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अगर आप खाने के शौकिन हैं तो, चलिए आज आपको ले चलते हैं पुरानी दिल्‍ली

जो घुमने के शौकिन होते हैं उन में से कई खाने के भी बडे शौकिन होते हैं । पर कभी कभी समस्‍या ये होती है कि हमें घुमने के साथ साथ दिल कुछ अच्‍छा खाने का करे तो हम कहां जाएं। तो आज हम आपको ले चलते हैं बहुत अच्‍छे

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2015 12:53 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2015 02:22 PM (IST)
अगर आप खाने के शौकिन हैं तो,  चलिए आज आपको ले चलते हैं पुरानी दिल्‍ली
अगर आप खाने के शौकिन हैं तो, चलिए आज आपको ले चलते हैं पुरानी दिल्‍ली

जो घुमने के शौकिन होते हैं उन में से कई खाने के भी बडे शौकिन होते हैं । पर कभी - कभी समस्‍या ये होती है कि हमें घुमने के साथ साथ दिल कुछ अच्‍छा खाने का करे तो हम कहां जाएं। तो आज हम आपको ले चलते हैं बहुत अच्‍छे- अच्‍छे लजीज व्‍यंजन जहां मिलता हो अर्थात पुरानी दिल्‍ली। पुरानी दिल्‍ली के कुछ खास जगहों पर कुछ बेहद खास चीजें मिलती है जिसका जायका आप कभी नहीं भूल पाएंगे। दिल वालों की दिल्ली खाने-पीने के शौकीनों का भी शहर कहलाती है। पुरानी दिल्ली के एक से बढ़कर एक लजीज व्यंजनों से लेकर निजामुद्दीन के करीम के पकवान तक खाने-पीने के शौकीनों को आकर्षित करते रहे हैं। अगर आप को भी पकवानों के स्वाद का आनन्द उठाने का शौक है तो आप एक ही जगह इन तमाम व्यंजनों का लुत्फ उठा सकते हैं।

आपको पुरानी दिल्ली में खाने का अनुभव हो, इसके लिए यहां के माहौल को भी वैसा बनाया गया है। देश की राजधानी दिल्ली शहरवासियों की ही चहेती नहीं, बल्कि यह सर्दियों के मौसम में दुनियाभर के पर्यटकों की खास सैरगाह बन जाती है। दिल्ली की प्राचीन इमारतें, लजीज व्यंजन, यहां का फैशन उन्हें विशेष तौर पर आकर्षित करते हैं। सर्दियों के मौसम में लगभग तमाम पर्यटक इसीलिए दिल्ली आते हैं। इनकी संख्या सालभर आने वाले विदेशी पर्यटकों का दो तिहाई है। आखिर पर्यटकों के लिए यह मौसम दिल्ली का बेस्ट सीजन जो होता है।एक से बढ़कर एक आकर्षणों से सजी दिल्ली सर्दियों में पर्यटकों को किसी दुल्हन की तरह भाती है। सर्दी की शाम में हल्के कोहरे से ढके इंडिया गेट, कुतुब मीनार, पुराना किला जैसी धरोहर इमारतों पर पड़ती रंगीन रोशनी इमारतों को पूरे ध्यान से देखने को मजबूर करती है, वहीं लोटस टेम्पल, अक्षरधाम मंदिर, बिरला मंदिर आस्था की देहरियां होने के साथ-साथ भारतीय कारीगरी के बेजोड़ नमूना होने के कारण भी आकर्षित करते हैं। इंडिया गेट की तरफ से राष्ट्रपति भवन की फोटोग्राफी करते पर्यटक थकते नहीं और सामने ही उन्हें भारतीय संसद यानी संसद भवन भी दिख जाता है और उनका कैमरा अपनी ही भाषा में उनके साथ संवाद करने लगता है। दिल्ली की सैर के साथ ही पर्यटक गोल्डन ट्रैंगल रूट यानी दिल्ली-आगरा-जयपुर की सैर जरूर करना चाहते हैं। खासकर यूके, यूएसए, श्रीलंका, फ्रांस आदि से पर्यटक इस मौसम में इस कारण यहां आते हैं, क्योंकि उनके देश का मौसम काफी बर्फीला हो जाता है और भारत का मौसम उनके लिए उपयुक्त होता है।

चांदनी चौक क्षेत्र

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जब आप पुरानी दिल्ली में आओगे, तो आप यहां के खानों को नहीं भूल पाओगे। यहां चहल-पहल भरी गलियां मिलेंगी, जो विभिन्न व्यंजनों की महक से सरोबर होती हैं। व्यंजनों के कद्रदानों के लिए करीम जैसे रेस्तरां हैं, साथ ही मांसाहारी खानों के पुराने शौकीन हैं, वे मोती महल में बटर-चिकन का लुत्फ उठा सकते हैं।

स्ट्रीट फूड

चांदनी चौक को प्रायः भारत की फूड-कैपिटल भी कहा जाता है, जो अपने स्ट्रीट फूड के लिए प्रसिद्ध है। यहां अनेक प्रकार के स्नैक्स, विशेषकर चाट, मिलते हैं। टदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं। आप सभी यहां आएं...और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं। चांदनी चौक में प्रतिदिन मेले जैसा माहौल रहता है। गलियों में हलवाई, नमकीन बेचने वालों तथा परांठे-वालों की कतार में दुकाने हैं।

बेहतर होगा कि आप परांठे वाली गली से शुरुआत करें, 1870 के दशक से, जब यहां परांठों की दुकान खुली थी, तभी से यह स्थान चटोरों के स्थान के नाम से लोकप्रिय हो गया था। इस गली में भारत की कई नामी हस्तियां आ चुकी हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पं.जवाहरलाल नेहरु और उनके परिवारजन - इंदिरा गांधी और विजयलक्ष्मी पंडित यहां आ चुके हैं तथा यहां के परांठों का स्वाद ले चुके हैं। नियमित रूप से आने वाली हस्तियों में जयप्रकाश नारायण और अटल बिहारी बाजपेयी का नाम भी शामिल है।

यद्यपि इस गली में कई दुकानें अब नहीं रही हैं, आपको अचरज होगा कि इनके मालिक मैकडॉनाल्ड की फ्रैंचाइज़ी में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं - अब पुराने दौर की कुछ ही दुकानें यहां रह गई हैं। संभवतः इनमें सबसे पुरानी दुकान 1872 में स्थापित, पंडित गया प्रसाद-शिव चरण की है। अन्यों में पंडित देवी दयाल (1886) और कन्हैया लाल-दुर्गा प्रसाद (1875) की दुकानें अभी मौजूद हैं। परांठों को लोहे की कड़ाही में देसी घी में फ्राई किया जाता है।

इन परांठों के साथ पोदीने की चटनी, केले व इमली की चटनी, सब्जी के अचार तथा आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है। आधा सदी पहले यहां कुछ किस्में जैसे - आलू परांठा, गोभी परांठा और मटर परांठा, क्रमशः आलू, फूलगोभी और मटर से भरकर बनाया जाता था। इनके अलावा कई नई किस्में जैसे मसूर की दाल, मैथी, मूली, पापड़, गाजर और मिक्स परांठे शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ महंगे परांठे भी हैं, जो पनीर, पोदीने, नींबू, मिर्ची, सूखे मेवों, काजू, किशमिश, बादाम, रबड़ी, खुर्चन केले, करेले, भिंडी तथा टमाटर के बनते हैं।

दिल्ली स्ट्रीट फूड का प्रमुख स्वादिष्ट व्यंजन यहां की चाट है। मूल चाट में उबले आलू के टुकड़े, करारी तली ब्रेड, दही भल्ले, छोले तथा स्वादिष्ट चाट मसाले मिले होते हैं। इस मिश्रण को मिर्च और सौंठ (सूखी अदरक और इमली की चटनी) से बनी चटनी ताजे हरा धनिया और मट्ठे की दही के साथ सजाकर परोसा जाता है। बहरहाल, इसके अलावा और भी मशहूर व्यंजन हैं, जिनमें आलू की टिक्की भी शामिल है। कुछ चाट की दुकानों जैसे - श्री बालाजी चाट भंडार (1462, चांदनी चौक; दोपहर से रात्रि 10 बजे तक) चांदनी चौक की संभवतः सबसे मशहूर और सर्वश्रेष्ठ दुकान है। हम विशेषकर चाट-पापड़ी, जिसमें कचालू की चटनी, खस्ता पापड़ी और सौंठ शामिल है, खाने के लिए आपसे आग्रह करेंगे। दूसरी मशहूर दुकान बिशन स्वरूप (1421, चांदनी चौक; प्रातः 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक) की है, जो चांदनी चौक की बाईं लेन में है, इसका भी अपना विशेष आकर्षण, विशेष स्वाद है।

1923 से इस छोटे से स्टाल में केवल तीन आइटम : सुस्वादु आलू चाट, आलू के स्वादिष्ट कुल्ले और फ्रूट चाट बेचे जाते हैं।

आप लाला बाबू चाट भंडार (77, चांदनी चौक, मैक्डॉनाल्ड्स के निकट; प्रातः 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक) भी जाना न भूलें। यहां स्वादिष्ट गोलगप्पों के साथ हींग वाला पाचक जलजीरा भरकर परोसा जाता है। साथ ही आलू और मटर की स्टफ कचौड़ी, गोभी मटर के समोसे, दही-भल्ले तथा मटर-पनीर की टिक्की यहां ज्यादा बिकती है। फ्रूट-चाट के लिए जुगल किशोर-रामजी लाल (23, दुजाना हाउस, चावड़ी बाज़ार, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 10 बजे तक) सुविख्यात है, हालांकि यहां पाव-भाजी और आलू की टिक्की भी मिलती है किंतु फ्रूट चाट अधिक बिकती है। दही-भल्ले सदैव चाट के साथ नहीं दिए जाते बल्कि इसे नटराज दही भल्ले वाले के यहां मुख्य व्यंजन के तौर पर बेचा जाता है। दही-भल्ले उड़द की दाल की पिट्ठी से डीप फ्राई करके बनाए जाते हैं और दही-सौंठ के साथ परोसे जाते हैं। नटराज चांदनी चौक के मेट्रो स्टेशन के मोड़ पर भाई मतिदास चौक के निकट स्थित है।

एक अन्य सुस्वादु व्यंजन कचौड़ी है, जो पिसी दालों और आलू की करी के साथ परोसी जाती है, जो आपके मुंह में पानी ले आएगी। जंग बहादुर कचौड़ी वाला (1104, छत्ता मदन गोपाल, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 8 बजे तक) संभवतः उड़द की दाल की कचौड़ी के लिए मशहूर है जिसे आलू की चटपटी सब्जी के साथ परोसा जाता है। यह जगह वस्तुतः जाने लायक है।

मिठाई में सबसे पहला नाम, रबड़ी फलूदा का आता है। इसके लिए फतेहपुरी मस्जिद के निकट ज्ञानी दी हट्टी पर पधारें। अब यह आइसक्रीम पार्लर बन गया है जहां लीची और बबलगम तक के ज़ायके मिल सकते हैं। आइसक्रीम के अलावा यहां मिल्क-शेक, फ्रूट-शेक, आइसक्रीम-शेक और सनडीज़ भी उपलब्ध हैं। यदि आप कुल्फी (ज़ायकेदार जमाया गया दूध) के शौकीन हैं तो अजमेरी गेट की तरफ जाएं, सियाराम-नन्नूमल कुल्फी वाले (629, गली लोडन, अजमेरी गेट; प्रातः 7 जे से सायं 4 बजे तक) मशहूर नाम है। यहां की कुल्फी बेहद स्वादिष्ट है। आप किसी भी ज़ायके जैसे - केसर, पिस्ता, रोज़, केवड़ा, बनाना, मैंगो और अनार से बनी ज़ायकेदार कुल्फी उपलब्ध हैं अथवा इससे भी बेहतर होगा...इनमें से प्रत्येक का आनंद उठाएं!

वापस चांदनी चौक की बात करें तो आपको दरीबां कलां में प्रवेश करते समय दाहिने ओर प्राचीन एवं प्रख्यात जलेबीवाला दिखाई देगा। आप यहां गर्मा-गर्म जलेबी का आनंद उठाएं, जलेबी - एक मिष्ठान है जो मैदे के खमीर से बनाई जाती है, इसे सेंककर, चाश्नी में डुबाकर छाना जाता है। साथ ही, चहल-पहल से भरपूर जामा मस्जिद क्षेत्र की ओर जाना भी न भूलें। जामा मस्जिद के गेट नं. 1 के आगे उर्दू बाज़ार और अंदर जाती मटियामहल नामक सड़क पर भी विभिन्न व्यंजनों के स्टाल देखने को मिलेंगे। यहां आपको मछली, खुश्बूदार कबाब और फ्राइड चिकन की महक की नुभूते होगी। यहां आपको दुकानदार रुमाली रोटी (पतली रोटी) में लिपटे सस्ते दाम वाले कबाब और टिक्का (भैंस के मांस से बने) बेचते दिखेंगे। यहां शहर का सबसे अच्छा मटन-बर्राह बेचा जाता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आपको निहारी और पाया मिल सकते हैं, जो प्रातः 8.30 बजे तक बिक जाते हैं। अन्य मुख्य व्यंजनों में इस्टु, मटन कोरमा, शामी कबाब और शाहजहानी कोरमा शामिल है।

चांदनी चौक स्थित घंटेवाला हलवाई 200 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यहां मिठाइयां शुद्ध देसी घी में तैयार की जाती हैं। सोहन हलवा पापड़ी, पिस्ता समोसा और बादाम की बर्फी- धरती पर वस्तुतः जैसे स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देते हैं।

दिल्ली का एकमात्र टी-बुटीक अपना नाम सिद्ध करता है, यहां का माहौल देखने लायक होता है। यह नई और पुरानी दिल्ली के मध्य स्थित है, यहां स्टोर-सह-ड्राइंग रूम के अद्भुत कुप्पे मिलेंगे। यदि आपको चाय पसंद नहीं है, तो आप अपने दोस्तों के लिए अन्य उपहार चुन सकते हैं। इस रेस्तरां में शहर के विख्यात व्यंजन जैसे - दाल मक्खनी, बटर चिकन, रेशमी कबाब, मुर्ग मुसल्लम मिलते हैं। तंदूरी चिकन हमेशा से रसीला व्यंजन रहा है। चोर बिजारे में कुछ ऐसे रेस्तरांओं में से एक है, जहां कश्मीरी व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां की सजावट में 'चोर-बाज़ार' का रूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। तबाक माज़ मांसाहारी के शौकीनों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। साथ ही यहां रोचक ग्रीन्स हॉक के अलावा यखनी, रिश्ता और गोश्तबा भी बहुत अच्छे हैं।

दिल्ली में बटर चिकन

बटर चिकन की शुरुआत 1950 के दशक में मोती महल, दरिया गंज में हुआ था। यह अपने तंदूरी चिकन के लिए मशहूर है। यहां के खानसामे चिकन जूस में मक्शन और टमाटर मिक्स करके इसे रिसाइकिल करते हैं। इसे संयोग कहिए या डिजाइन, इस चटनी को तंदूरी चिकन के टुकड़ों के साथ सजाकर परोसा जाता है। इस प्रकार इस बटर चिकन का आविष्कार हुआ और पूरे विश्व में यह मन-पसंदीदा व्यंजन बन गया। बटर चिकन मक्खन और गाढ़े लाल टमाटर की ग्रेवी से बनाया जाता है। इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है। मुंह में घुल जाने वाला बटर चिकन तंदूरी रोटी या नान के साथ खाया जाता है।


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