‘खाने के किस्से कहानियां’ में देखिए, ईरानी जायकों को भारतीयों के दिलों में बसाने वाले ‘लियोपोल्ड कैफे एंड बार’ का जायकेदार सफर
मुंबई के कोलाबा में 1871 में लियोपोल्ड कैफे एंड बार’ की शुरूआत हुई थी.
जब हम किसी जगह के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहले कोई मशहूर इमारत का नाम हमारे जहन में आता है. जैसे, आगरा की बात करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में ताजमहल का नाम आता है. इसी तरह जायकों की बात करें, तो कुछ बेहतरीन पकवान ऐसे हैं, जो किसी खास रेस्टोरेंट्स से जुड़े हुए हैं. जैसे, भारत के आइकॉनिक रेस्टोरेंट जिनके जायकों की कहानी बहुत पुरानी है. यहां की टेस्टी डिशेज आज भी उतनी ही मशहूर है, जितनी आजादी से पहले हुआ करती थी.
‘खाने के किस्से कहानियां’ जो आपको इनकी पहचान से रू-ब-रू करवाएंगी
‘जागरण डॉट कॉम’ लेकर आया है स्वाद की दुनिया से ऐसी ही कहानियां जिन्हें देखकर आप कह उठेंगे ‘वाह’. दैनिक जागरण के फेसबुक पेज पर शुरू ‘खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज में आप देख पाएंगे इंडिया के अलग-अलग शहरों के आइकॉनिक रेस्तरां और उनकी कहानी. जिनकी फेमस डिशेज व खाने के स्वाद ने बरसों बाद भी लोगों को अपना बना रखा है.
खाने के किस्से कहानियां’ सीरीज के चौथे एपिसोड में हम आपको ले चलेंगे, ‘लियोपोल्ड कैफे एंड बार’ के जायकेदार सफर पर.
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‘खाने के किस्सें कहानियां’ में देखिए, ‘लकी रेस्टोरेंट’ की लजीज बिरयानी का सफर
'लियोपोल्ड कैफे एंड बार’ का ईरानी जायका
मुंबई के कोलाबा में 1871 में लियोपोल्ड कैफे एंड बार’ की शुरूआत हुई थी. कैफे की शुरुआत में ये एक पारसी रेस्टोरेंट था, जिसे ज्यादातर लोग ईरानी रेस्टोरेंट बोलते थे. आजादी से पहले यहां ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर यहां के जायकों का लुफ्त उठाने आते थे, लेकिन आजादी के बाद इंडियन भी यहां आने लगे. आज भी यहां कई सेलिब्रिटी आते हैं.