Move to Jagran APP

आइए चलें, सागर में 572 सुंदर द्वीपों, टापुओं, पन्ने व मूंगे की चट्टानों का एक वृहत समूह की और

बंगाल की खाड़ी में स्थित और अंडमान सागर की जल सीमा से सटे अंडमान निकोबार द्वीप समूह 572 खूबसूरत द्वीपों, टापुओं और पन्ने व मूंगे की चट्टानों का एक वृहत समूह है। समुद्र में बनी सुंदर द्वीपों की यह लड़ी जितनी शांत है, प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से उतनी ही

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2015 03:41 PM (IST)Updated: Fri, 14 Aug 2015 05:19 PM (IST)
आइए चलें,  सागर में 572 सुंदर द्वीपों, टापुओं, पन्ने व मूंगे की चट्टानों का एक वृहत समूह की और
आइए चलें, सागर में 572 सुंदर द्वीपों, टापुओं, पन्ने व मूंगे की चट्टानों का एक वृहत समूह की और

बंगाल की खाड़ी में स्थित और अंडमान सागर की जल सीमा से सटे अंडमान निकोबार द्वीप समूह 572 खूबसूरत द्वीपों, टापुओं और पन्ने व मूंगे की चट्टानों का एक वृहत समूह है। समुद्र में बनी सुंदर द्वीपों की यह लड़ी जितनी शांत है, प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से उतनी ही समृद्ध भी ।

loksabha election banner

धार्मिक विश्वासों के अनुसार अंडमान नाम हनुमान जी से संबंधित है। वस्तुत: मलय लोग हनुमान जी को हंडुमान नाम से जानते हैं। अंग्रेजी शासनकाल में काला पानी की सजा के लिए जाने जाते रहे इस द्वीप समूह को अब प्रकृति की अनछुई सुंदरता, असीम शांति, जैव विविधता और रोमांचक खेलों के लिए जाना जाता है। अपनी सुंदरता और शांति के ही कारण अब यह द्वीप समूह बॉलीवुड के आकर्षण का भी केंद्र बन रहा है।

उत्तर से दक्षिण की तरफ लंबाई में 700 किमी तक फैले इस संघशासित राज्य में घने जंगलों और तमाम तरह के पेड़-पौधों से भरे कुल 36 आबाद द्वीप हैं। सफेद बालू वाले इसके सुंदर समुद्रतटों के किनारे खड़े नारियल के पेड़ों की जो लयबद्धता समुद्र की लहरों के साथ बनती है, वह देखने ही लायक होती है। इन द्वीपों पर ज्यादातर हरे-भरे जंगलों से भरे पहाड़ हैं।

कुछ झरोखे इतिहास के

इस द्वीप समूह के मुख्यालय पोर्ट ब्लेयर में मौजूद सेल्युलर जेल यहां की ऐतिहासिक धरोहरों में सबसे प्रमुख है। यह स्वतंत्रता सेनानियों पर अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार की मूक गवाह है। यहां बंद किए जाने वाले सेनानियों को तरह-तरह से प्रताडि़त किया जाता था। 1906 में बन कर तैयार हुई इस सेल्युलर जेल में बंद होने की सजा को ही काला पानी कहा जाता रहा है।

सात खंडों वाले इसके मुख्य भवन के बीच में एक सेंट्रल टॉवर भी है। हालांकि यह विशाल भवन अब ढह सा गया है और इसके सात खंडों में से केवल तीन ठीक बचे हैं। स्वतंत्रता संग्राम की इस महत्वपूर्ण स्मृति को अब राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जा चुका है। ब्रिटिश शासन ने 1857 में हुए पहले विश्वयुद्ध के बाद से ही सजा के तौर पर लोगों को यहां भेजने की शुरुआत कर दी थी।

पोर्ट ब्लेयर के पास एक द्वीप है रॉस। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान पहले इस द्वीप समूह का मुख्यालय यहीं हुआ करता था। उन दिनों इसे पूरब का पेरिस कहते थे, लेकिन 1941 में आए एक भूकंप ने यहां की पूरी दुनिया उजाड़ दी। अब यहां केवल कुछ खाली पड़े पुराने सरकारी भवन, बॉलरूम, मुख्य आयुक्त का घर, चर्च, कब्रिस्तान, अस्पताल, बेकरी, स्विमिंग पूल और ट्रूप बैरक आदि के खंडहर बचे हैं।

इसके निकट ही वाइपर नाम का सुंदर द्वीप है। इसका नामकरण एक समुद्री जहाज के आधार पर किया गया है। वाइपर नाम के इस जहाज में ही लेफ्टिनेंट आर्कबाल्ड ब्लेयर 1789 में यहां आए थे। उनका जहाज किसी दुर्घटना का शिकार हो गया और उसके मलबे यहीं छोड़ दिए गए। इसी आधार पर इस द्वीप का नाम वाइपर पड़ा। यह द्वीप भी स्वतंत्रता सेनानियों को दी गई यातनाओं का मूक गवाह है।

आजादी के दीवाने सिपाहियों को यहां बेडि़यों में जकड़ कर रखा जाता था और उन्हें कड़ी यातनाएं दी जाती थीं। शेर अली को फांसी यहीं दी गई थी। जेल और फांसी के चौखटों के अवशेष यहां आज भी देखे जा सकते हैं।

अजूबे प्रकृति के

इन द्वीपों के लिए जंगल हरा सोना हैं। इनका 86 प्रतिशत क्षेत्रफल जंगलों से ही ढका हुआ है। इन्हें नेशनल पार्क व वन्य जीव अभयारण्य के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है। कुल क्षेत्रफल का 11.5 प्रतिशत भाग मैंग्रूव के जंगलों से आच्छादित है। पौधों और जंतुओं की करीब डेढ़ सौ विशेष प्रजातियां ऐसी हैं जो सिर्फ यहीं पाई जाती हैं। यहां केवल जंगली ऑर्किड की 110 प्रजातियां पाई जाती हैं।

इन द्वीपों के चारों तरफ फैला समुद्र भी समुद्री जीवन की विविधता के मामले में ऐसा ही धनी है। मछलियों की 1200, घोंघों की 1000 तथा अन्य समुद्री जीवों की सात सौ से ज्यादा प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। पक्षियों के लिए तो ये द्वीप स्वर्ग ही हैं। पक्षियों की यहां कुल 246 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 39 दुर्लभ हैं। पक्षियों के जीवन में रुचि रखने वाले वैज्ञानिकों के लिए ये द्वीप हमेशा आकर्षण के केंद्र रहे हैं।

सफेद बालू वाले यहां के समुद्रतट कछुओं की शरणगाह के तौर पर जाने जाते हैं। इन तटों पर कछुओं की लगभग सभी प्रमुख प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इनमें लेदर बैक और हॉक्सबिल के अलावा दुर्लभ ओलिव रिडले प्रजाति भी शामिल है। इसके समुद्री ईको सिस्टम का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा हैं मूंगे की चट्टानें। सिंक, लांग, नील, रंगत, चाथम, मायाबंदर और लिटिल अंडमान द्वीप इस दृष्टि से घूमने लायक हैं। जैव विविधता के लिहाज से निकोबार समूह के कटचल, ग्रेट निकोबार और कार निकोबार महत्वपूर्ण हैं।

रोमांचक पर्यटन के अवसर

यहां आने वाले पर्यटकों को चारों तरफ फैला समुद्र रोमांचक वाटर स्पो‌र्ट्स के खूब अवसर प्रदान करता है। खास तौर से अगर आप स्कूबा डाइविंग के शौकीन हैं तो इस द्वीप पर आकर आप भरपूर मजा ले सकते हैं। समुद्र के भीतर की सम्मोहित कर लेने वाली दुनिया में यहां आप हजारों तरह की रंग-बिरंगी मछलियों और अन्य जीवों, मूंगे व पन्ने की चट्टानों तथा कुछ डूबे हुए जलपोतों के रहस्यमय अवशेषों को देख सकेंगे।

मूंगे की कुछ अत्यंत दुर्लभ चट्टानें यहां हैं। स्कूबा डाइविंग के लिए यहां कई अच्छी जगहें हैं। इनमें सबसे अच्छी और आधुनिक सुविधाओं से संपन्न जगह साउथ अंडमान व पोर्ट ब्लेयर के आसपास हैं। हैवलॉक और कैंपबेल के आसपास भी इसके लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं। कई पांच सितारा होटल भी अपने ग्राहकों को इसकी सेवा उपलब्ध कराते हैं और कुछ ट्रेवल एजेंटों के पैकेज में तो इसका खर्च भी शामिल होता है।

स्कूबा डाइविंग के अलावा यहां आप स्कीइंग, सेलिंग, पैरा सेलिंग, विंड सर्फिंग, स्नॉर्केलिंग और मछलियों के शिकार जैसे रोमांचक खेलों का आनंद भी ले सकते हैं। खास तौर से स्नॉर्केलिंग के लिए रेड स्किन आइलैंड पर भरपूर सुविधाएं मौजूद हैं।

समुद्रतट से अलग इसके भूभाग पर मौजूद घने जंगलों और पहाडि़यों पर ट्रेकिंग का अनुभव भी अनूठा होगा। जनजातियों के जीवन में दिलचस्पी लेने वालों के लिए रंगत द्वीप बेहद रोचक साबित हो सकता है। अंडमान के मूलभूत निवासी जरवा लोग यहीं रहते हैं। यहां चाथम द्वीप घने जंगलों के अलावा आरामिल के लिए भी जाना जाता है। एशिया की सबसे पुरानी और बड़ी आरामिल यहीं है।

उत्सव पर्यटन का

आइलैंड टूरिज्म फेस्टिवल यहां मनाया जाने वाला मुख्य उत्सव है। अंडमान-निकोबार प्रशासन की ओर से आयोजित यह उत्सव हर साल 30 दिसंबर को शुरू होकर 15 जनवरी तक चलता है। इस उत्सव के अंतर्गत प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा कई तरह की प्रतियोगिताएं भी होती हैं। इस उत्सव में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध कलाकारों के अलावा स्थानीय जनजातीय कलाकारों की भी भरपूर भागीदारी होती है।

जरूरी जानकारियां

कैसे पहुंचें

चेन्नई और कोलकाता से पोर्ट ब्लेयर के लिए एलायंस एयर और इंडियन एयरलाइंस की सीधी उड़ानें हैं। चेन्नई से यहां के लिए जेट एयरवेज की भी उड़ानें हैं। अगर आप समुद्रमार्ग से जाना चाहें तो चेन्नई, कोलकाता और विशाखापत्तनम से आपको सीधी सेवाएं प्राप्त हो सकती हैं।

कहां ठहरें

निजी क्षेत्र के तमाम होटलों के अलावा यहां सरकारी गेस्ट हाउस भी कई हैं।

साइटसीइंग

आसपास की घुमक्कड़ी के लिए टैक्सी, ऑटो रिक्शा और बसें उपलब्ध हैं। चाहें तो यहां कई द्वीपों पर मोटरसाइकिल भी किराये पर ले सकते हैं। एक से दूसरे द्वीप पर जाने के लिए फेरी चलती हैं।

परमिट

सभी विदेशी नागरिकों को अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में आने के लिए परमिट लेना पड़ता है, जो तीस दिनों के लिए मान्य होता है। खास हालात में इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। भारतीय नागरिकों को अंडमान के लिए तो नहीं, लेकिन निकोबार एवं अन्य जनजातीय इलाकों के लिए सभी को परमिट की जरूरत होती है। यह परमिट भी पोर्ट ब्लेयर स्थित अंडमान उपायुक्त कार्यालय से ही मिलता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.