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कोरोना काल में सुरक्षित सैर सपाटे के लिए परफेक्ट जगह है कानाताल

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 80 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। इस गांव को दुनिया कानाताल के नाम से जानती है। यह जगह मसूरी से 12 किलोमीटर दूर है। चंबा और मसूरी की राजमार्ग पर स्थित कानाताल दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Thu, 03 Jun 2021 04:08 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jun 2021 04:08 PM (IST)
कोरोना काल में सुरक्षित सैर सपाटे के लिए परफेक्ट जगह है कानाताल
कानाताल उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 80 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। इस प्रदेश में कई धार्मिल स्थल हैं, जो अपनी विशेषताओं के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु उत्तराखंड आते हैं। साथ ही उत्तराखंड में कई विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं। इनमें एक पर्टयन स्थल कानाताल है। इस जगह के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। फ़िलहाल कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चलते सभी पर्यटन स्थलों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। इससे पहले साल 2020 में भी कोरोना महामारी के चलते कई महीनों तक पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। जब स्थिति सामान्य हुई, तो पर्यटन स्थलों को खोला गया। वर्तमान समय में कई राज्यों में अनलॉक प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में (स्थिति सामान्य होने पर) पर्यटन स्थलों को खोल दिया जाएगा। अगर आपको कानाताल के बारे में नहीं पता है, तो आइए जानते हैं-

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कानाताल कहां स्थित है

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 80 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। इस गांव को दुनिया कानाताल के नाम से जानती है। यह जगह मसूरी से 12 किलोमीटर दूर है। यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। चंबा और मसूरी की राजमार्ग पर स्थित कानाताल दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर है। दिल्ली के आसपास के ट्रैकिंग और नेचर लवर के शौक़ीन पर्यटकों के लिए यह परफेक्ट डेस्टिनेशन है। है। यहां ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।

कानाताल में कोदिआ जगंल स्थिल है। इस वन में ट्रैकिंग का आनंद उठा सकते हैं। काफी संख्या में पर्यटक इस जंगल में पिकनिक सेलेब्रेट करते हैं। साथ ही सुरकंडा देवी मंदिर स्थित है। इस मंदिर मां सती को समर्पित है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है, जो अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता है कि मां सती का मस्तिष्क यहीं पर आकर गिरा था। यह मंदिर हिमलाय से घिरा है। पर्यटकों के लिए कानाताल किसी एडवेंचर स्थल से कम नहीं है।


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