों से लग रहा है ये अनोखा बाजार, यहां दुकानदार और खरीदकार सिर्फ महिलाएं
मणिपुर में 500 सालों से लग रहा है ये अनोखा बाजार, यहां दुकानदार और खरीदकार सिर्फ महिलाएं

आप कभी न कभी किसी लोकल मार्केट में जरुर गए होंगे. वहां जाकर आपने एक चीज देखी होगी. ऐसी बहुत कम दुकानें होगी, जहां पर कोई महिला बैठकर चीजों के मोल-भाव कर रही होगी. सोचिए, बाजार एक ऐसी जगह है, जहां पर खरीददार तो सबसे ज्यादा महिलाएं हैं लेकिन दुकानदार के रूप में उनकी भागीदारी बेहद कम है. इन बातों से परे एक ऐसा बाजार है जहां पुरुषों का जाना सख्त मना है. यहां महिलाएं ही सामान खरीदती और बेचती हैं. 

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500 सालों से लग रहा है बाजार

मणिपुर की राजधानी इम्फाल में ‘मदर मार्केट’ नाम से ये बाजार 500 सालों से लग रहा है. इस बाजार में आपको कोई भी पुरुष नहीं आता बल्कि उनका यहां आना वर्जित है. 500 सालों से महिलाएं यहां बाजार लगा रही हैं. इसका कारण ये है कि मणिपुर में ज्यादातर मर्द सीमा की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होने चले जाते हैं जिसकी वजह से सारी जिम्मेदारी महिलाओं की हो जाती थी. धीरे-धीरे वक्त बीतता गया और ये मणिपुर के इस बाजार का चलन बन गया.  

एशिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक 

मदर मार्केट एशिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. यहां लगभग लगभग 5000 महिलाएं मिलकर बाजार लगाती हैं. इस बाजार में मछलियां, सब्जियां, बांस और धातुओं से बने शिल्प तथा अन्य वस्तुओं की बिक्री होती है. यहां महिलाएं प्रति वर्ष लगभग 50,000 से लेकर 2 लाख रुपए तक की कमाई कर लेती हैं. ये बाजार सिर्फ बाजार न होकर एक प्रकार का लर्निंग सेंटर भी है, जो महिलाओं को बाजार में कम करना सिखाता है.

 

2016 के भूंकप के बाद ऐसे पटरी पर लौटी जिंदगी 

2016 में इम्फाल में 6.7 तीव्रता वाला भूंकप आया था. जिससे यहां जान-माल का बहुत नुकसान हुआ था.  

भूकंप की वजह से इस बाजार पर इमारतें और घरों की छतें टूटकर गिर गई थी. इस बुरे दौर में महिलाओं ने टूटी हुई सड़कों पर दुकान लगाकर अपनी रोजी-रोटी चलाई थी. धीरे-धीरे हालात सामान्य होने लगे और जिंदगी पटरी पर लौट आई. 


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