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मणिपुर एक खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है

मणिपुर में नैसर्गिक सौंदर्य की भरमार है जिससे कई सैलानी इस प्रांत की ओर आकर्षित होते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 21 Apr 2016 03:58 PM (IST)Updated: Thu, 21 Apr 2016 04:14 PM (IST)
मणिपुर एक खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है
मणिपुर एक खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है

मणिपुर एक खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है मणिपुर में नैसर्गिक सौंदर्य की भरमार है जिससे कई सैलानी इस प्रांत की ओर आकर्षित होते हैं पर्यटक जो कम बजट में प्रकृति से घुलना-मिलना, दुनिया की विरली वनस्पति, जीव जन्तुओं को देखना चाहते हैं और जिन्हें प्रकृति से भावनात्मक संबंध है या फिर जिन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानी सेना और मित्र राष्ट्रों की सेना के बीच लड़ाई के बारे में जानने की जिज्ञासा है, वे बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर का रुख कर रहे हैं मणिपुर की राजधानी इंफाल के लिए गुवाहाटी से प्रतिदिन उड़ान है इसके अलावा एनएच 2 और 37 के जरिए भी गुवाहाटी और सिल्चर से वहां पहुंचा जा सकता है यहां कम पैसे वाले पर्यटकों के लिए सस्ते होटल हैं, तो संपन्न पर्यटकों के लिए तीन सितारा होटल भी हैं

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मणिपुर से 60 किमी दूर स्थित वहां की मशहूर लोकटक झील है जो कीबुल लामजाओ नेशनल पार्क का हिस्सा है यह पार्क खास तरह के बारहसिंगों का प्राकृतिक घर है सुंदर कपाल वाले ये बारहसिंगे केवल मणिपुर में ही पाए जाते हैंइन्हें यहां सांगाई कहा जाता हैपर्यटन विभाग की ओर से झील के किनारे सेंद्रा पहाड़ी पर झोपड़ियां बनाईं गईं हैं, लेकिन अधिकांश पर्यटक झील में तैरते बायोमास पर बनी निजी झोपड़ियों में रहना पसंद करते हैं या फिर छप्पर की बनी सरायों में

लोकटक पूर्वोत्तर भारत की सबसे बड़ी स्वच्छ जल वाली झील है जहां डोंगी सवारी और वाटर स्पोर्ट्स की सुविधाएं उपलब्ध हैंहजारों मछुआरे झील में तैरते बायोमास पर बनी झोपड़ियों में रहते हैंइन झोपड़ियों में शौचालय की सुविधा नहीं हैपर्यटक मछुआरों की तरह डोंगी में ही शौच या स्नान करते हैं

विशिष्ट बारहसिंगों के अलावा पर्यटक विभिन्न देशों से आए हजारों पक्षियों को देख सकते हैं और उनकी चहचहाट सुन सकते हैंशिरॉय लिली के फूल को देखने उखरुल भी जाते हैं इस फूल की खासियत है कि यह शिरॉय की पहाड़ियों के अलावा कहीं और नहीं पनप पाते हैंकई पर्यटक इसे ले गए लेकिन इसे लगा पाने में असफल रहे

मणिपुर में मोयरांग भी ऐतिहासिक स्थल हैइंडियन नेशनल आर्मी (आइएनए) के जवानों ने सबसे पहले यहां भारत की आजादी का झंडा फहराया थायहां आइएनए का एक संग्रहालय भी है जिसमें जवानों के उपयोग में आए सामान रखे गए हैं आइएनए और जापानी सेना के जवान यहां चार महीने तक रहे थे इसके बाद वे युद्ध के लिए कोहिमा चले गए थे

मणिपुर की यात्रा में सैलानियों की रुचि की कई जगहें हैं जिसमें स्वदेशी संस्कृति और राज्य की परंपरा की झलक मिलती है मणिपुर में नैसर्गिक सौंदर्य की भरमार है जिससे कई सैलानी इस प्रांत की ओर आकर्षित होते हैंइस पूर्वोत्तर राज्य की यात्रा से इस राज्य के त्यौहार और विविध टोपोग्राफी से परिचय होता हैलोकतक झील का साफ पानी, हरे भरे मैदान, सुंदर नज़ारे और सुहावना मौसम इस राज्य की पहचान हैयहां कई स्वदेशी जनजातियां हैं, जिनकी अपनी अनूठी संस्कृति और पारंपरिक विरासत है, जो यहां के लोकनृत्य और संगीत में साफ झलकती हैमणिपुर राज्य किसी भी यात्री को इसकी अनूठी पारंपरिक संस्कृति और प्रकृति को जानने का मौका देता है

परिवहन- ज्यादातर पर्यटक इस राज्य में अच्छी परिवहन व्यवस्था के कारण आने के लिए प्रोत्साहित होते हैं मणिपुर की अच्छी परिवहन व्यवस्था इस प्रांत का अभिन्न अंग हैमणिपुर में एक बेहतरीन हवाई, सड़क और रेल व्यवस्था है जहां तक रेलवे कनेक्टिविटी का सवाल है, एनएच 39 राज्य के लिए सुरक्षित कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है और इसका रेलहैड नागालैंड के दीमापुर में स्थित है जिरीबाम और इंफाल के बीच एक अच्छा रेलवे स्टेशन स्थापित है जहां तक सड़क संपर्क का सवाल है मणिपुर में तीन राष्ट्रीय राजमार्ग हैं - एनएच 150, एनएच 53 और एनएच 39. इन तीन राष्ट्रीय राजमार्गों का सड़क संपर्क को बढ़ाने में बहुत योगदान है राज्य के सड़क संपर्क को बेहतर करने के प्रयास में सौराष्ट्र-सिलचर सुपर हाइवे परियोजना को मोरेह तक बढ़ाया गया यह एक तथ्य है कि यदि मोरह से थाईलैंड के माई सोत तक सड़क बन जाए तो मणिपुर राज्य को भारत के दक्षिण एशिया के प्रवेश द्वार का दर्जा मिल जाएगा


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