Move to Jagran APP

भारत का एक ऐसा किला जहां हज़ारों लोग रहते हैं बिना रेंट के, जानें क्या है इसकी वजह

ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में महाभारत युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव यहां आकर बस गये। इस शहर की स्थापना 12 वीं शताब्दी में यदुवंशीयों द्वारा की गई थी।

By Umanath SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 02:11 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 02:11 PM (IST)
भारत का एक ऐसा किला जहां हज़ारों लोग रहते हैं बिना रेंट के, जानें क्या है इसकी वजह
भारत का एक ऐसा किला जहां हज़ारों लोग रहते हैं बिना रेंट के, जानें क्या है इसकी वजह

दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। राजस्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। हर साल हजारों की संख्या में विदेशी सैलानी यंहा घूमने आते हैं। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के चलते इस साल अधिक संख्या में सैलानी नहीं आ रहे हैं। इस राज्य में कई ऐसे शहर हैं जो अपनी विरासत के लिए पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इनमें एक शहर जैसलमेर है। यह शहर राजस्थान के रेगिस्तान थार में बसा हुआ है।

loksabha election banner

ऐसा कहा जाता है कि द्वापर युग में महाभारत युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव यहां आकर बस गये। इस शहर की स्थापना 12 वीं शताब्दी में यदुवंशीयों द्वारा की गई थी। जबकि जैसलमेर किले की स्थापना राजा रावल जैसल द्वारा 1156 में की गई है। यह शहर सुंदर हवेलियां, जैन मंदिरों और किले के लिए विश्व विख्यात है। इस वजह से जैसलमेर का नाम यूनेस्को में दर्ज है।

इसे ज़िंदा किला के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि दुनियाभर की कई सुंदर हवेलियां को होटल में बदल दिया गया है, लेकिन जैसलमेर का किला आज भी अपने पुरातन रूप में मौजूद है। इस किले के अंदर वर्तमान समय में 4 हजार से अधिक लोग रहते हैं जो पर्यटन के माध्यम से अपना जीवन यापन कर रहे हैं। जबकि किले में 1 हजार से अधिक लोग मुफ्त में रहते हैं। उन्हें रहने के लिए रेंट नहीं देना पड़ रहा है।

यह जान आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन बात सच्ची है। इतिहासकारों की मानें तो राजा रावल जैसल सेवादारों की सेवा से बहुत प्रसन्न हुए थे। इसके बाद उन्होंने सेवादारों को 1500 फीट लंबा किला देने का फैसला किया। उस समय से अब तक सेवादारों के वंशज जैसलमेर किले में मुफ्त में रहते हैं।

अगर बात करें किले की तो यह 16,062 वर्ग मील में फैला है। जबकि 99 बुर्ज अर्थात गढ़ हैं और जो 250 फिट लंबा है। किले की दीवार पीले बलुआ पत्थरों से बनी है और छत तकरीबन 3 फ़ीट कीचड़ से ढ़का है। इससे गर्मी के दिनों में राहत मिलती है। इस किले में जालीदार खिड़कियां हैं, जिनसे हवा किले के अंदर आती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.