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कुलधराः रहस्यों में लिपटा एक वीरान गांव

अगर आप सर्दी के सीज़न में घूमना चाहते हैं और आपको हिस्टोरिकल प्लेसेज बहुत पसंद हैं, तो राजस्थान से बेहतर ऑप्शन और कोई नहीं। एडवेंचर से भरपूर राजस्थान के कुलधरा के बारे में जानेंगे आज।

By Priyanka SinghEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 11:27 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 11:27 AM (IST)
कुलधराः रहस्यों में लिपटा एक वीरान गांव
कुलधराः रहस्यों में लिपटा एक वीरान गांव

राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत अपने आप में अनूठी है। यहां की ख़ूबसूरती, संस्कृति अपने आप में बहुत कुछ बयां करती है। साथ ही, यह भी कहा जाता है कि हमारी सांस्कृतिक विरासत अपने अंदर कई ऐसे रहस्य संजोये हुए हैं, जो सदियों से रहस्य ही हैं। जैसलमेर जिले का गांव कुलधरा अपने रहस्यों के कारण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

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वीरान है गांव

राजस्थान के जैसलमेर जिले का कुलधरा गांव पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा है। इस गांव के लोग एक ही रात में इस गांव को खाली कर के चले गए थे। ऐसा माना जाता है कि वहां के लोग जाते जाते श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस पाएगा। तब से गांव वीरान पड़ा हैं। कहा जाता है कि यह गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में है, हालांकि ऐसी कोई बात नहीं है। हमने यहां ऐसी चीज नहीं दिखी और न ही ऐसा कोई एहसास हुआ। हालांकि हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में तब्दील हो चुका है। अब इस गांव में कोई नहीं बसता, लेकिन इस गांव को देखने के लिए देश-विदेश से हर रोज सैंकडों लोग आते हैं।

पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था

जैसलमेर से महज 18 किमी. की दूरी पर स्थित गांव कुलधरा पालीवाल ब्राह्मणों द्धारा बसाया गया था। कहा जाता है कि इस गांव को वैज्ञानिक तरीके के साथ तैयार किया गया था। भीषण गर्मी होने के बावजद इस गांव के घरों में गर्मी का एहसास नहीं होता था। इस गांव की खास बात तो यह थी कि सभी घरों में झरोखे बने हुए थे और इससे सभी घरों में हवा भी आती रहती थी। पालीवाल समुदाय के इस इलाके में 84 गांव थे और कुलधरा उनमें से एक था। मेहनती और रईस पालीवाल की कुलधार शाखा ने सन 1291 में तकरीबन छह सौ घरों वाले इस गांव को बसाया था। गांव पूर्ण रूप से वैज्ञानिक आधार पर बना था। घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढि़यां कमाल के हैं ।

ऐसे उजड़ा यह गांव

गांव की चौकीदारी करने वाले 82 वर्षीय बुजुर्ग समर ने बताया कि यह गांव बहुत विकसित था, लेकिन फिर भी इसको रातों-रात वीरान करना पड़ा। इसकी वजह था अय्याश दीवान सालम सिंह, जिसकी गंदी नजर गांव की एक खूबसूरत लड़की पर थी। दीवान उस लड़की के पीछे इस कदर पागल था कि बस किसी तरह से उसे पा लेना चाहता था। उसने इसके लिए ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई कि जब सत्ता के मद में चूर उस दीवान ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि यदि अगली पूर्णमासी तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला करके लड़की को उठा ले जाएगा। गांववालों के लिए यह मुश्किल की घड़ी थी। उन्हें या तो गांव बचाना था या फिर अपनी बेटी। इस विषय पर निर्णय लेने के लिए सभी 84 गांव वाले एक मंदिर पर इकट्ठा हो गए और पंचायतों ने फैसला किया कि कुछ भी हो जाए अपनी लड़की उस दीवान को नहीं देंगे। गांव वालों ने गांव खाली करने का निर्णय कर लिया और रातों-रात सभी 84 गांव आंखों से ओझल हो गए।

पैरानॉर्मल सोसायटी ने भी किया था दौरा

भूत प्रेत और आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी, दिल्ली की एक टीम ने मई2013 में कुलधरा गांव में एक रात बिताई। रात बिताने के बाद टीम ने माना कि यहां कुछ न कुछ असामान्य है। वहां पर जाने वाले कुछ लोगों का कहना है कि उनको किसी अदृश्य व्यक्ति की मौजूदगी का एहसास होता है।

गाडि़यों पर पड़ते हैं बच्चे के पांव के निशान

यह माना जाता है कि इस गांव में जो भी गाड़ी आती है। उसके पीछे एक बच्चे का पांव का निशान आता है और एक बुजुर्ग के हाथ का निशान आता है, जबकि वहां पर न तो इतनी छोटी आयु का कोई बच्चा होता है और न ही कोई बुजुर्ग। हालांकि हमें अपने वाहन पर ऐसा कोई निशान नहीं देखा।

जीप सफारी का लें मजा

जैसलमेर में रेतीले टीलों पर ऊंठ सफारी के साथ-साथ जीप सफारी का भी मजा लिया जा सकता है। इसके अलावा पैरासेलिंग, पैरा मोटरिंग भी की जा सकती है। जैसलमेर कैंपिंग के लिए बेहतरीन जगह है। आप अपना टैंट भी लगा सकते हैं और कैंपिंग साइट्स किराए पर भी ली जा सकती हैं। ग्रूप में कैंपिंग काफी सस्ते दाम पर मिल जाती है।

कैसे जाएं

चंडीगढ़ से जाने के लिए दो रास्ते हैं। बठिंडा, डबवाली से संगरिया से हनुमानगढ़ या फिर बठिंडा से मलोट से अबोहर होते हुए हनुमानगढ़ जाया जा सकता है। हनुमानगढ़ से सूरतगढ़, लूनकरनसर, बीकानेर बाय पास से कोलायत, पोकरण व जैसलमेर पहुंचा जा सकता है। यह चंडीगढ़ से करीब 1050 किमी. की दूरी पर स्थित है। जैसलमेर का नजदीकी हवाई अड्डा जोधपुर है। जोधपुर से गाड़ी किराये पर लेकर भी वहां पर जाया जा सकता है।

कब जाएं

यहां जाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर से लेकर फरवरी तक माना जाता है। 


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